अपने बच्चों के यह नाम कतई ना रखें....वरना...

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हिंदुओं में अक्सर देखा गया है कि वे अपने बच्चों के नाम बगैर सोचे-समझे रख देते हैं। कुछ तो दो-दो नाम रखते हैं, जैसे घर का नाम अलग और बाहर का अलग। इससे बच्चे के भविष्य पर असर पढ़ता है। 
बच्चे का नाम उसकी पहचान के लिए नहीं रखा जाता। मनोविज्ञान एवं अक्षर-विज्ञान के जानकारों का मत है कि नाम का प्रभाव व्यक्ति के स्थूल-सूक्ष्म व्यक्तित्व पर गहराई से पड़ता रहता है।
 
नाम रखते वक्त यहां उल्लेखित कुछ नियमों का पालन जरूर करें...

1. नामकरण संस्कार करते वक्त बच्चों के नाम संस्कृत या हिंदी शब्दों अनुसार ही रखें। भाषा का नाम से गहरा संबंध होता है। भाषा ही बच्चों को उनके धर्म, संस्कृति, देश और संस्कार से जोड़े रखती है। यदि आप अपने बच्चे का नाम अपनी भाषा को छोड़कर किसी विदेशी भाषा में रखते हैं, तो आप अपने बच्चे का भविष्य बिगाड़ने के जिम्मेदार होंगे।

2. नामकरण संस्कार जरूर करें और नामकरण संस्कार किसी शुभ दिन और शुभ मुहूर्त में किया जाना चाहिए।

3. एक ऐसा नाम होना चाहिए जो घर और बाहर दोनों ही जगह पर प्रचलित हो। ऐसा माना जाता है कि राशि के अनुसार रखे गए नाम से बच्चे को बुलाने पर उस पर अच्छा असर होता है।

4. लड़के का नाम तो आयु-पर्यंत वही रहता है, लेकिन लड़की का नाम उसके विवाह के बाद ससुराल वाले बदल देते हैं। यह एक गलत प्रथा है इससे उस लड़की और जिससे उसने विवाह किया दोनों पर बुरा असर हो सकता है। लड़के पर न भी हो, लेकिन लड़की की मानसिकता पर इसका असर पड़ता है।

5. यह नाम न रखें - ईश्वर, परमेश्वर, परमपिता, परमात्मा, ब्रह्मा, ब्रह्म, परब्रह्म, सच्चिदानंद, वेद, भगवान, भगवती, देव, देवी, ओम, हरि, हर, महादेव, आदि। क्योंकि इंसान में कमियां-खूबियां सब होती है। अच्छी-बुरी प्रवृत्तियां होती हैं ऐसे में अनजाने ही हम ईश्वरीय सत्ता को कोसने के दोषी हो सकते हैं। 
6. इसके अलावा बच्चे के जन्म के बाद परिवार के लोग प्यार से उसे कई नामों से पुकारते हैं जैसे छोटू, गोलू, पप्पू, राजू, गुड्डू, टोनी, जानी, लकी, लवी आदि और धीरे-धीरे बच्चे का वहीं नाम हो जाता है। इससे बुरा असर होता है। ऐसे में बच्चे के बड़े होने पर भी वही नाम रहता है। हां, किसी नाम का शॉर्ट कर सकते हैं, लेकिन बिगड़े हुए रूप में नहीं।

7. बच्चों के नामकरण के लिए पंडित, धर्मग्रंथ, इंटरनेट और बेबी नेम बुक का सहारा लिया जा सकता है। नाम चयन करते वक्त उसके अर्थ को भली-भांति समझ लें और यह भी तय कर लें कि उसके उच्चारण में कठिनाई तो नहीं होती। नाम रखते वक्त यह ध्यान रहें कि नाम बुलाने में सरल, आसान और अर्थपूर्ण होना चाहिए।

8. बच्चों के नाम ऐसे रखें जिस पर उन्हें गर्व हो।
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