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Bhutadi amavasya 2024: चैत्र अमावस्या के दिन बन रहा है खतरनाक संयोग, इन उपायों से बचकर रहें

हमें फॉलो करें Darsha amavasya 2024

WD Feature Desk

, शुक्रवार, 5 अप्रैल 2024 (11:03 IST)
Somvati Amavasya 2024 Ke upay : इस बार चैत्र माह की अमावस्या सोमवार को आ रही है इसलिए इसे सोमवती अमावस्या कहते हैं। सालों बाद ऐसी अमावस्या आ रही है जिस दिन कई दुर्लभ और उग्र योग संयोग बन रहे हैं। इसे उग्र दिन में बचकर रहने में ही भलाई है। इसलिए जानिए कि किस तरह आप इस दिन के खतरनाक संयोग से बच सकते हैं।
 
  • अमावस्या प्रारंभ : 08 अप्रैल 2024 तड़के 03 बजकर 21 मिनट से। 
  • अमावस्या समाप्त : 08 अप्रैल 2023 रात्रि 11 बजकर 50 मिनट पर।
  • सूर्य ग्रहण प्रारंभ : 08 अप्रैल भारतीय समय अनुसार रात 09:12 मिनट पर 
  • सूर्य ग्रहण समाप्त : 08 अप्रैल भारतीय समय अनुसार मध्यरात्रि में 01:25 बजे।
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1. खरमास : अभी चैत्र माह के दौरान खरमास चल रहा है जो 13 अप्रैल को समाप्त होगा। इस माह में किसी भी प्रकार के मांगलिक या शुभ कार्य नहीं करते हैं। इसी मास के दौरान ही गुड़ी पड़वा और नवरात्रि का पर्व भी रहेगा। ऐसे में किसी पंडित से शुभ मुहूर्त जानकर ही पूजा पाठ करें या कोई शुभ कार्य करें।
 
2. भूतड़ी अमावस्या : चैत्र माह की अमावस्या को भूतड़ी अमावस्या कहते हैं क्योंकि इस दिन वे दिवंगत आत्माएं उग्र य बैचेन हो जाती हैं जिनकी अकाल मृत्यु हुई है। ऐसे माना जाता है कि जिस भी व्यक्ति की कुंडली में पिशाच योग, प्रेत दोष है या जिनकी मानसिक स्थिति कमजोर है तो इस दिन अतृप्त आत्माएं अपने परिवार के सदस्यों या अनजान लोगों के शरीर में घुसकर अपनी इच्‍छाएं पूर्ती करने का प्रयास करती हैं। ऐसे में इस दिन हनुमान चालीसा पढ़ने के साथ ही पितरों की तृप्ती के लिए 11 ब्राह्मणों को भोज कराया जाना चाहिए।
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3. सूर्य ग्रहण : इस चैत्र अमावस्या के दिन सूर्य ग्रहण रहेगा और वह भी खग्रास यानी पूर्ण सूर्य ग्रहण। हालांकि यह भारत में नजर नहीं आएगा परंतु इसका राशियों पर असर रहेगा। इसलिए इस दिन ग्रहण के उपाय के हेतु गंगा जल से स्नान और दान आदि करना चाहिए। इस दिन गंगा नदी में स्नान करने के बाद यथाशक्ति गरीबों को और ब्राह्मणों को दान देना चाहिए। दान में अन्न, वस्त्र, चप्पल, छाता, पलंग, बिस्तर और मिठाई का दान करें।
 
4. राहु की उग्रता : सूर्य ग्रहण के दौरान राहु उग्र हो जाता है तो ये काफी घातक संयोग बन रहा है। यदि कुंडली में प्रेत दोष, कालसर्प दोष और पितृदोष है तो भगवान शंकर का रुद्राभिषेक कराएं, चांदी के सांपों का जोड़ा दान करें, नारायण बलि दें, भगवान विष्णु की पूजा करें और गरुण पुराण का अनुष्ठान कराएं। इसी के साथ ही राहु और केतु के जप कराने के बाद दशांश हवन कराएं।
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5. आकाश में रहेगा अद्भुत नजारा : ग्रहण के दौरान ही आकाश में एवरेस्ट पर्वत से तीन गुना बढ़ा पी12 नाम का धूमकेतु दिखाई देगा जिसे अमेरिका ने 'शैतान' नाम दिया है। हालांकि यह सूर्य से बहुत दूर होगा। इसके दिखाई देने की संभावना भी मानी जा रही है। ग्रहण के दौरान ही बृहस्पति और शुक्र ग्रहों को आप अपनी आंखों से एक साथ देख सकेंगे। बृहस्पति सूर्य के उपर और शुक्र नीचे नजर आएगा।
अस्वीकरण (Disclaimer) : चिकित्सा, स्वास्थ्य संबंधी नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष, इतिहास, पुराण आदि विषयों पर वेबदुनिया में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं, जो विभिन्न सोर्स से लिए जाते हैं। इनसे संबंधित सत्यता की पुष्टि वेबदुनिया नहीं करता है। सेहत या ज्योतिष संबंधी किसी भी प्रयोग से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें। इस कंटेंट को जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है जिसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है।

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