हिन्दू पंचांग अनुसार प्रत्येक माह में पांच ऐसे दिन आते हैं जिनका अलग ही महत्व होता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार चन्द्र ग्रह का धनिष्ठा नक्षत्र के तृतीय चरण और शतभिषा, पूर्वाभाद्रपद, उत्तराभाद्रपद तथा रेवती नक्षत्र के चारों चरणों में भ्रमण काल पंचक काल कहलाता है। इस तरह चन्द्र ग्रह का कुम्भ और मीन राशी में भ्रमण पंचकों को जन्म देता है। अर्थात पंचक के अंतर्गत धनिष्ठा, शतभिषा, उत्तरा भाद्रपद, पूर्वा भाद्रपद व रेवती नक्षत्र आते हैं। इन्हीं नक्षत्रों के मेल से बनने वाले विशेष योग को 'पंचक' कहा जाता है। प्रचलित मान्यता अनुसार पंचक में कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है।
इस बार पंचक शुक्रवार, 12 फरवरी 2021 से प्रारंभ हो रहा है, जो कि मंगलवार, 16 फरवरी 2021 तक जारी रहेगा। इस पंचक को चोर पंचक कहा गया है।
'अग्नि-चौरभयं रोगो राजपीडा धनक्षतिः।
संग्रहे तृण-काष्ठानां कृते वस्वादि-पंचके।।'-मुहूर्त-चिंतामणि
अर्थात:- पंचक में तिनकों और काष्ठों के संग्रह से अग्निभय, चोरभय, रोगभय, राजभय एवं धनहानि संभव है।
पंचक में नहीं करते हैं ये पांच कार्य :
1.लकड़ी एकत्र करना या खरीदना,
2. मकान पर छत डलवाना,
3. शव जलाना,
4. पलंग या चारपाई बनवाना और दक्षिण दिशा की ओर यात्रा करना।
5. शव दाह करना।
उपाय : यदि लकड़ी खरीदना अनिवार्य हो तो पंचक काल समाप्त होने पर गायत्री माता के नाम का हवन कराएं। यदि मकान पर छत डलवाना अनिवार्य हो तो मजदूरों को मिठाई खिलने के पश्चात ही छत डलवाने का कार्य करें। यदि पंचक काल में शव दाह करना अनिवार्य हो तो शव दाह करते समय पांच अलग पुतले बनाकर उन्हें भी आवश्य जलाएं। इसी तरह यदि पंचक काल में पलंग या चारपाई लाना जरूरी हो तो पंचक काल की समाप्ति के पश्चात ही इस पलंग या चारपाई का प्रयोग करें। अंत में यह कि यदि पंचक काल में दक्षिण दिशा की यात्रा करना अनिवार्य हो तो हनुमान मंदिर में फल चढ़ाकर यात्रा प्रारंभ कर सकते हैं। ऐसा करने से पंचक दोष दूर हो जाता है।
पंचक के प्रकार जानिए:
1.रविवार को पड़ने वाला पंचक रोग पंचक कहलाता है। इस पंचक के प्रभाव से शारीरिक और मानसिक समस्याएं होती हैं इसीलिए कोई शुभ कार्य नहीं किया जाता है।
2.सोमवार को पड़ने वाला पंचक राज पंचक कहलाता है। यह राजकीय या सरकारी कार्यों के लिए शुभ माना गया है। संपत्ति से जुड़े कार्य भी कर सकते हैं।
3.मंगलवार को पड़ने वाला पंचक अग्नि पंचक कहलाता है। इस पंचक में अग्नि से संबंधित कार्य जैसे मशीनरी, बिजली, भट्टी लगाने जैसे कार्य अशुभ माने जाते हैं। हालांकि कोर्ट कचहरी जैसे मामले निपटाने में यह उचित समय है।
4.शुक्रवार को पड़ने वाला पंचक चोर पंचक कहलाता है। इस पंचक में व्यापार या अन्य किसी भी प्राकर के लेन-देन से बचना चाहिए।
5.शनिवार को पड़ने वाला पंचक मृत्यु पंचक कहलाता है।
6.इसके अलावा बुधवार और गुरुवार को पड़ने वाले पंचक में ऊपर दी गई बातों का पालन करना जरूरी नहीं माना गया है। इन दो दिनों में पड़ने वाले दिनों में पंचक के पांच कामों के अलावा किसी भी तरह के शुभ काम किए जा सकते हैं। इसमें विवाह, सागाई जैसे कार्य भी किए जा सकते हैं।
चोर पंचक में क्या नहीं करना चाहिए : शुक्रवार से शुरु होने वाले पंचक को चोर पंचक कहते हैं। मना किए गए कार्य करने से धन हानि या चोरी होने की संभावना बढ़ जाती है।
1. ज्योतिष के अनुसार, इस पंचक में यात्रा करने की मनाही है।
2. इस पंचक में किसी भी तरह का व्यापार ना करें।
3. इस पंचक में किसी भी तरह के सौदे या रुपयों के लेन देने से बचें।