श्री गंगा सप्तमी 2022 कब है : शुभ मुहूर्त, महत्व, कथा और मंत्र

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Ganga Saptami 2022 Date : वर्ष 2022 में श्री गंगा सप्तमी पर्व (Ganga Saptami 2022 Date) रविवार, 8 मई 2022 को मनाया जा रहा है। हिंदू धर्मशास्त्रों के अनुसार वैशाख शुक्ल सप्तमी तिथि को मां गंगा स्वर्ग लोक से शिवशंकर की जटाओं में पहुंची थी। इसलिए इस दिन को गंगा सप्तमी के रूप में मनाया जाता है। इस दिन मां गंगा का पूजन किया जाता है। 
 
महत्व- इस वर्ष गंगा सप्तमी पर्व शनिवार के दिन पड़ रहा है। जिस दिन गंगा जी की उत्पत्ति हुई वह दिन गंगा जयंती यानी वैशाख शुक्ल सप्तमी और जिस दिन गंगा जी पृथ्वी पर अवतरित हुई वह दिन जो कि ज्येष्ठ शुक्ल दशमी तिथि को पड़ता है, 'गंगा दशहरा' के नाम से जाना जाता है। इन दिनों वैशाख मास जारी है और इसके देवता भगवान श्री विष्णु है। इसलिए इस महीने खासतौर पर भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। इस साल वैशाख मास 16 मई तक जारी रहेगा। 
 
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार गंगा सप्तमी के अवसर पर्व पर मां गंगा में डुबकी लगाने से मनुष्य के सभी पाप धुल जाते हैं तथा मोक्ष की प्राप्ति होती है। वैसे तो गंगा स्नान का अपना अलग ही महत्व है, लेकिन इस दिन स्नान करने से मनुष्य सभी दुखों से मुक्ति पा जाता है। 
 
इस संबंध में यह भी कहा जाता है कि गंगा नदी में स्नान करने से 10 पापों का हरण होकर अंत में मुक्ति मिलती है। इस दिन दान-पुण्य का विशेष महत्व है। शास्त्रों में उल्लेख है कि जीवनदायिनी गंगा में स्नान, पुण्यसलिला नर्मदा के दर्शन और मोक्षदायिनी शिप्रा के स्मरण मात्र से मोक्ष मिल जाता है। 
 
गंगा सप्तमी गंगा मैया के पुनर्जन्म का दिन है इसलिए इसे कई स्थानों पर गंगा जयंती के रूप में भी मनाया जाता है। इस पर्व के लिए गंगा मंदिरों सहित अन्य मंदिरों पर भी विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। गंगा सप्तमी के दिन गंगा स्नान का बहुत महत्व है। अत: गंगा सप्तमी पर नदी, तट, तीर्थस्थलों पर स्नान तथा पूजन करके गंगा सप्तमी का पुण्य कमा सकते हैं।
 
Ganga Saptami Katha कथा- इस संबंध में वर्णित पौराणिक कथा (Ganga Saptami Story) भागीरथ एक प्रतापी राजा थे। उन्होंने अपने पूर्वजों को जीवन-मरण के दोष से मुक्त करने के लिए गंगा को पृथ्वी पर लाने की ठानी। उन्होंने कठोर तपस्या आरम्भ की। 
 
गंगा उनकी तपस्या से प्रसन्न हुईं तथा स्वर्ग से पृथ्वी पर आने के लिए तैयार हो गईं। पर उन्होंने भागीरथ से कहा कि यदि वे सीधे स्वर्ग से पृथ्वी पर गिरेंगीं तो पृथ्वी उनका वेग सहन नहीं कर पाएगी और रसातल में चली जाएगी। यह सुनकर भागीरथ सोच में पड़ गए। गंगा को यह अभिमान था कि कोई उसका वेग सहन नहीं कर सकता। तब उन्होंने भगवान भोलेनाथ की उपासना शुरू कर दी। 
 
संसार के दुखों को हरने वाले शिव शम्भू प्रसन्न हुए और भागीरथ से वर मांगने को कहा। भागीरथ ने अपना सब मनोरथ उनसे कह दिया। गंगा जैसे ही स्वर्ग से पृथ्वी पर उतरने लगीं गंगा का गर्व दूर करने के लिए शिव ने उन्हें जटाओं में कैद कर लिया। वह छटपटाने लगी और शिव से माफी मांगी। तब शिव ने उसे जटा से एक छोटे से पोखर में छोड़ दिया, जहां से गंगा सात धाराओं में प्रवाहित हुईं। 
 
इस प्रकार भगीरथ पृथ्वी पर गंगा का वरण करके भाग्यशाली हुए। उन्होंने जनमानस को अपने पुण्य से उपकृत कर दिया। युगों-युगों तक बहने वाली गंगा की धारा महाराज भगीरथ की कष्टमयी साधना की गाथा कहती है। गंगा प्राणीमात्र को जीवनदान ही नहीं देती, मुक्ति भी देती है।
 
आइए जानें गंगा सप्तमी के पवित्र मंत्र-Ganga Saptami 2022 Mantra
 
1. ॐ नमो गंगायै विश्वरुपिणी नारायणी नमो नम:।।
 
2. गंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वती।
नर्मदे सिन्धु कावेरी जले अस्मिन् सन्निधिम् कुरु।।
 
3. गांगं वारि मनोहारि मुरारिचरणच्युतम्।
त्रिपुरारिशिरश्चारि पापहारि पुनातु माम्।।
 
4. गंगागंगेति योब्रूयाद् योजनानां शतैरपि।
मच्यते सर्व पापेभ्यो विष्णुलोकं सगच्छति। तीर्थराजाय नम:
 
5. 'ॐ नमो भगवति हिलि हिलि मिलि मिलि गंगे मां पावय पावय स्वाहा'। 
 
गंगा सप्तमी मुहूर्त 2022-Ganga Saptami 2022 Muhurat 
 
इस बार गंगा सप्तमी के दिन सप्तमी तिथि का आरंभ शनिवार, 7 मई को दोपहर 2.57 मिनट से शुरू हो रही है, जो रविवार, 8 मई को सायं 5:00 बजे समाप्त होगी। अत: उदयातिथि के अनुसार वर्ष 2022 में गंगा सप्तमी 08 मई को मनाना उचित रहेगा। 

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