गुरु पूर्णिमा विशेष : घर में कैसे मनाएं यह पर्व, जब कोई गुरु नहीं हो, पढ़ें 1 खास प्रयोग

Webdunia
- पं. उमेश दीक्षित 

जीवन में हर कार्य किसी न किसी के द्वारा सिखाया जाता है। वह 'गुरु' कहलाता है। साधार‍णतया गुरु का महत्व अध्यात्म में सर्वोपरि माना गया है जिसमें दीक्षा किसी न किसी रूप में दी जाकर शिष्य की देखरेख उसके कल्याण की भावना से की जाती है।
 
सभी धर्मों में गुरु का अपनी-अपनी तरह से महत्व है। कुंडलिनी जागरण के लिए सर्वोपरि सहस्रार चक्र में गुरुदेव का वास बतलाया गया है, जो सबके आखिर में सिद्ध होता है।
 
वे लोग बड़े सौभाग्यशाली होते हैं जिन्हें किसी सद्गुरु से दीक्षा मिली हो। वे लोग जिन्हें गुरु उपलब्ध नहीं है और साधना करना चाहते हैं उनका प्रतिशत समाज में अधिक है। अत: वे इस प्रयोग से लाभान्वित हो सकते हैं।
 
कैसे करें पूजन :- 
 
* सर्वप्रथम एक श्वेत वस्त्र पर चावल की ढेरी लगाकर उस पर कलश-नारियल रख दें। 
 
* उत्तराभिमुख होकर सामने शिवजी का चित्र रख दें। 
 
* शिवजी को गुरु मानकर निम्न मंत्र पढ़कर श्रीगुरुदेव का आवाहन करें-
 
- 'ॐ वेदादि गुरुदेवाय विद्महे, परम गुरुवे धीमहि, तन्नौ: गुरु: प्रचोदयात्।।'
 
हे गुरुदेव! मैं आपका आह्वान करता हूं। 
 
* फिर यथाशक्ति पूजन करें, नैवेद्यादि आरती करें तथा 'ॐ गुं गुरुभ्यो नम: मंत्र' की 11, 21, 51 या 108 माला करें।
 
* यदि किसी विशेष साधना को करना चाहते हैं, तो उनकी आज्ञा गुरु से मानसिक रूप से लेकर की जा सकती है। 
 
* विशेष- 16 जुलाई को आषाढ़ी पूर्णिमा के दिन गुरु पूर्णिमा तथा चंद्र ग्रहण है। अत: ग्रहण के दौरान मंत्रों का जप किया जा सकता है तथा विशेष लाभ प्राप्त किया जा सकता है।

ALSO READ: गुरु पूर्णिमा 2019 : 16 जुलाई को गुरु पूजन में पढ़ना ना भूलें ये 4 मंत्र

सम्बंधित जानकारी

Show comments

ज़रूर पढ़ें

हरियाली तीज का व्रत कब रखा जाएगा, पूजा का समय क्या है?

सिंधारा दूज कब है, जानिए पूजा का शुभ मुहूर्त और विधि

जल्द ही धरती की इस इस जगह एलियन उतरेंगे, क्या सच होने वाली है ये भविष्यवाणी

ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग के 5 ऐसे रहस्य जो आप कतई नहीं जानते होंगे

मनोकामना पूरी होने पर कितनी बार करनी चाहिए कावड़ यात्रा?

सभी देखें

नवीनतम

25 जुलाई 2025 : आपका जन्मदिन

25 जुलाई 2025, शुक्रवार के शुभ मुहूर्त

ये 3 राशियां हमेशा क्यों रहती हैं प्यासी और असंतुष्ट?

क्या फिर लौटेगी महामारी! नास्त्रेदमस और बाबा वेंगा की भविष्यवाणी में छुपे 2025 में तबाही के संकेत

सिंधारा दोज क्यों मनाई जाती है, क्या करते हैं इस दिन? पूजा का शुभ मुहूर्त और 3 उपाय

अगला लेख