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अधिक मास की संकष्टी चतुर्थी का व्रत कैसे रखें?

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sankashti chaturthi 2023 : इस बार सावन अधिक महीने का संकष्टी चतुर्थी व्रत 4 अगस्त, शुक्रवार को रखा जा रहा है। यह चतुर्थी विभुवन संकष्टी चतुर्थी के नाम से जानी जाती है। हिन्दू धर्म की मान्यता के अनुसार श्रावण चतुर्थी का सालभर की सभी चतुर्थियों में विशेष महत्व है।

प्रथम पूज्य श्री गणेश विघ्नहर्ता माने गए हैं, यानी जीवन के सभी दुखों को हरने वाले देवता। अत: चतुर्थी व्रत बहुत ही फलदायी माना गया है। इस बार विभुवन संकष्टी चतुर्थी के दिन चंद्रोदय का शुभ समय रात 9.20 मिनट पर होगा। इस समय चंद्र देव का पूजन किया जाएगा। 
 
आइए जानते हैं कैसे रखें पुरुषोत्तम मास का संकष्‍टी चतुर्थी व्रत- 
 
श्रावण चतुर्थी व्रत कैसे रखें : 
 
• श्रावण चतुर्थी व्रत के दिन श्री गणेश की ही पूजा-अर्चना की जाती है। 
 
• व्रत के दिन प्रात:काल स्नान के पश्चात शुद्ध वस्त्र धारण करें।
 
• पूजा स्थल पर गणेश जी के नाम की चौकी बनाकर उसमें स्वास्तिक चिह्न बनाकर श्री गणेश की स्थापना करें।
 
• अब दूब, बेल पत्र, सुगंधित फूल, अक्षत, रोली, कलावा चढ़ाकर धूप, दीप आदि से मनपूर्वक पूजन-अर्चन करें।
 
• गणेश जी को शुद्ध घी के बने लड्डू अर्पित करें। अगर सामर्थ्य हो तो 21 या 31 लड्‍डुओं से श्री गणेश को भोग लगाएं। 
 
• रात्रिकाल में गणेश जी की पुन: पूजा करके लड्डुओं को प्रसाद के रूप में वितरित करें। 
 
• श्री गणेश जी से घर की सुख-समृद्धि, संपन्नता के लिए वरदान मांगे।
 
• श्री गणेश जी की उनके बारह नामों की पूजा करें।
 
• अंत में गणेश जी की आरती करके व्रत का समापन करें।
 
• गणेश जी के मंत्रों का कम से कम 108 जाप करें। 
 
• इस दिन श्री गणेश चतुर्थी कथा, चालीसा, गणपति अथर्वशीर्ष और स्तोत्र आदि का पाठ करें।

* श्री गणेश के 12 नाम : 
 
- गणपर्तिविघ्रराजो लम्बतुण्डो गजानन:।
द्वेमातुरश्च हेरम्ब एकदन्तो गणाधिप:।।
विनायकश्चारुकर्ण: पशुपालो भवात्मज:।
द्वाद्वशैतानि नामानि प्रातरुत्थाय य: पठेत्।।
विश्वं तस्य भवे नित्यं न च विघ्नमं भवेद् क्वचिद्।
 
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