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नाग पंचमी के 20 बहुत सरल उपाय, कालसर्प दोष से बचने के लिए आजमाएं

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अनिरुद्ध जोशी

काल सर्प दोष के कई कारण है। कहते हैं कि इससे जीवन में अचानक घटना और दुर्घटना के योग बनते हैं और व्यक्ति की तरक्की रुक जाती है। बाल्यकाल में किसी भी प्रकार की बाधा का उत्पन्न होना। अर्थात घटना-दुर्घटना, चोट लगना, बीमारी आदि का होना, विवाह में विलंब, विद्या अध्ययन में रुकावट, संतान का न होना या संतान द्वारा घोर कष्ट, रोजगार का नहीं मिलना, गृहकलह, अकाल मृत्यु आदि भी काल सर्प दोष का लक्ष्मण माना जाता है। नाग पंचमी का दिन काल सर्प दोष निवारण का सबसे अच्‍छा दिन होता है। आओ जानते हैं 20 सरल उपाय।
 
 
क्या है काल सर्प दोष : कुंडली के अनुसार राहु और केतु के कारण ही काल सर्प दोष होता है। राहु नीच का होकर बैठा हो तो भी काल सर्प दोष होता है। मूलत: सूर्य, चंद्र और गुरु के साथ राहु के होने को कालसर्प दोष माना जाता है। राहु का अधिदेवता 'काल' है तथा केतु का अधिदेवता 'सर्प' है। इन दोनों ग्रहों के बीच कुंडली में एक तरफ सभी ग्रह हों तो 'कालसर्प' दोष कहते हैं। राहू-केतु हमेशा वक्री चलते हैं तथा सूर्य चंद्रमार्गी। 12 तरह के काल सर्प दोष कहे गए हैं।
 
1. चांदी के नाग नागिन के जोड़े यदि आप नहीं ला सकते हैं तो बड़ीसी रस्सी में सात गांठें लगाकर उसे सर्प रूप में बना लें। फिर उसे एक आसन पर स्थापित करके उसपर कच्चा दूध, बताशा और फूल अर्पित करें। फिर गुग्गल की धूप दें। इस दौरान राहु और केतु के मंत्र पढ़ें। राहु के मंत्र 'ऊं रां राहवे नम' और केतु के मंत्र 'ऊं कें केतवे नम:' का जाप बराबर संख्या में करें। इसके बाद भगवान शिव का ध्यान करते हुए एक-एक करके रस्सी की गांठ खोलते जाएं। फिर जब भी समय मिले रस्सी को बहते हुए जल में बहा दें दें। इससे काल सर्पदोष दूर हो जाएगा।
 
2. चांदी के दो सर्पों के साथ ही स्वास्तिक बनवाएं। अब थाल में रखकर इन दोनों सांर्पों की पूजा करें और एक दूसरे थाल में स्वास्त‍िक को रखकर उसकी अलग पूजा करें। सर्पों को कच्चा दूध चढ़ाएं और स्वास्त‍िक पर एक बेलपत्र चढ़ाएं। फिर दोनों थाल को सामने रखकर 'ऊं नागेंद्रहाराय नम:' का जाप करें। इसके बाद नागों को ले जाकर शिवलिंग पर अर्पित करेंगे और स्वास्त‍िक को गले में धारण करेंगे। ऐसा करने से कल सर्प दोष, सर्पभय और स्वप्न दूर हो जाते हैं।
 
3. नागपंचमी के दिन घर के मुख्य द्वार पर गोबर, गेरू या मिट्टी से सर्प की आकृति बनाएं और इसकी विधिवत रूप से पूजा करें। इससे जहां आर्थ‍िक लाभ होगा, वहीं घर पर आने वाली काल सर्प दोष से उत्पन्न विपत्त‍ियां भी टल जाएंगी।
 
4. नाग पूजा के साथ ही नाग माता कद्रू, मनसा देवी, बलराम पत्नी रेवती, बलराम माता रोहिणी और सर्पो की माता सुरसा की वंदना भी करें। मान्यता अनुसार पंचमी के दिन घर के आंगन में नागफनी की शाखा पर मनसा देवी की पूजा करने से विष का भय नहीं रह जाता। मनसा देवी की पूजा के बाद ही नाग पूजा होती है। यह भी काल सर्प दोष से मुक्ति का एक उपाय है।
 
5. ज्योतिष के अनुसार पंचमी तिथि के स्वामी नाग हैं। इस दिन अष्ट नागों की पूजा प्रधान रूप से की जाती है। नाग पूजा से पूर्व भगवान शंकर की पूजा की जाती है इसके बाद आप घर पर ही चांदी के नाग नागिन के साथ आप इन आठ नागों के मंत्रों के साथ इनकी पूजा करें- 1. अनंत (शेष), 2. वासुकि, 3. तक्षक, 4. कर्कोटक, 5. पद्म, 6. महापद्म, 7. शंख और 8. कुलिक।
 
6. नागों की पूजा करने के लिए उनके चित्र या मूर्ति को लकड़ी के पाट के उपर विधिपूर्वक स्थापित करके पूजन किया जाता है मूर्ति पर हल्दी, कंकू, रोली, चावल और फूल चढ़कर पूजा करते हैं और उसके बाद कच्चा दूध, घी, चीनी मिलाकर नाग मूर्ति को अर्पित करते हैं। पूजन करने के बाद सर्प देवता की आरती उतारी जाती है। अंत में नाग पंचमी की कथा अवश्य सुनते हैं।
 
7. आस्तिक मुनि की दुहाई' नामक वाक्य घर की बाहरी दीवारों पर सर्प से सुरक्षा के लिए लिखा जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस वाक्य को घर की दीवार पर लिखने से उस घर में सर्प प्रवेश नहीं करता और काल सर्प दोष भी नहीं लगता है।
 
8. जिस जातक की कुंडली में कालसर्प योग, पितृ दोष होता है उसका जीवन अत्यंत कष्टदायी होता है। उसका जीवन पीड़ा से भर जाता है। उसे अनेक प्रकार की परेशानियां उठानी पड़ती हैं। इस योग से जातक मन ही मन घुटता रहता है। ऐसे जातक को नागपंचमी के दिन श्रीसर्प सूक्त का पाठ करना चाहिए।
 
9. नासिक के पास त्र्यम्बकेश्वर में काल सर्प दोष का शांतिकर्म किया जाता है। इसके अलावा भी किसी पवित्र नदी के तट पर तीर्थस्थान में शिव सान्निध्य में प्रयोग किए जा सकते हैं। नाग पंचमी पर यदि यह शांतिकर्म कराएंगे तो विशेष लाभ मिलेगा। 
 
10. नाग पंचमी पर  राहु तथा केतु के मंत्रों का जाप करें या करवाएं- राहू मंत्र : ।। ॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं स: राहवे नम: ।।, केतु मंत्र : ।। ॐ स्त्रां स्त्रीं स्त्रौं स: केतवे नम:।।
 
11. सर्प मंत्र या नाग गायत्री के जाप करें या करवाएं- सर्प मंत्र : ।। ॐ नागदेवताय नम: ।।, नाग गायत्री मंत्र : ।। ॐ नवकुलाय विद्यमहे विषदंताय धीमहि तन्नो सर्प: प्रचोदयात् ।
 
12. ऐसे शिव मंदिर में जहां शिवलिंग पर नाग मूर्ति विराजमान न हो तो प्रतिष्ठा करवाकर नाग चढ़ाएं। नाग पंचमी इसके लिए विशेष दिन होता है।
 
13. नाग पंचमी के दिन श्रीमद भागवत पुराण और श्री हरिवंश पुराण का पाठ करवाएं।
 
14. नाग पंचमी के दिन दुर्गा पाठ करें या करवाएं।
 
15. नाग पंचमी के दिन भैरव उपासना करें। भैरव बाबा के यहां पर जाकर कच्चा दूध चढ़ाएं।
 
16. नाग पंचमी के दिन यथाशक्ति श्री महामत्युंजय मंत्र का जाप करें या करवाएं।
 
17. नाग पंचमी के दिन सपेरे से नाग लेकर उसे जंगल में छुड़वाएं।
 
18. नाग पंचमी के दिन घर में फिटकरी, समुद्री नमक तथा देशी गाय का गौमूत्र मिलाकर पोंछा लगाएं तथा गुग्गल की धूप दें।
 
19. नाग पंचमी के दिन नागदेवता या शिवमंदिर में जाकर झाड़ूं लगाएं। धर्म स्थान की सीढ़ियों पर 10 दिन तक पौछा लगाएं।
 
20. माथे पर चंदन का तिलक लगाएं। कर्पूर जलाने से देवदोष व पितृदोष का शमन होता है।
 
लाल किताब के उपाय  काल सर्प दोष है तो हमेशा रोटी रसोई में बैठकर ही खाएं। दीवारों को साफ रखें।  टॉयलेट, बाथरूम की सफाई रखें। ससुराल से संबंध अच्छे रखें। पागलों को खाने को दें। माथे पर चंदन का तिलक लगाएं। घर में ठोस चांदी का हाथी रख सकते हैं। सरस्वती की आराधना करें। मंगल या गुरु का उपाय करें।

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