कब से लग रहा है खरमास, क्या है इस मास का महत्व और जानिए अचूक उपाय

WD Feature Desk
गुरुवार, 6 मार्च 2025 (13:21 IST)
Kharmas 2025: सूर्य जब भी धनु या मीन राशि में जाता तब से खरमास प्रारंभ होता है। खरमास को मलमास भी कहते हैं। इन दोनों से अधिकमास अलग होता है। वर्तमान में सूर्य, शनि की मूल त्रिकोण राशि कुंभ में गोचर कर रहे हैं तथा 14 मार्च 2025 को वे मीन राशि में प्रवेश करेंगे। मीन में जाते ही एक माह के लिए खरमास प्रारंभ हो जाएगा। कहते हैं कि इस दौरान सूर्य की गति मंद पड़ती हुई नजर आती है। उसका प्रकाश भी धरती पर पहले की अपेक्षा कम हो जाता है। 
 
मीन संक्रांति यानी खरमास: जिस तरह चंद्रवर्ष के अनुसार फाल्गुन माह वर्ष का आखिरी माह है उसी तरह सौरवर्ष के अनुसार मीन संक्रांति आखिरी माह की संक्रांति होती है। यही कारण है कि इस संक्रांति का बहुत महत्व बढ़ जाता है। प्रत्येक माह सूर्य एक राशि से दूसरी राशि में भ्रमण करते हैं। सूर्य के मीन राशि में संक्रमण करने की तिथि को मीन संक्रांति कहा जाता है।
 
खरमास के वर्जित कार्य: सूर्यदेव का जब-जब गुरु की राशि धनु एवं मीन में परिभ्रमण होता है या धनु व मीन संक्रांति होती है तो वह खरमास या मलमास कहलाती है। ऐसे में सभी तरह के मांगलिक कार्य वर्जित माने जाते हैं। मलमास में नामकरण, विद्या आरंभ, कर्ण छेदन, अन्न प्राशन, उपनयन संस्कार, विवाह संस्कार, गृहप्रवेश तथा वास्तु पूजन आदि मांगलिक कार्यों को नहीं किया जाता है।
 
खरमास में क्या करें: इस माह में अपने अराध्य देव की अराधना करें। सूर्यदेव को अर्घ्य दें। तिल, वस्त्र और अनाज का दान करें। गाय को चारा खिलाएं। गंगा, यमुना आदि पवित्र नदियों में स्नान करें। बृहस्पति का उपवास करें और उपाय भी करें। गुरुवार को मंदिर में पीली वस्तुएं दान करें।
खरमास के अचूक उपाय:-
1. खरमास में प्रतिदिन भगवान सूर्य देव को अर्घ्य देने से जीवन में खुशियों का संचार होता है। 
 
2. इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में जागकर स्नानादि से निवृत्त होने के पश्चात तांबे के पात्र या लोटे में जल, रोली, लाल चंदन, गुड़, लाल पुष्प तथा शहद डालकर सूर्यदेव को अर्घ्य देना चाहिए। 
 
3. खर मास में देवी-देवताओं की उपासना, ध्यान-पूजन, कथावाचन करना तन-मन और बुद्धि को पुष्ट करते हैं। 
 
4. खरमास में भगवान शिव की आराधना का भी विशेष महत्व है, अत: शिव जी उपासना से कष्टों का निवारण होता है। 
 
5. इसके साथ ही खरमास में श्रीविष्णु की पूजा-आराधना फलदायी है। 
 
6. खरमास में पूरे महीने में सूर्योदय से पहले उठकर स्नानादि करके प्रतिदिन चढ़ते सूरज को अर्घ्य अर्पित करने से सेहत, समृद्धि और शुभ फल मिलता है। 
 
7. खरमास या मल मास की एकादशी के दिन उपवास रखकर भगवान श्री विष्णु का पूजन करके तुलसी के पत्तों से युक्त खीर का भोग लगाने की मान्यता है। 
 
8. इन दिनों केसर मिले दूध से श्री‍हरि विष्‍णु का अभिषेक करके मंत्र- 'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः' का तुलसी की माला से अधिक से अधिक जाप करें। 
 
9. खरमास में यदि प्रतिदिन गौ शाला जाना संभव ना हो तो घर में गाय की मूर्ति या तस्वीर लगाकर उसका पूजन करें। 
 
10. इस महीने में भगवान का ध्यान लगाने तथा दान-पुण्य तथा जप करने से जीवन के समस्त कष्ट दूर हो जाते हैं।

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