Dharma Sangrah

खर मास कब से होगा शुरू, जानिए खरमास की कथा और महत्व

Webdunia
Kharmas 2022: इस बार 16 दिसंबर 2022, दिन शु्क्रवार से खरमास शुरू हो रहा है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सूर्यदेव के धनु राशि में प्रवेश करते ही खरमास प्रारंभ हो जाएगा तथा शुभ कार्य जैसे मुंडन, कर्ण छेदन, नवीन गृह प्रवेश, विवाह एवं सभी तरह के मांगलिक कार्यों पर लगाम लग जाएगा। 
 
वर्ष 2022 में 16 दिसंबर को सूर्यदेव सुबह 10.11 मिनट पर धनु राशि में प्रवेश करेंगे तथा 14 जनवरी 2023, दिन रविवार को रात्रि 08.57 मिनट तक खरमास जारी रहेगा। अत: 16 दिसंबर से सूर्य धनु संक्रांति (dhanu sankranti) शुरू हो जाएगी। इसीलिए खरमास के दौरान सूर्यदेव का प्रभाव कम होने के कारण ही शुभ तथा मांगलिक कार्य करने की मनाही है।
 
खरमास की कथा-Kharmaas katha 
 
खरमास की कथा के अनुसार भगवान सूर्यदेव सात घोड़ों के रथ पर सवार होकर लगातार ब्रह्मांड की परिक्रमा करते रहते हैं। उन्हें कहीं पर भी रूकने की इजाजत नहीं होती है। मान्यता के अनुसार उनके रूकते ही जन-जीवन भी ठहर जाएगा। लेकिन उनके रथ में जो घोड़े जुड़े होते हैं, वे लगातार चलने और विश्राम न मिलने के कारण भूख-प्यास से व्याकुल और बहुत थक जाते हैं। 
 
उनकी इस दयनीय दशा को देखकर सूर्यदेव का मन भी द्रवित हो गया और वे उन्हें एक तालाब के किनारे ले गए, लेकिन उन्हें तभी यह ध्यान आया कि अगर रथ रूका तो अनर्थ हो जाएगा, लेकिन यह घोड़ों का सौभाग्य ही कहिए कि तालाब के किनारे दो खर मौजूद थे। भगवान सूर्यदेव घोड़ों को पानी पीने और विश्राम देने के लिए छोड़े देते हैं और खर अर्थात गधों को अपने रथ में जोत देते हैं। बता दें कि संस्कृत में गधे को 'खर' कहा जाता है। 
 
अब घोड़ा-घोड़ा होता है और गधा-गधा, रथ की गति धीमी हो जाती है फिर भी जैसे-तैसे एक मास का चक्र पूरा होता है, तब तक घोड़ों को विश्राम भी मिल चुका होता है, इस तरह यह क्रम चलता रहता है और हर सौर वर्ष में एक सौर खर मास कहलाता है। 
 
महत्व-Kharmaas ka Mahatva 
 
धार्मिक मान्यता के अनुसार जब तक सूर्य मकर राशि में संक्रमित नहीं होते तब तक किसी भी प्रकार के शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं। सूर्य किसी विशेष राशि में प्रवेश करता है, इसी कारण से इसे संक्रांति के नाम से जाना जाता है। पंचांग के अनुसार यह समय पौष मास का होता है, जिसे खरमास कहा जाता है। 
 
धनु संक्रांति के दिन सत्यनारायण की कथा का पाठ किया जाता है। तत्पश्चात देवी लक्ष्मी, शिव जी तथा ब्रह्मा जी की आरती की जाती है और चरणामृत का प्रसाद चढ़ाया जाता है। भगवान श्री विष्णु की पूजा में केले के पत्ते, फल, सुपारी, पंचामृत, तुलसी, मेवा आदि का भोग तैयार किया जाता है। साथ ही इस दिन मीठे व्यंजन बनाकर भगवान का भोग लगाया जाता है। 
 
पौष संक्रांति के दिन श्रद्धालु नदी किनारे जाकर सूर्य अर्घ्य (Surya Dev) देते हैं। इससे मन की शुद्धि, बुद्धि और विवेक की प्राप्ति होती है। अत: इस दिन सूर्य पूजन और इस माह की संक्रांति के दिन नदी, तट, सरोवर तथा गंगा-यमुना स्नान का बहुत अधिक महत्व माना जाता है। सूर्य संक्रांति के दिन जो लोग विधिपूर्वक पूजन करते हैं उनके सभी संकट दूर होते हैं तथा हर मनोकामना पूर्ण होती है। 

Khar maas katha
 

सम्बंधित जानकारी

Show comments

ज़रूर पढ़ें

Astrology 2026: सूर्य गोचर 2026 की मुख्य तिथियां

Budh vakri gochar 2025: बुध ग्रह ने चली वक्री चाल, जानिए क्या होगा 12 राशियों का राशिफल

Nag Diwali 2025: नाग दिवाली क्या है, क्यों मनाई जाती है?

Dreams and Destiny: सपने में मिलने वाले ये 5 अद्‍भुत संकेत, बदल देंगे आपकी किस्मत

Sun Transit 2025: सूर्य के वृश्‍चिक राशि में जाने से 5 राशियों की चमक जाएगी किस्मत

सभी देखें

नवीनतम

Pradosh Vrat December 2025: दिसंबर माह में पड़ेंगे दो प्रदोष व्रत, जानें महत्वपूर्ण तिथियां और महत्व

Mesh Rashi Varshik rashifal 2026 in hindi: मेष राशि 2026 राशिफल: बृहस्पति से मिलेगा साढ़ेसाती को काबू में रखने का उपाय

Agahan Maas: पुण्य फलदायक है मार्गशीर्ष अमावस्या, जानें इस माह से जुड़ी पौराणिक कथा, जानकारी

Mulank 2: मूलांक 2 के लिए कैसा रहेगा साल 2026 का भविष्य?

Lal Kitab Mithun Rashifal 2026: मिथुन राशि (Gemini)- शनि कराएगा कड़ी मेहनत और गुरु देगा उसका अप्रत्याशित फल

अगला लेख