शुरू हो चुका है खरमास, जानिए खरमास में सूर्य का रथ कौन खींचता है

Webdunia
खरमास इस बार 16 दिसंबर, 2019 से लग गया है जो कि मकर संक्रांति यानि 15 जनवरी, 2020 को खत्म होगा. खरमास में शादी-विवाह के साथ-साथ सभी तरह के शुभ कार्य बंद हो जाते हैं। ज्योतिष के अनुसार, सूर्य हर एक राशि में पुरे एक महीने या 30 से 31 दिन के लिए रहता है।

12 महीनों में सूर्य ज्योतिष की 12 राशियों में प्रवेश करता है। 12 राशियों में भ्रमण करते हुए जब सूर्य देव गुरु बृहस्पति की राशि धनु या मीन में प्रवेश करता है तो उस स्थिति को खरमास कहते हैं। इसकी शुरुआत 16 दिसंबर 2019 दिन सोमवार से हो गई है। 
खरमास में न करें ये काम
खरमास को शुभ समय नहीं माना जाता है। खरमास में क्रोध और उग्रता की अधिकता होती है। साथ ही इस दौरान सभी में विरोधाभास और वैचारिक मतभेद के साथ मानसिक बेचैनी भी अधिक देखने को मिलती है। ऎसे में कुछ शुभ कार्यों को इस समय करने की मनाही बताई गई है। खरमास में शादी-विवाह के कार्य नहीं करने की सलाह दी जाती है। इस समय विवाह इत्यादि होने पर संबंधों में मधुरता की कमी आ सकती है और किसी न किसी कारण सुख का अभाव बना रहता है। खरमास में कोई मकान इत्यादि खरीदना या कोई संपत्ति की खरीदी करना शुभ नहीं माना जाता है। इस मास के दौरान नया वाहन भी नहीं खरीदना चाहिए। अगर इस समय पर कोई वाहन इत्यादि की खरीद की जाती है तो उक्त वाहन से संबंधित कष्टों को झेलना पड़ सकता है। 
खरमास में करें ये काम
खरमास में सूर्य का गुरु की राशि में गोचर होने के कारण ये समय पूजा-पाठ के लिए उपयोगी होता है। इस समय मंत्र जाप इत्यदि काम करना उत्तम माना गया है। अनुष्ठान से जुड़े काम इस समय किए जा सकते हैं इस दौरान पितरों से संबंधित श्राद्ध कार्य करना भी अनुकूल माना गया है। दान इत्यादि करना इस मास में शुभ फलदायक बताया गया है। खरमास के दौरान जल का दान भी बहुत महत्व रखता है इस समय के दौरान पवित्र नदियों में स्नान का महत्व बताया जाता है। इस समय पर ब्रह्म मूहूर्त समय किए गए स्नान को शरीर के लिए बहुत उपयोगी माना गया है। 
खरमास की पौराणिक कथा 
खरमास को लेकर एक पौराणिक कथा काफी प्रचलित है। जिसके अनुसार भगवान सूर्यदेव सात घोड़ों के रथ पर सवार होकर लगातार ब्रह्मांड की परिक्रमा करते रहते हैं। उन्हें कहीं पर भी रूकने की इज़ाजत नहीं है क्योंकि उनके रूकते ही जन-जीवन भी ठहर जाएगा। लेकिन जो घोड़े उनके रथ में जुड़े होते हैं वे लगातार चलने व विश्राम न मिलने के कारण भूख-प्यास से बहुत थक जाते हैं। उनकी इस दयनीय दशा को देखकर सूर्यदेव का मन भी द्रवित हो गया।
 
भगवान सूर्यदेव उन्हें एक तालाब के किनारे ले गये लेकिन उन्हें तभी यह भी आभास हुआ कि अगर रथ रूका अनर्थ हो जाएगा। लेकिन घोड़ों का सौभाग्य कहिए कि तालाब के किनारे दो खर मौजूद थे। भगवान सूर्यदेव घोड़ों को पानी पीने व विश्राम देने के लिए छोड़ देते हैं और खर यानि गधों को अपने रथ में जोड़ लेते हैं। अब घोड़ा घोड़ा होता है और गधा गधा, रथ की गति धीमी हो जाती है फिर भी जैसे तैसे एक मास का चक्र पूरा होता है तब तक घोड़ों को भी विश्राम मिल चुका होता है इस तरह यह क्रम चलता रहता है और हर सौर वर्ष में एक सौर मास खर मास कहलाता है।

सम्बंधित जानकारी

Show comments

ज़रूर पढ़ें

lunar eclipse 2025: वर्ष 2025 में कब लगेगा चंद्र ग्रहण, जानिए कहां नजर आएगा

Makar Rashi Varshik rashifal 2025 in hindi: मकर राशि 2025 राशिफल: कैसा रहेगा नया साल, जानिए भविष्‍यफल और अचूक उपाय

Budh vakri 2024: बुध वृश्चिक में वक्री, 3 राशियों को रहना होगा सतर्क

Dhanu Rashi Varshik rashifal 2025 in hindi: धनु राशि 2025 राशिफल: कैसा रहेगा नया साल, जानिए भविष्‍यफल और अचूक उपाय

विवाह के बाद गृह प्रवेश के दौरान नई दुल्हन पैर से क्यों गिराती है चावल से भरा कलश? जानिए क्या है इस रस्म के पीछे का कारण

सभी देखें

नवीनतम

मार्गशीर्ष माह के हिंदू व्रत और त्योहारों की लिस्ट

श्रीयंत्र को सही विधी से स्थापित करने से हो सकते हैं मालामाल वर्ना जरा सी गलती से हो सकता है भारी नुकसान

Malmas : दिसंबर में कर लें विवाह नहीं तो लगने वाला है मलमास, जानें क्या करें और क्या नहीं

घर के मंदिर में कितनी होनी चाहिए मूर्तियों की ऊंचाई? पूजा घर के इन नियमों की जानकारी है बेहद ज़रूरी

कछुआ रिंग पहनते समय भूलकर भी ना करें ये गलती, फायदे की जगह हो सकता है नुकसान, जानें इसे पहनने के नियम

अगला लेख