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कुंभ मेले में 71 साल बाद बन रहा है विलक्षण संयोग, मौनी अमावस्या पर होगा शाही स्नान

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कुंभ मेले में सबसे ज्यादा महत्व है शाही स्नान का है। कुंभ का यह स्नान जन्म और मृत्यु के चक्र से मुक्ति दिलाता है। कुंभ मेला का दूसरा प्रमुख शाही स्नान पर्व मौनी अमावस्या चार फरवरी को है। इस बार सोमवती व मौनी अमावस्या पर महोदय योग बन रहा है। यह दुर्लभ योग 71 वर्ष बाद कुंभ के दौरान बन रहा है। अनुमान है कि दूसरे शाही स्नान में संगम पर डुबकी लगाने वाले श्रद्धालुओं की संख्या लगभग 4 करोड़ के आसपास हो सकती है। 
 
मौनी अमावस्या के शुभ मुहूर्त पर डुबकी लगा पाने के लिए लोग 1-2 दिन पहले से पूरे सामान के साथ प्रयागराज पहुंचने लगे हैं। इस योग में गंगा स्नान, दान पुण्य करने से राहु, केतु व शनि से संबंधित कष्टों से मुक्ति मिलेगी। मौनी अमावस्या के शुभ मुहूर्त के बारे में कहा जा रहा है कि अमावस्या तिथि सोमवार, 4 फरवरी 2019 को है। यह अमावस्या तिथि 3 फरवरी 2019 को 23:52 बजे से आरंभ होगी। अमावस्या तिथि 5 फरवरी 2019 को 02:33 बजे समाप्त होगी। 
 
अमावस्या के साथ-साथ सोमवती अमावस्या का अद्भुत संयोग बन रहा है। महोदय योग में गंगा, यमुना व अदृश्य सरस्वती के पावन त्रिवेणी तट पर स्नान करने, पूजा-पाठ करने और दान करने से अन्य दिनों में किए गए स्नान-दान से कई गुना अधिक पुण्य फल साधक को मिलेगा। इस दिन दान का विशेष महत्व है। मौनी अमावस्या पर मौन रहकर डुबकी लगाने पर अनंत फल प्राप्त होता है। 
 
ज्योतिषीय गणना के अनुसार कुंभ के दौरान महोदय योग इससे पहले नौ फरवरी 1948 के कुंभ में बना था। इस बार अमृत का ग्रह चंद्रमा अपने ही नक्षत्र में होगा। देव गुरु बृहस्पति और दैत्य गुरु शुक्र के बीच सुंदर संबंध बने रहेंगे। राहु और बृहस्पति एक साथ होंगे और शनि व सूर्य के संबंध की वजह से मौनी अमावस्या पर्व लाभकारी सिद्ध होगा। ग्रहों का अद्भुत संयोग अमावस्या को और भी अधिक खास बना रहा है। सबसे बड़ी बात यह है कि सोमवार को अमावस्या है, जिसे सोमवती अमावस्या के नाम से जाना जाता है। इसमें सर्वार्थ सिद्धि योग जुड़ रहा है।  
 
रामचरित मानस में तुलसीदास लिखते हैं कि 'माघ मकर गति रवि जब होई, तीरथ पतिहि आव सब कोहि। एहि प्रकार भरि माघ नहाई, पुनि सब निज निज आश्रम जाहि।।' सोमवार चंद्रमा का दिन है, इस दिन सूर्य तथा चंद्र एक ही राशि पर विराजमान रहते हैं। माना जाता है कि प्रयागराज में होने वाला कुंभ प्रकाश की ओर ले जाता है, यह एक ऐसा स्थान है जहां बुद्धिमत्ता के प्रतीक सूर्य का उदय होता है। हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार त्रिवेणी संगम के पवित्र जल में डुबकी लगाकर मनुष्य अपने समस्त पापों को धो डालता है।  

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