कुंडली में नौकरी या व्यापार, जानिए 9 बातें आपको क्या होगा फलीभूत

अनिरुद्ध जोशी
गुरुवार, 21 नवंबर 2019 (16:18 IST)
बहुत से लोगों के मन में दुविधा होती है कि उसे नौकरी करना चाहिए या कि व्यापार। नौकरी में प्राइवेट नौकरी करना चाहिए या सरकारी? व्यापार फलीभूत होगा तो कौनसा व्यापार करना चाहिए? इन्हीं प्रश्नों के समाधान के लिए यहां प्रस्तुत है कुछ सामान्य जानकारी।
 
कुंडली में क्या है नौकरी या व्यापरा का भाव : कहते हैं कि दशभ भाव से पता चलता है कि व्यक्ति क्या करेगा, ग्यारहवें भाव से पता चलता है कि व्यक्ति क्या कमाएगा और दूसरे भाव से पता चलता है कि व्यक्ति कितना बचा पाएगा। कुंडली में दशम भाव से देखा जाता है कि व्यक्ति क्या करेगा। 
 
दशम भाव : दशम भाव के स्वामी को दशमेश या कर्मेश या कार्येश कहते हैं। इस भाव से यह देखा जाता है कि व्यक्ति सरकारी नौकरी करेगा अथवा प्राइवेट, या व्यापार करेगा तो कौन सा, उसे किस क्षेत्र में अधिक सफलता मिलेगी। सप्तम भाव साझेदारी का होता है। इसमें मित्र ग्रह हों तो पार्टनरशिप से लाभ। शत्रु ग्रह हो तो पार्टनरशिप से नुकसान। मित्र ग्रह सूर्य, चंद्र, बुध, गुरु होते हैं। शनि, मंगल, राहु, केतु ये आपस में मित्र होते हैं।
 
 
सूर्य, बुध, गुरु और शनि दशम भाव के कारक ग्रह हैं। दशम भाव में केवल शुभ ग्रह हों तो अमल कीर्ति नामक योग होता है, किंतु उसके अशुभ भावेश न होने तथा अपनी नीच राशि में न होने की स्थिति में ही इस योग का फल मिलेगा। दशमेश के बली होने से जीविका की वृद्धि और निर्बल होने पर हानि होती है। लग्न से द्वितीय और एकादश भाव में बली एवं शुभ ग्रह हो तो जातक व्यापार से अधिक धन कमाता है। धनेश और लाभेश का परस्पर संबंध धनयोग का निर्माण करता है। दशम भाव का कारक यदि उसी भाव में स्थित हो अथवा दशम भाव को देख रहा हो तो जातक को आजीविका का कोई न कोई साधन अवश्य मिल जाता है।
 
 
दशम भावस्थ नवग्रह फलः-
सूर्यः- दसवें भाव में स्थित वृश्चिक राशि का सूर्य चिकित्सा अधिकारी बनाता है। मेष, कर्क, सिंह या धनु राशि का सूर्य सेना, पुलिस या आवकारी अधिकारी बनाता है।
 
चंद्रः- शुभ प्रभाव में बली चंद्र यदि दशमस्थ हो तो धनी कुल की स्त्रियों से लाभ होता है। यदि ऐसा व्यक्ति दैनिक उपयोग में आनेवाली वस्तुओं का व्यापार करे तो लाभप्रद होता है। चंद्र से मंगल या शनि की युति विफलता का सूचक है।
 
 
मंगलः- मेष, सिंह, वृश्चिक या धनु राशि का मंगल जातक को प्राइवेट चिकित्सक और सर्जन बनाता है। ऐसे डाक्टरों को मान-सम्मान और धन की प्राप्ति होती है। मंगल का सूर्य से संबंध हो तो व्यक्ति सुनार या लोहार का काम करता है।
 
बुधः- लग्नेश, द्वितीयेश, पंचमेश, नवमेश या दशमेश होकर कन्या या सिंह राशि का बुध गुरु से दृष्ट या युत हो तो व्यक्ति प्रोफेसर या लेक्चरर बनकर धन अर्जित करता है। बुध बैंकर भी बनाता है। बुध शुक्र के साथ या शुक्र की राशि में हो तो जातक फिल्म या विज्ञापन से संबंधित व्यवसाय करता है।
 
 
गुरुः- गुरु का संबंध जब नवमेश से हो तो व्यक्ति धार्मिक कार्यों द्वारा धन अर्जित करता है। गुरु मंगल के प्रभाव में हो तो जातक फौजदारी वकील बनता है। बलवान और राजयोगकारक हो तो जातक न्यायाधीश बना देता है।
 
शुक्रः- जातक सौंदर्य प्रसाधन सामग्री, फैंसी वस्तुओं आदि का निर्माता/विक्रेता होता है। शुक्र का संबंध द्वितीयेश, पंचमेश या बुध से हो तो गायन-वादन के क्षेत्र में सफलता मिलती है।
 
 
शनिः- शनि का संबंध यदि चतुर्थ भाव या चतुर्थेश से हो तो जातक लोहे, कोयले मिट्टी के तेल आदि के व्यापार से धन कमाता है। बलवान शनि का मंगल से संबंध हो तो जातक इलेक्ट्रीक/इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियर होता है। यदि बुध से संबंध हो तो मेकैनिकल इंजीनियर होता है। शनि का राहु से संबंध हो तो व्यक्ति चप्पल, जूते, रेक्सिन बैग, टायर-ट्यूब आदि के व्यापार में सफल होता है।
 
राहुः- दशम भाव में मिथुन राशि का राहु राजनीति के क्षेत्र में सफलता दिलाता है। ऐसा जातक सेना, पुलिस, रेलवे में या राजनेता के घर नौकरी करता है।
 
 
केतुः- धनु या मीन राशि का दशमस्थ केतु व्यापार में सफलता, वैभव, धन और यश का सूचक है। ऊपर वर्णित बिंदुओं के आधार पर अपने अनुकूल आजीविका का निर्णय करें। शुभ/ योगकारक ग्रहों की महादशा में उनसे या जिन ग्रहों से उनका संबंध हो उनसे संबंधित व्यवसाय करने पर अच्छा लाभ होता है। आजीविका हेतु अनिष्ट ग्रहों की शांति के लिए मंत्र, यंत्र, रत्न, दान और पूजा अर्चना आदि समय-समय पर करते रहना चाहिए।
 
 
1.यदि लग्न सप्तम, दशम भाव का कार्येश हो तब जातक को कारोबार के द्वारा धनार्जन होगा और यदि षष्ठ और दशम का कार्येश हो तो नौकरी से धन अर्जित करेगा।
 
2.तृतीय भाव का कार्येश हो तो लेखन, छपाई, एजेंसी, कमीशन एजेंट, रिपोर्टर, सेल्समेन और संस्‍थाओं से धन प्राप्त होगा। मतलब यह कि वह इस क्षेत्र में अपना करियर बनाएगा।
 
 
3.अगर द्वितीय और पंचम का कार्येश हो तो जमीन, घर, बगीचे, वाहन और शिक्षा संस्थानों से धन प्राप्त करेगा। इसके अतिरिक्त नाटक, सिनेमा, ढोल, रेस, जुआ, मंत्र, तंत्र और पौरोहित्य कर्म से धन अर्जित करेगा।
 
4.यदि द्वितीय और सप्तम का कार्येश हो तो विवाह, विवाह मंडल, पार्टनरशिप और कानूनी सलाहकार के कार्य से धन अर्जित करेगा।
 
5.यदि दशम भाव में एक से अधिक ग्रह हों और उसमें से जो ग्रह सबसे अधिक बलवान होगा जातक उसके अनुसार ही व्यापार करेगा। जैसे दशम भाव में मंगल बलवान हो तो जातक प्रॉपर्टी, निवेश आदि का व्यवसाय करेगा अथवा पुलिस या सेना में जाएगा। 
 
7.यदि दशम भाव में कोई ग्रह न हो तो दशमेश यानी दशम भाव के स्वामी के अनुसार व्यापार तय होगा। यदि दशम भाव में शुक्र हो तो व्यक्ति कॉस्मेटिक्स, सौंदर्य प्रसाधन, ज्वेलरी आदि के कार्यों से लाभ अर्जित करता है। दशम भाव का स्वामी जिन ग्रहों के साथ होता है उनके अनुसार व्यक्ति व्यापार करता है।
 
8. सूर्य के साथ गुरु हो तो व्यक्ति होटल व्यवसाय, अनाज आदि के कार्य से लाभ कमाता है। एकादश भाव आय स्थान है। इस भाव में मौजूद ग्रहों की स्थिति के अनुसार व्यापार तय किया जाता है।
 
 
9.जन्मकुंडली में कोई ग्रह जब लग्नेश, पंचमेश या नवमेश होकर दशम भाव में स्थित हो, या दशमेश होकर किसी भी त्रिकोण (1, 5, 9 भावों) में, या अपने ही स्थान में स्थित हो तो व्यक्ति की आजीविका के पर्याप्त साधन होते हैं। वह व्यवसाय या नौकरी में अच्छी प्रगति करता है। दशमेश या दशम भावस्थ ग्रह का बल और शुभता दोनों उसके शुभफलों में द्विगुणित वृद्धि करते हैं।

सम्बंधित जानकारी

Show comments

ज़रूर पढ़ें

ज्योतिष की नजर में क्यों है 2025 सबसे खतरनाक वर्ष?

Indian Calendar 2025 : जानें 2025 का वार्षिक कैलेंडर

Vivah muhurat 2025: साल 2025 में कब हो सकती है शादियां? जानिए विवाह के शुभ मुहूर्त

रावण का भाई कुंभकरण क्या सच में एक इंजीनियर था?

शुक्र का धन राशि में गोचर, 4 राशियों को होगा धनलाभ

सभी देखें

नवीनतम

Aaj Ka Rashifal: आज क्‍या कहते हैं आपके तारे? जानें 22 नवंबर का दैनिक राशिफल

22 नवंबर 2024 : आपका जन्मदिन

22 नवंबर 2024, शुक्रवार के शुभ मुहूर्त

Kanya Rashi Varshik rashifal 2025 in hindi: कन्या राशि 2025 राशिफल: कैसा रहेगा नया साल, जानिए भविष्‍यफल और अचूक उपाय

विवाह में आ रही अड़चन, तो आज ही धारण करें ये शुभ रत्न, चट मंगनी पट ब्याह के बनेंगे योग

अगला लेख