महाष्टमी पर किस समय करें हवन, जानिए सबसे शुभ मुहूर्त

अनिरुद्ध जोशी
नवरात्रि में वैसे तो नौ दिन ही हवन किया जाता है परंतु सप्तमी, अष्टमी और नवमी के दिन कई घरों में हवन करके ही व्रत का पारण किया जाता है। इसलिए यहां प्रस्तुत है महाष्टमी के दिन किए जाने वाले हवन का शुभ मुहूर्त।
 
ALSO READ: महाष्टमी : कोरोना लॉकडाउन में घर पर हवन कैसे करें
कब है महाष्टमी : पंचाग के अनुसार अक्टूबर 23, 2020 को 06:58:53 से अष्टमी आरम्भ होगी जो 24, 2020 को 07:01:02 पर समाप्त होगी। स्थानीय पंचांग भेद के अनुसार यह समय अलग अलग हो सकता है।
 
ऋषिकेश पंचांग के अनुसार 22 अक्टूबर दिन गुरुवार की दोपहर 1 बजकर 17 मिनट के बाद सप्तमी तिथि की शुरुआत हो गई है। सप्तमी तिथि 23 अक्टूबर शुक्रवार को दिन 12 बजकर 09 मिनट तक रहेगी। इसके बाद अष्टमी तिथि शुरू हो जाएगी और 24 अक्टूबर शनिवार को दिन में 11 बजकर 27 मिनट तक रहेगी। इसके बाद नवमी तिथि शुरू हो रही है जो 25 अक्टूबर रविवार को दिन में 11 बजकर 14 तक रहेगी, इसके बाद दशमी तिथि शुरू हो रही है, जो दूसरे दिन 26 अक्टूबर सोमवार को दिन में 11 बजकर 33 मिनट तक रहेगी। अतः 25 अक्टूबर को ही विजयदशमी पर्व का उत्सव मनाया जाएगा।
 
अष्टमी के हवन का मुहूर्त : महाष्टमी या दुर्गा अष्टमी के दिन हवन करते हैं तो दुर्गा अष्टमी का व्रत तिथि अनुसार 23 अक्टूबर शाम को प्रारंभ होकर 24 अक्टूबर सुबह तक रहेगा। हवन के लिए 24 अक्टूबर को सुबह 06 बजकर 58 मिनट से शाम को 05 बजकर 42 मिनट के बीच अच्छा मुहूर्त है। इस दिन अष्टमी और नवमी दोनों ही का हवन किया जा सकता है। 
 
नवरात्रि की नवमी तिथि का प्रारंभ 24 अक्टूबर दिन शनिवार को सुबह 06 बजकर 58 मिनट से हो रहा है, जो 25 अक्टूबर को सुबह 07 बजकर 41 मिनट तक है। ऐसे में नवमी 25 अक्टूबर को है तथा महानवमी का हवन भी रविवार की सुबह होगा। नवमी के दिन प्रात:काल में हवन के लिए 01 घंटा 13 मिनट का समय है। अत: आपको अष्टमी का हवन 24 अक्टूबर सुबह 06 बजकर 28 मिनट से प्रात:काल 07 बजकर 41 मिनट के मध्य कर लेना चाहिए परंतु इसका सबसे शुभ समय अभिजीत मुहूर्त है।
 
संधि पूजा : महाअष्टमी पर संधि पूजा होती है। यह पूजा अष्टमी और नवमी दोनों दिन चलती है। संधि पूजा में अष्टमी समाप्त होने के अंतिम 24 मिनट और नवमी प्रारंभ होने के शुरुआती 24 मिनट के समय को संधि काल कहते हैं। संधि काल का समय दुर्गा पूजा और हवन के लिए सबसे शुभ माना जाता है। क्योंकि यह वह समय होता है जब अष्टमी तिथि समाप्त होती है और नवमी तिथि का आरंभ होता है। मान्यता है कि, इस समय में देवी दुर्गा ने प्रकट होकर असुर चंड और मुंड का वध किया था।

तिथि : अष्टमी 23 अक्टूबर को शाम 06:58:53 से 24 अक्टूबर सुबह 7 बजकर 1 मिनट और 2 सेकंड तक रहेगी।
पक्ष : शुक्ल
नक्षत्र : श्रवण 26:38:27 तक
वार : शनिवार
ऋतु : हेमंत
करण : बव 7 बजकर 1 मिनट और 2 सेकंड तक बालव 19:17:46 तक।
योग : शूल - 24:40:07 तक
सूर्योदय : 06:27:51
सूर्यास्त : 17:42:15
चंद्रोदय : 13:54:59
चंद्रास्त : 24:41:00
सबसे शुभ समय : अभिजीत 11:42:35 से 12:27:32 तक
सर्वार्थ सिद्धि योग : 24 अक्टूबर को 6:25 प्रात: से रात्रि अंत तक
ALSO READ: Dussehra 2020 पर रावण दहन के सबसे अच्छे मुहूर्त कौन से हैं
ALSO READ: शारदीय नवरात्रि हवन कब करें, जानिए सबसे अच्छा मुहूर्त कौन सा है

सम्बंधित जानकारी

Show comments

Akshaya tritiya 2024: अक्षय तृतीया के दिन करें 5 अचूक उपाय, लक्ष्मी आएगी आपके द्वार

Bhagwat katha benefits: भागवत कथा सुनने से मिलते हैं 10 लाभ

Chanakya niti: चाणक्य के अनुसार इन 5 गुणों वाले लोग जल्दी बन जाते हैं धनवान

Dhan yog in Kundali : धन योग क्या है, करोड़पति से कम नहीं होता जातक, किस्मत देती है हर जगह साथ

Vastu Tips : घर में जरूर रखना चाहिए ये 5 वस्तुएं, किस्मत का ताला खुल जाएगा

01 मई 2024, बुधवार के शुभ मुहूर्त

Akshaya tritiya 2024: अक्षय तृतीया पर सोने के अलावा भी खरीद सकते हैं ये 5 चीजें

Akshaya tritiya 2024: अक्षय तृतीया के दिन करें 5 अचूक उपाय, लक्ष्मी आएगी आपके द्वार

May Birthday Horoscope: यदि आप मई में जन्मे हैं, तो जान लें अपने बारे में खास बातें

May 2024 Monthly Horoscope: 12 राशियों के लिए कैसा रहेगा मई का महीना, पढ़ें मासिक राशिफल

अगला लेख