नेम थेरेपी : रामायण से समझें नाम का महत्व (भाग 4)

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किसी व्यक्ति वस्तु, स्थान, पदार्थ, देश आदि को जानने और सरलता से उसे पहचानने हेतु प्राचीन काल से उसके नामकरण की प्रथा रही है। जिसका उल्लेख वेद पुराणों मे मिलता है। रामायण काल मे भी नाम रखने का उल्लेख इस चौपाई से मिलता हैः-
 
नामकरन कर अवसरू जानी। भूप बोलि पठए मुनि ग्यानी॥
 
अर्थात्‌ जब महाराज दशरथ जी के यहां यज्ञादि प्रयासों द्वारा साक्षात्‌ श्री हरि ने नर अवतार धारण किया तब वह नामकरण के लिए गुरु को बुलावा भेजते हैं। बड़े ही सोच-विचार कर ग्रहादि स्थिति को समझ कर महर्षि वशिष्ठ जी ने चारों भाइयों का नाम रखा। जिसमें बड़े भाई का नाम इस चौपाई द्वारा व्यक्त किया गया है। 
 
जो सुख धाम राम अस नामा। अखिल लोक दायक बिश्रामा॥
 
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इसी प्रकार भविष्य संबंधी पुराणों में तथा ज्योतिष ग्रंथों में नाम रखने के संदर्भ में वर्णन मिलता है। ज्योतिष के माध्यम से किसी जातक के जन्म समय के ग्रह-नक्षत्रों की स्थिति से बालक/ बालिका का नामाक्षर निकालकर उसका नामकरण किया जाता है। इसी प्रकार अंकशास्त्र में भी नाम नंबर, उसका प्रभाव, लाइफ पाथ नंबर आदि का विचार किया जाता है। जो कि उस व्यक्ति, वस्तु, स्थान, देश, पदार्थ, संस्था, व्यवसाय, कारोबार को प्रभावित करते हैं।
 
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नामकरण की विधा आज इतने लंबे अन्तराल के बावजूद भी अपने प्रभाव को कायम रखे हुए है। विज्ञान के क्षेत्र में भी यह आसानी से देखा जा सकता है कि वैज्ञानिक किसी खोज का नाम रखते समय बड़ी सावधानी बरतते हैं। उसे एक ऐसा नाम देते हैं जिससे उसे न सिर्फ सरलता से पहचाना जा सके बल्कि उसके महत्त्व को आसानी से बढ़ाया भी जा सके। 
 
नेम थेरेपी अंग्रेजी का शब्द है जिसकी उपयोगिता जीवन के विश्लेषण और सुधार से है। सरल शब्दों में व्यक्ति के नाम को सुधार कर उसके भाग्य में वृद्धि की जा सकती है। उसके प्रभाव से व्यक्ति अंकीय शक्ति से संचालित ब्रह्मांड की लौकिक ऊर्जा प्राप्त कर सकता है। 
 
नामाक्षर व अंक प्रभाव बड़ा ही चमत्कारी है। यदि किसी व्यक्ति का नामाक्षर और नामांक संयोग से अनुकूल है तो वह सेहतमंद रहते हुए विकास की राह पर बढ़ता है। उसके आचार-विचार व व्यवहार बड़े ही लोकप्रिय होते हैं। वैवाहिक जीवन में पति-पत्नी में आपसी प्यार व सहयोग रहता है। माता-पिता, भाई-बहन व अन्य परिजनों के साथ उसका तालमेल बना रहता है। वह व्यापारिक और सामाजिक रिश्ते बड़ी ही कुशलता से निभा लेता है। 
 
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किन्तु जिस व्यक्ति का नामाक्षर व नामांक आदि सही नहीं है वह कई प्रकार की पीड़ाओं, रोज आदि से ग्रस्त रहता है। उसके आचार-विचार व व्यवहार उपयुक्त नहीं होते। दाम्पत्य जीवन में कलह बढ़ने लगता है। व्यावसायिक व सामाजिक रिश्तों को सही ढंग से कायम नहीं रख पाता। 
 
नेम थेरपी के अन्तर्गत जातक के जन्म, समय व स्थान आदि पहलुओं का मूल्यांकन कर आवश्यकतानुसार उसे बदला जाता है। उसमें नए अंक व नामाक्षर द्वारा नई ऊर्जा का संचार किया जाता है। नेम थेरेपी से दाम्पत्य जीवन के झगड़ों को समाप्त करने में आश्चर्यजनक सफलता प्राप्त हुई है। अक्षर व अंकों को जोड़कर तालमेल स्थापित करने में नेम थेरेपी का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया जा रहा है। 
 
खासकर बिजनेस, ग्लैमर और फैशन की दुनिया में इस थेरेपी ने खासा कमाल दिखाया है। 
 
इसी प्रकार सेहत, माता-पिता, व्यक्तिगत रिश्तों तथा व्यावसायिक रिश्तों में नेम थेरेपी से मधुरता लाई जा रही है। आमदनी बढ़ाने और इच्छित प्रतियोगी क्षेत्रों में सफलता हेतु भी यह विधा बहुत सहायक है। 
 
आज कई नाम लेखन, राजनीति, कानून, आध्यात्म, संगीत, नृत्य, फिल्म, अभिनय, व्यापार, कला, उद्योग जगत में प्रख्यात हैं। कुछ शख्सियतों को नामाक्षर व नामांक की शक्ति ने इतना लोकप्रिय बना दिया कि देश-विदेश में उनके असंख्य प्रशंसक हैं। नेम थेरपी द्वारा आप भी नाम व नामांक की शक्ति को जान सकते हैं। 

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