जीवन में सुख, आनंद और शांति चाहते हैं आज करें बजरंग बली और यमराज की पूजा, नहीं रहेगा अकाल मृत्यु का भय

Webdunia
दीपावली पर्व के ठीक एक दिन पहले मनाई जाने वाली नरक चतुर्दशी को छोटी दीवाली भी कहा जाता है और इस दिन मृत्यु के देवता यमराज और हनुमान जी की पूजा की जाती है।
 
कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी (छोटी दीपावली) को नरक चतुर्दशी भी कहा जाता है। नरक चतुर्दशी को यमराज और बजरंगी बली हनुमान की भी पूजा-अर्चना की जाती हैं। मान्यता है कि आज के दिन ही बजरंग बली का जन्म हुआ था। 
 
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन अर्द्धरात्रि में हनुमान जी का जन्म अंजनी माता के गर्भ से हुआ था। यही कारण है कि हर तरह के सुख, आनंद और शांति की प्राप्ति के लिए नरक चतुर्दशी को बजरंग बली की उपासना लाभकारी होती है। 
 
इस दिन शरीर पर तिल के तेल का उबटन लगाकर स्नान करते हैं और इसके बाद हनुमान की विधि-विधान से पूजा-अर्चना करते हुए उन्हें सिंदूर चढ़ाया जाता है।
 
छोटी दीवाली के दिन घर के नरक यानी गंदगी को साफ किया जाता है। जहां सुंदर और स्वच्छ प्रवास होता है, वहां लक्ष्मी जी अपने कुल के साथ आगमन करती हैं। इस दिन यमराज के निमित्त एक दीपक दक्षिण दिशा की ओर मुख कर जलाया जाता है ताकि यमराज खुश रहें। अकाल मृत्यु न हो और नरक के बजाय विष्णुलोक में स्थान मिले।
 
नरक चतुर्दशी को लोग यमराज की पूजा कर अपने परिवार वालों के लिए नरक निवारण की प्रार्थना करते हैं। साथ ही गलतियों से बचने के लिए उनसे माफी मांगी जाती है। नरक चतुर्दशी को मुक्ति पाने वाला पर्व भी कहा जाता है। इस दिन लंबी आयु के लिए घर के बाहर यम का दीपक जलाने की परंपरा है। आज की रात जब घर के सभी सदस्य आ जाते हैं तो गृह स्वामी यम के नाम का दीपक जलाते हैं।
 
कई घरों में इस दिन रात को घर का सबसे बुजुर्ग सदस्य एक दीया जलाकर पूरे घर में घुमाता है और फिर उसे ले कर घर से बाहर कहीं दूर रख कर आता है। घर के अन्य सदस्य अंदर रहते हैं और इस दीये को नहीं देखते। यह दीया यम का दीया कहलाता है। माना जाता है कि पूरे घर में इसे घुमाकर बाहर ले जाने से सभी बुराइयां और कथित बुरी शक्तियां घर से बाहर चली जाती हैं।
    
इस रात दीये जलाने की प्रथा के संदर्भ में कई पौराणिक कथाएं और लोकमान्यताएं हैं। एक कथा के अनुसार आज के दिन ही भगवान श्री कृष्ण ने अत्याचारी और दुराचारी दुर्दांत असुर नरकासुर का वध किया था और सोलह हजार एक सौ कन्याओं को नरकासुर के बंदी गृह से मुक्त कर उन्हें सम्मान प्रदान किया था। इस उपलक्ष्य में दीयों की बारात सजाई जाती है। (वार्ता)
 

सम्बंधित जानकारी

Show comments

ज़रूर पढ़ें

महावीर स्वामी और गौतम बुद्ध में थीं ये 10 समानताएं

श्री महावीर जी: भगवान महावीर के अतिशय क्षेत्र की आध्यात्मिक यात्रा

सत्य, अहिंसा और ज्ञान का उत्सव: 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर की जयंती, जानें महत्व और कैसे मनाएं?

हनुमान जयंती पर कौन सा पाठ करें जिससे कि हनुमानजी तुरंत हो जाएं प्रसन्न

हनुमान जन्मोत्सव 2025: अपने करीबियों को भेजें बजरंगबली की भक्ति से भरी ये 20 सबसे सुंदर शुभकामनाएं

सभी देखें

नवीनतम

11 अप्रैल 2025, शुक्रवार के शुभ मुहूर्त

एसी और कूलर के बैगर गर्मी में घर को कैसे बनाएं रखें ठंडा, जानिए खास उपाय

हनुमान जयंती पर आजमाए हुए 5 अचूक उपाय, अलाबला से मिलेगी मुक्ति

अक्षय तृतीया कब है, जानिए खरीदारी के शुभ मुहूर्त

मेष संक्रांति: सौर माह का पहला महीना, जानिए महत्व

अगला लेख