Hanuman Chalisa

क्या वर्ष बदलने से बदलेगा आपका भाग्य...!

पं. हेमन्त रिछारिया
वर्ष 2023 अपने अस्ताचल की ओर अग्रसर है और नूतन वर्ष द्वार पर दस्तक दे रहा है। नवीन वर्ष के स्वागत के साथ ही जनमानस के मन में यह उत्कंठा होने लगी है कि नया वर्ष उनके जीवन में क्या परिवर्तन लाने वाला है। ज्योतिषाचार्यों की नए साल को लेकर गणनाएं उनकी इस  उत्सुकता को और अधिक बल दे रहीं हैं।

लेकिन क्या आप जानते हैं कि कैलेण्डर वर्ष बदलने से आपके भाग्य पर कोई विशेष प्रभाव नहीं पड़ता! यह एक प्रामाणिक तथ्य है। नए साल को लेकर की जाने वाली अधिकांश भविष्यवाणियां भ्रांतियों से अधिक कुछ नहीं हैं, विशेषकर वे जो जातक, राशि व लग्न के सम्बन्ध में की जा रही हों। ऐसा इसलिए भी है क्योंकि नए साल के मायने भी सभी धर्मों व समाजों में एक से नहीं है।

हिन्दू धर्म में नया वर्ष चैत्र से माना जाता है वहीं गुजरात में दीपावली से नवीन वर्ष की मान्यता है, कहीं अंग्रेजी महीने जनवरी से नया साल मनाया जाता है। प्रामाणिक तथ्य सदैव सार्वभौम होते हैं जैसे सूर्य का ताप, सूर्य की तपिश समस्त चराचर जगत को समग्ररूपेण एक सा प्रभावित करती है।
 
कुछ भविष्यसंकेत प्रामाणित व सटीक अवश्य होते हैं जैसे नवीन वर्ष में साढ़ेसाती व ढैय्या का प्रभाव, ग्रहण के बारे में जानकारी, गुरू व शुक्र अस्त, ग्रह गोचर इत्यादि। जातक के सम्बन्ध में वर्षफल का निर्धारण उसके स्वयं के जन्मदिवस से होता है ना कि कैलेण्डर के नववर्ष से। जातक के वर्षफल के निर्धारण में निम्न तत्व महती भूमिका निभाते हैं-
 
1. मुंथा- मुंथा का वर्षफल निर्धारण में विशेष महत्त्व होता है। मुंथा निर्धारण के लिए वर्ष लग्न में अपनी आयु के वर्ष जोड़कर 12 से भाग देने पर जो शेष बचता है उसी राशि की "मुंथा" होती है। वर्ष लग्न में  4,6,7,8,12 भावगत मुंथा शुभ नहीं होती। जबकि 1,2,3,5 भावगत मुंथा शुभ होती है। शुभ ग्रह से युत, शुभ ग्रह से दृष्ट एवं बलवान मुंथा सदैव शुभ होती है।
 
2. मुंथेश- मुंथा राशि के अधिपति ग्रह को "मुंथेश" कहते हैं। वर्षफल के निधार्रण में "मुंथेश" जन्म लग्नेश की ही भाँति महत्त्वपूर्ण होता है। वर्षकुण्डली में 4,6,8,12 भावगत मुंथेश शुभ नहीं होता। मुंथेश यदि पाप ग्रह से युत व दृष्ट हो तो परम अशुभफल देता है। मुंथेश यदि वर्षलग्न के अष्टमेश से युति करे तो कष्टदायक होता है।
 
3. वर्षलग्न- जन्मलग्न या जन्मराशि से अष्टम राशि का वर्षलग्न हो तो वर्ष में रोग व कष्ट होता है।
 
4. चन्द्रमा- वर्षकुण्डली में चन्द्रमा 1,6,7,8,12,भावों में पाप ग्रह से दृष्ट हो या पाप ग्रह से युत हो तो वर्ष में प्रबल अरिष्ट देता है। यदि वर्षकुण्डली में चन्द्रमा पर गुरू की दृष्टि हो तो अशुभता में अतीव कमी होकर शुभता में वृद्धि होती है।
 
5. वर्षकुण्डली- यदि वर्षकुण्डली में मुंथेश, वर्षेश और जन्म लग्नेश वर्ष कुण्डली में अस्त, नीचराशिगत, या पापग्रहों से युत हों या दृष्ट हों तो जातक का राजयोग भी सम्पूर्ण फलित नहीं होता।
 
उपर्युक्त तथ्यों से पाठकगण समझ ही गए होंगे कि नववर्ष की ज्योतिषीय गणनाएं कितनी सटीक व प्रामाणिक होती है। अत: नववर्ष के अवसर पर दिए जाने वाले राशिफल के सम्बन्ध में अपने स्वविवेक से निर्णय करें।
 
-ज्योतिर्विद् पं हेमन्त रिछारिया
प्रारब्ध ज्योतिष परामर्श केन्द्र
सम्पर्क: astropoint_hbd@yahoo.com
ALSO READ: Happy new year 2024 : भारत में एक वर्ष में कितने नववर्ष मनाए जाते हैं?

सम्बंधित जानकारी

Show comments

ज़रूर पढ़ें

वर्ष 2026 में होंगे भारत में ये 5 बड़े काम, जिनकी हो गई है अभी से शुरुआत

वर्ष 2026 कैसा रहेगा देश और दुनिया की 12 राशियों के लिए, सोना चांदी पर क्या होगा प्रभाव

January 2026: जनवरी 2026 के प्रमुख ग्रह गोचर राशि परिवर्तन

Horoscope 2026: नया साल आपकी किस्मत कैसे बदलेगा? जानें महत्वपूर्ण मौके, चुनौतियां और उपाय (वार्षिक राशिफल 2026)

Dhanu Rashi 2026: पराक्रम का राहु और अष्टम का गुरु मिलकर करेंगे भविष्य का निर्माण

सभी देखें

नवीनतम

30 December Birthday: आपको 30 दिसंबर, 2025 के लिए जन्मदिन की बधाई!

Aaj ka panchang: आज का शुभ मुहूर्त: 30 दिसंबर, 2025: मंगलवार का पंचांग और शुभ समय

Kundali me dhan yog: कुंडली में धन है या नहीं, कैसे जानें?

शनि साढ़ेसाती और ढैय्या 2026: किन राशियों पर भारी पड़ेगी 'टेढ़ी नजर' और क्या है लाल किताब के उपाय

Aaj Ka Rashifal: आज का दैनिक राशिफल: मेष से मीन तक 12 राशियों का राशिफल (29 दिसंबर, 2025)

अगला लेख