चल रहा है पंचक काल, जानिए कैसे रहें सावधान?

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फरवरी माह में पंचक काल 15 फरवरी से प्रारंभ हो गया है। यह पंचक गुरुवार की रात्रि 8 बजकर 39 मिनट से शुरू हुआ, जो 20 फरवरी, मंगलवार को दोपहर 2 बजकर 3 मिनट जारी रहेगा।
 
ज्ञात हो कि पंचक के अंतर्गत धनिष्ठा, शतभिषा, उत्तराभाद्रपद, पूर्वाभाद्रपद व रेवती नक्षत्र आते हैं। इन्हीं नक्षत्रों के मेल से बनने वाले विशेष योग को 'पंचक' कहा जाता है। ज्योतिष शास्त्रियों के अनुसार शुभ ग्रह और नक्षत्रों में किए गए कार्य शुभ फल देते हैं इसलिए हमेशा सही ग्रह-नक्षत्रों को देखकर ही कोई भी कार्य शुरू करना चाहिए।
 
ज्योतिष शास्त्र में पंचक को शुभ नक्षत्र नहीं माना जाता है। इसे अशुभ और हानिकारक नक्षत्रों का योग माना जाता है। अत: इन दिनों में विशेष संभलकर रहने की आवश्यकता होती है इसीलिए पंचक के दौरान कोई भी जोखिमभरा कार्य करने से बचना चाहिए। 
 
अगर पंचक बृहस्पतिवार/ गुरुवार से प्रारंभ होता है तो उसे ज्यादा अशुभ नहीं कहा जाता। अत: पंचक के मुख्य निषेध कर्मों को छोड़कर कोई भी कार्य किया जा सकता है। इस दौरान यात्रा संभलकर करनी चाहिए। अत: इस दौरान यात्रा, बड़ा व्यापारिक लेन-देन, व्यापार और किसी बड़े सौदे को करने से बचना चाहिए। अत: आर्थिक तौर से नुकसान से बचने के लिए इन दिनों विशेष सावधान रहने की आवश्यकता है। 
 
यह भी मान्‍यता है कि पंचक काल में कोई भी बुरा अथवा अच्‍छा कार्य 5 बार किया जाता है। खासतौर पर इन दिनों में कोई भी शुभ कार्य और बच्चों का मुंडन करने से बचना चाहिए।

- आरके

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