पंचक क्यों, कब और कैसे, जानिए नुकसान

Webdunia
24 जुलाई आषाढ़ मास खत्म हो गया है और 25 जुलाई से श्रावण महीने की शुरुआत हो गई है। श्रावण का पहला सोमवार 26 जुलाई को मनाया जा रहा है। इस पूरे महीने भर भगवान शिवजी की विशेष पूजा, व्रत-उपवास आदि किए जाते हैं। शिव पुराण के अनुसार श्रावण का सोमवार भगवान शिव का बहुत प्रिय दिन है। अत: श्रावण मास में पूरे विधि-विधान, बेलपत्र, कच्चा दूध, बिल्वपत्र आदि से पूजन करने से वे शीघ्र ही प्रसन्न होकर धन-संपन्नता का वरदान भी देते हैं। 
 
ज्योतिष में पंचक को शुभ नक्षत्र नहीं माना जाता है। इसे अशुभ और हानिकारक नक्षत्रों का योग माना जाता है। घनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वा भाद्रपद, उत्तरा भाद्रपद एवं रेवती नक्षत्रों के मेल से बनने वाले विशेष योग को पंचक कहा जाता है। जब चंद्रमा, कुंभ और मीन राशि पर रहता है, तब उस समय को पंचक कहते हैं। प्राचीन ज्योतिष शास्त्र में घनिष्ठा से रेवती तक जो 5 नक्षत्र (घनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वा भाद्रपद, उत्तरा भाद्रपद एवं रेवती) होते हैं, उन्हे पंचक कहा जाता है। 
 
ज्योतिष में आमतौर पर माना जाता है कि पंचक में कुछ कार्य विशेष नहीं किए जाते हैं। रविवार को शुरू होने वाला पंचक रोग पंचक कहलाता है। इसके प्रभाव से ये 5 दिन शारीरिक और मानसिक परेशानियों वाले होते हैं। इस पंचक में किसी भी तरह के शुभ कार्य नहीं करने चाहिए। हर तरह के मांगलिक कार्यों में ये पंचक अशुभ माना गया है।
 
इस बार श्रावण मास में 25 जुलाई से पंचक शुरू हो गया है, जो 30 जुलाई 2021 को समाप्त होगा। इस बार रविवार से शुरू होने वाले पंचक काल को रोग पंचक कहा जाता है। माना जाता है कि जिस पंचक की शुरुआत रविवार से होती है, उसमें 5 दिनों तक शारीरिक या मानसिक यातनाएं जातक को झेलनी पड़ सकती है। इस दौरान स्वास्थ्य पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है, ऐसी मान्यता है। 
 
शास्त्रों में निम्नलिखित 5 कार्य ऐसे बताए गए हैं जिन्हें करने से नुकसान हो सकता है। जानिए पंचक की खास बातें...
 
1. इस दिन यदि लकड़ी खरीदना अनिवार्य हो तो पंचक काल समाप्त होने पर गायत्री माता के नाम का हवन कराएं अन्यथा नुकसान होगा।
 
2. यदि मकान पर छत डलवाना अनिवार्य हो तो मजदूरों को मिठाई खिलने के पश्चात ही छत डलवाने का कार्य करें अन्यथा नुकसान होगा।
 
3. यदि पंचक काल में शव दाह करना अनिवार्य हो तो शव दाह करते समय पांच अलग पुतले बनाकर उन्हें भी आवश्य जलाएं अन्यथा मान्यता अनुसार परिवार या कुटुंब में पांच और व्यक्तियों पर मृत्यु का खतरा मंडराता है।
 
4. यदि पंचक काल में दक्षिण दिशा की यात्रा करना अनिवार्य हो तो हनुमान मंदिर में फल चढ़ाकर यात्रा प्रारंभ कर सकते हैं। ऐसा करने से पंचक दोष दूर हो जाता है।
 
5. यदि पंचक काल में पलंग या चारपाई लाना जरूरी हो तो पंचक काल की समाप्ति के पश्चात ही इस पलंग या चारपाई का प्रयोग करें अन्यथा नुकसान होगा। इन दिनों में अन्य कुछ कार्य विशेष नहीं किए जाते हैं, जैसे लंबी दूरी की यात्रा, व्यापार, लेन-देन, नया कार्य आदि। इस पंचक में शुभ कार्यों को त्यागना चाहिए क्योंकि यह समय हर तरह के शुभ कार्यों के लिए अशुभ माना गया हैं।
 
इस बार श्रावण माह का प्रारंभ अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार 25 जुलाई रविवार से शुरू होकर 26 जुलाई को पहला श्रावण सोमवार रहेगा। 22 अगस्त रविवार रक्षा बंधन के दिन श्रावण मास समाप्त हो जाएगा और भाद्रपद माह की शुरुआत हो जाएगी। 
 
इसके बाद दूसरा पंचक काल 22 अगस्त 2021 से 26 अगस्त 2021 तक रहेगा। 

ALSO READ: कावड़ यात्रा : एक कावड़िए को कितने नियमों का पालन करना चाहिए

 

सम्बंधित जानकारी

Show comments

Oldest religion in the world: दुनिया का सबसे पुराना धर्म कौनसा है?

Shukra Gochar : शुक्र करेंगे अपनी ही राशि में प्रवेश, 5 राशियों के लोग होने वाले हैं मालामाल

Mahabharat : महाभारत में जिन योद्धाओं ने नहीं लड़ा था कुरुक्षेत्र का युद्ध, वे अब लड़ेंगे चौथा महायुद्ध

Daan punya: यदि आप भी इस तरह से दान करते हैं तो कंगाल हो जाएंगे

Lakshmi prapti ke upay: माता लक्ष्मी को करना है प्रसन्न तो घर को इस तरह सजाकर रखें

Shukra Gochar : शुक्र करेंगे अपनी ही राशि में प्रवेश, 5 राशियों के लोग होने वाले हैं मालामाल

Mohini ekadashi 2024: मोहिनी एकादशी व्रत का प्रारंभ और पारण जानें

Lakshmi prapti ke achuk upay: यदि घर की महिला रोज ये काम करें तो घर में मां लक्ष्मी का होगा प्रवेश

Aaj Ka Rashifal: 18 मई का दिन क्या लाया है आपके लिए, पढ़ें अपनी राशि

18 मई 2024 : आपका जन्मदिन

अगला लेख