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इस प्रहर में लिया आपने जन्म तो होगा ये भविष्य

अनिरुद्ध जोशी
मंगलवार, 3 अप्रैल 2018 (17:28 IST)
भारतीय ज्योतिष ने सूर्य, ग्रह और नक्षत्र की चाल के अनुसार समय को बहुत अच्छे से परिभाषित और विभाजित किया है। आमतौर पर वर्तमान में सेकंड, मिनट, घंटे, दिन-रात, माह, वर्ष, दशक और शताब्दी तक की ही प्रचलित धारणा है, लेकिन ज्यो‍तिष में एक अणु,  तृसरेणु, त्रुटि, वेध, लावा, निमेष, क्षण, काष्‍ठा, लघु, दंड, मुहूर्त, प्रहर या याम, दिवस, पक्ष, माह, ऋतु, अयन, वर्ष (वर्ष के पांच भेद- संवत्सर, परिवत्सर, इद्वत्सर, अनुवत्सर, युगवत्सर), दिव्य वर्ष, युग, महायुग, मन्वंतर, कल्प, अंत में दो कल्प मिलाकर ब्रह्मा का एक दिन और रात, तक की वृहत्तर समय पद्धति निर्धारित है।
 
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व्यक्ति ने किस पक्ष की किस तिथि के किस प्रहर के किस मुहूर्त में जन्म लिया इससे उसका भविष्य निर्धारित होता है। फिर उक्त तिथि के दौरान आकाश में कौन-सा नक्षत्र भ्रमण कर रहा था, कौन-सा ग्रह किस राशि और नक्षत्र में भ्रमण कर रहा था, यह सब देखकर जातक के भूत और भविष्य का अनुमान लगाया जा सकता है। यहां प्रस्तुत है कि जातक ने किस प्रहर में जन्म लिया है तो उसका भविष्य या उसका चरित्र कैसा होगा।
 
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प्रहर क्या होते हैं?
दिन और रात के 24 घंटे में ज्योतिष मान्यता अनुसार 8 प्रहर होते हैं। औसतन एक प्रहर तीन घंटे या साढ़े सात घटी का होता है जिसमें दो मुहूर्त होते हैं। एक प्रहर एक घटी 24 मिनट की होती है। दिन के चार और रात के चार मिलाकर कुल आठ प्रहर। इसी के आधार पर भारतीय शास्त्रीय संगीत में प्रत्येक राग के गाने का समय निश्चित है। प्रत्येक राग प्रहर अनुसार निर्मित है।
 
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आठ प्रहर के नाम : 
दिन के चार प्रहर- 1.पूर्वान्ह, 2.मध्यान्ह, 3.अपरान्ह और 4.सायंकाल।
रात के चार प्रहर- 5.प्रदोष, 6.निशिथ, 7.त्रियामा एवं 8.उषा।
 
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*सुबह का प्रथम प्रहर
सूर्योदय के समय दिन का पहला प्रहर प्रारंभ होता है जिसे पूर्वान्ह कहा जाता है। इस दिन का प्रथम प्रहर भी कहते हैं। इसका समय सुबह के 6 बजे से 9 बजे के बीच का होता है। यह प्रहर आंशिक रूप से सात्विक और राजसिक होता है, लेकिन नकारात्मक नहीं। इस प्रहर में जन्म लेने वाले बच्चे जीवन में बहुत उन्नती करते हैं। हालांकि जीवन काल के प्रारंभ में थोड़ा बहुत इनका स्वास्थ गड़बड़ रहता है। इस प्रहर में जन्म लेने वाले बच्चे तेज बुद्धि के और सत्यवादी होते हैं।
 
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*सुबह का दूसरा प्रहर
दिन का दूसरा प्रहर जब सूरज सिर पर आ जाता है तब तक रहता है जिसे मध्याह्न कहते हैं। यह प्रहर सुबह 9 से दोपहर 12 बजे तक रहता है। यह शुद्ध रूप से रजोगुणी प्रहर होता है। इस प्रहर में जन्म लेने वाले बच्चों की राजनीति और प्रशासनिक कार्यों में रुचि रहती है। ऐसे प्रहर में जन्म लेने वाले बच्चे नेतृत्व करके खूब धन या यश कमाते हैं।
 
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*सुबह का तीसरा प्रहर
दिन के तीसरे प्रहर को अपरान्ह (दोपहर बाद) कहते हैं। यह समय दोपहर 12 बजे से 3 बजे के बीच तक का रहता है। यह तमोगुणी समय होता है। इस प्रहर में जन्म लेने वाले बच्चों को अपनी जीवन की शुरुआत में शिक्षा को लेकर संघर्ष करना होता है। शिक्षा में बाधाएं आती है। इस प्रहर में जन्म लेने वाला बच्चा जिद्दी भी होता है। हालांकि ऐसे बच्चों के स्वभाव को समझकर इनके साथ समझदारी से काम लिया जाए तो वे अपनी शिक्षा पूर्ण कर सकते हैं।
 
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*सुबह का चौथा प्रहर
दिन के चौथे और अंतिम प्रहर को सायंकाल कहते हैं। दोपहर 3 बजे से शाम 6 बजे के बीच का समय सायंकाल का होता है। यह प्रहर सात्विक तो होता है लेकिन इसमें तमोगुण की प्रधानता रहती है। कहते हैं कि इस समय में जन्म लेने वाले बच्चों में कला, संगीत, फिल्म, मीडिया, ग्लैमर जैसे क्षेत्रों में रुचि रहती है। यह भी देखा गया है कि इस समय में जन्म लेने वाले बच्चों के प्रेम विवाह की संभावना ज्यादा होती है। 
 
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*रात का प्रथम प्रहर
रात के प्रथम प्रहर को प्रदोष काल कहते हैं। शाम को 6 बजे से रात को 9 बजे तक का समय रात का प्रथम प्रहर होता है। इस प्रहर में सतोगुण की प्रधानता रहती है। इस प्रहर में जन्म लेने वालों को आमतौर पर आंखों और हड्डियों की समस्या हो सकती है। इस प्रहर में जन्म लेने वाले बच्चों में रहस्य या आध्यात्मिकता की ओर रूझान होता है।
 
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*रात का दूसरा प्रहर
रात के दूसरे प्रहर को निशिथ कहते हैं। यह प्रहर रात की 9 बजे से रात की 12 बजे के बीच का होता है। इस प्रहर में ता‍मसिक और राजसिक अर्थात दोनों ही गुणों की प्रधानता होती है लेकिन यह पूर्णत: नकारात्मक नहीं होता। इस प्रहर में जन्म लेने वालों बच्चों के अंदर कलात्मक क्षमता बहुत होती है। हालांकि देखा गया है कि उनकी शिक्षा में बाधा के योग बनते हैं। यदि शिक्षा पूर्ण नहीं होगी या शिक्षित नहीं होगा तो आगे का उसका भविष्य भी अंधकार से घिरा होगा ऐसा जरूरी नहीं है।
 
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*रात का तीसरा प्रहर
रात के तीसरे प्रहर को त्रियामा कहते हैं जो 12 बजे से रात के 3 बजे के बीच का होता है। इस मध्यरात्रि भी कहते हैं। यह समय शुद्ध रूप से तामिसक माना गया है। इस प्रहर में जो बच्चे जन्म लेते हैं वे अपने घर से दूर जाकर करियर में सफलता पाते हैं। यह भी देखा गया है कि उन बच्चों का अपने परिवार से अच्छा संबंध नहीं रहता इसीलिए भी वे घर परिवार से दूर ही रहते हैं। हालांकि यह उनके भविष्य के लिए अच्छा नहीं होता।
 
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*रात का चौथा प्रहर
इस प्रहर को उषा काल कहते हैं। रात के 3 बजे से सुबह के 6 बजे के बीच के समय को रात का अंतिम प्रहर भी कहते हैं। यह प्रहर शुद्ध रूप से सात्विक होता है। जिन बच्चों का जन्म इस प्रहर में हुआ है वे बौद्धिक रूप से सक्षम और तेजस्वी होते हैं। उनमें आध्यात्म को लेकर भी जिज्ञासा होती है। हालांकि वे दुनियादारी की बातों से दूर ही रहते हैं। वे अपना मुकाम खुद हासिल करते हैं।
 
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*संध्यावंदन : संध्यावंदन मुख्‍यत: दो प्रकार के प्रहर में की जाती है:- पूर्वान्ह और उषा काल। संध्या उसे कहते हैं जहां दिन और रात का मिलन होता हो। संध्यकाल में ही प्रार्थना या पूजा-आरती की जाती है ,यही नियम है। दिन और रात के 12 से 4 बजे के बीच प्रार्थना या आरती वर्जित मानी गई है।

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