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सावन मास का पहला प्रदोष कब है, जानें पूजा का मुहूर्त और संकट मुक्ति के 5 उपाय

WD Feature Desk
गुरुवार, 17 जुलाई 2025 (15:52 IST)
When is Sawan Pradosh 2025: सावन मास का पहला प्रदोष व्रत इस बार 22 जुलाई 2025, मंगलवार को है। यह व्रत मंगलवार के दिन होने के कारण इसे भौम प्रदोष व्रत के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन यानी मंगलवार को पड़ने वाला प्रदोष मंगल प्रदोष व्रत रोग निवारण, स्वास्थ्य लाभ हेतु बहुत महत्वूपर्ण माना गया है। ऋण चुकाने में भी यह बहुत मददगार है। आइए यहां जानते हैं श्रावण के पहले प्रदोष व्रत के मुहूर्त और 5 खास उपाय...ALSO READ: सावन मास में कितने और कब कब प्रदोष के व्रत रहेंगे, जानिए महत्व और 3 फायदे
 
सावन के पहला प्रदोष व्रत पर पूजा का शुभ मुहूर्त: Sawan Pradosh Vrat Muhurat 2025
 
इस दिन श्रावण कृष्ण त्रयोदशी का प्रारम्भ 22 जुलाई 2025 को सुबह 07:05 मिनट से होकर प्रदोष व्रत का समापन 23 जुलाई 2025, तड़के 04:39 मिनट पर होगा। 
 
इस दिन यानी 22 जुलाई 2025 को प्रदोष व्रत की पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 07 बजकर 18 मिनट से रात 09 बजकर 22 मिनट तक रहेगा। इस दौरान आपको पूजा के लिए लगभग 2 घंटे 4 मिनट का समय मिलेगा। भौम प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव और हनुमान जी की पूजा का विशेष महत्व है। संकटों से मुक्ति पाने के लिए आप ये उपाय कर सकते हैं:
 
प्रदोष व्रत के दिन करें संकट मुक्ति के 5 उपाय: Sawan Pradosh Vrat Ke Upay
 
1. शिवलिंग पर पंचामृत अभिषेक: भौम प्रदोष के दिन शिवलिंग का पंचामृत यानी दूध, दही, घी, शहद और गंगाजल मिलाकर इससे अभिषेक करें। साथ ही, 'ॐ नमः शिवाय' मंत्र का जाप करें। यह उपाय रोगों और दोषों को दूर करने में सहायक माना जाता है।
 
2. हनुमान जी को सिंदूर और चमेली का तेल: इस दिन हनुमान जी को सिंदूर चढ़ाकर चमेली के तेल का दीपक जलाएं। यह शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने और भय को दूर करने में मदद करता है।
 
3. पार्थिव शिवलिंग की पूजा: प्रदोष व्रत के दिन शाम को भोलेनाथ की पूजा करने से पहले पीपल के पेड़ की जड़ की मिट्टी घर ले आएं। उस मिट्टी से पार्थिव शिवलिंग बनाकर भगवान शिव की उपासना करें। अगले दिन इस पार्थिव शिवलिंग को किसी पवित्र नदी में प्रवाहित कर दें। ऐसा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
 
4. गरीबों को दान: इस दिन गरीबों या ब्राह्मणों को लाल वस्त्र, गुड़ या भोजन का दान करें। दान करने से जीवन में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं और शिव कृपा प्राप्त होती है।
 
5. हनुमान चालीसा और महामृत्युंजय मंत्र का पाठ: भौम प्रदोष व्रत के दिन हनुमान चालीसा के 7 पाठ और महामृत्युंजय मंत्र का 108 बार जाप करें। इससे रोग, भय और संकट से मुक्ति मिलती है।
 
इस प्रदोष व्रत को सही तरीके से करने से विशेष रूप से मंगल दोष नाश, संकट से मुक्ति, शिव कृपा और आध्यात्मिक उन्नति होती है। तथा यह व्रत कर्ज मुक्ति और धन वृद्धि के लिए भी बहुत लाभकारी माना जाता है। 
 
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