Festival Posters

सावन मास का गजानन संकष्टी चतुर्थी व्रत आज, जानें महत्व, मुहूर्त, पूजा विधि और चंद्रोदय का समय

WD Feature Desk
सोमवार, 14 जुलाई 2025 (10:01 IST)
Sawan Sankashti Chaturthi 2025: आज, 14 जुलाई 2025, श्रावण मास के पहले सोमवार के दिन सावन सोमवार व्रत के साथ ही गजानन संकष्टी चतुर्थी व्रत भी किया जा रहा है। यह दिन विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि आज सावन माह का पहला सोमवार भी है।ALSO READ: इस बार सावन सोमवार पर बन रहे हैं अद्भुत योग संयोग, 5 कार्य करने से मिलेगा लाभ

सावन के पहले सोमवार को गणेश चतुर्थी का यह संयोग अत्यंत शुभ फल देने वाला माना जाता है। चूंकि यह सावन के पहले सोमवार को पड़ रहा है, इसलिए इस दिन भगवान शिव और गणेश जी दोनों का आशीर्वाद प्राप्त होता है, जो दोगुना फलदायी माना जाता है।इस दिन भगवान गणेश और भगवान शिव दोनों की पूजा का विशेष महत्व है, क्योंकि गणेश जी शिव परिवार के ही अंग हैं।
 
14 जुलाई 2025: गजानन संकष्टी चतुर्थी व्रत के शुभ मुहूर्त
 
• श्रावण, कृष्ण चतुर्थी तिथि का प्रारंभ: 13 जुलाई 2025, रविवार, देर रात 01 बजकर 03 मिनट से
• चतुर्थी तिथि समाप्त: 14 जुलाई 2025, सोमवार, देर रात 11 बजकर 59 मिनट पर।
 
गजानन संकष्टी का चंद्रोदय का समय: 
गजानन संकष्टी चतुर्थी सोमवार, जुलाई 14, 2025 को, संकष्टी के दिन चंद्रोदय का समय- रात 10 बजकर 05 मिनट पर। यह समय अलग-अलग शहरों में समय थोड़ा भिन्न हो सकता है। 
 
पूजा के शुभ मुहूर्त:
• ब्रह्म मुहूर्त- तड़के 04:42 से 05:26 तक।
• अभिजित मुहूर्त- दोपहर 12:18 से 01:11 तक।
• शाम की पूजा का शुभ समय, गोधूलि मुहूर्त- शाम 07:18 से 07:40 मिनट तक।
राहुकाल: आज सुबह 07:30 बजे से 09:00 बजे तक रहेगा। राहुकाल में शुभ कार्य करने से बचना चाहिए।
 
गजानन संकष्टी चतुर्थी व्रत का महत्व: भगवान गणेश को विघ्नहर्ता और प्रथम पूज्य देव माना जाता है। किसी भी शुभ कार्य को शुरू करने से पहले गणेश जी की पूजा की जाती है ताकि कार्य निर्विघ्न संपन्न हो। संकष्टी चतुर्थी का व्रत भगवान गणेश को समर्पित है, और 'संकष्टी' का अर्थ है संकटों को हरने वाली।

गणेश जी बुद्धि और ज्ञान के देवता हैं, इस व्रत से बुद्धि और विवेक में वृद्धि होती है। इस व्रत को करने से भक्तों के जीवन से सभी प्रकार के संकट, बाधाएं और परेशानियां दूर होती हैं। घर में सुख, शांति, समृद्धि और खुशहाली आती है। भगवान गणेश की कृपा से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।ALSO READ: सावन सोमवार को शिवजी को किस समय, कैसे और किस दिशा में मुंह करके जलाभिषेक करें?
 
गणेश चतुर्थी व्रत की पूजा विधि: चतुर्थी व्रत का पालन सूर्योदय से लेकर चंद्रोदय तक किया जाता है। व्रत का पारण चंद्र दर्शन और चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही किया जाता है।
- गजानन संकष्टी गणेश चतुर्थी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- पूजा स्थल को अच्छी तरह साफ करें और गणेश जी की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें।
- व्रत का संकल्प लें कि आप पूरे दिन निष्ठापूर्वक व्रत का पालन करेंगे।
- गणेश जी की पूजा करें। भगवान गणेश को शुद्ध जल से अभिषेक कराएं।
- उन्हें सिंदूर, अक्षत, 21 गांठें दूर्वा, गुड़हल का फूल या लाल पुष्प, रोली, मौली, जनेऊ, अबीर-गुलाल, पान-सुपारी, लौंग और इलायची अर्पित करें।
- घी का दीपक जलाएं और धूप-अगरबत्ती करें।
- भगवान गणेश को उनके प्रिय मोदक या लड्डू का भोग लगाएं। तिल के लड्डू का भोग विशेष रूप से शुभ माना जाता है।
- 'ॐ गं गणपतये नमः' या 'वक्रतुंड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा।।' मंत्र का जाप करें।
- गणेश चालीसा और संकटनाशन स्तोत्र का पाठ करें।
- शाम की पूजा और चंद्र दर्शन हेतु शाम को प्रदोष काल में या चंद्रोदय से पहले एक बार फिर स्नान करें।
- भगवान गणेश की विधिवत पूजा करें और भोग लगाएं।
- चंद्रोदय होने पर छत पर या खुले स्थान पर जाएं।
- चंद्रमा को अर्घ्य दें। अर्घ्य के लिए लोटे में जल, दूध, चंदन और अक्षत मिलाएं।
- चंद्रमा को अर्घ्य देते समय 'ॐ सोमाय नमः' या 'ॐ चंद्राय नमः' मंत्र का जाप करें।
- चंद्रमा की पूजा के बाद भगवान गणेश का ध्यान करें और व्रत का पारण करें।
 
व्रत पारण के समय चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही व्रत का पारण करें। पारण के लिए सबसे पहले व्रत वाले व्यंजन, जैसे- साबूदाने की खिचड़ी, फल, दही आदि का सेवन करें। ध्यान रखें कि व्रत में फलाहार किया जाता है, अनाज का सेवन नहीं किया जाता। सेंधा नमक का प्रयोग ही करें। इस प्रकार, 14 जुलाई 2025 को पड़ने वाले गजानन संकष्टी चतुर्थी व्रत को सावन के पहले सोमवार के साथ मनाकर आप भगवान गणेश और भगवान शिव दोनों की विशेष कृपा प्राप्त कर सकते हैं।
 
अस्वीकरण (Disclaimer) : चिकित्सा, स्वास्थ्य संबंधी नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष, इतिहास, पुराण आदि विषयों पर वेबदुनिया में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं, जो विभिन्न सोर्स से लिए जाते हैं। इनसे संबंधित सत्यता की पुष्टि वेबदुनिया नहीं करता है। सेहत या ज्योतिष संबंधी किसी भी प्रयोग से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें। इस कंटेंट को जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है जिसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है।ALSO READ: Sawan 2025: सावन सोमवार व्रत के दिन इस विधि से करें शिव की पूजा, जानिए शुभ संयोग और पूजन मुहूर्त

सम्बंधित जानकारी

Show comments

ज़रूर पढ़ें

Astrology 2026: सूर्य गोचर 2026 की मुख्य तिथियां

Budh vakri gochar 2025: बुध ग्रह ने चली वक्री चाल, जानिए क्या होगा 12 राशियों का राशिफल

Nag Diwali 2025: नाग दिवाली क्या है, क्यों मनाई जाती है?

Dreams and Destiny: सपने में मिलने वाले ये 5 अद्‍भुत संकेत, बदल देंगे आपकी किस्मत

Sun Transit 2025: सूर्य के वृश्‍चिक राशि में जाने से 5 राशियों की चमक जाएगी किस्मत

सभी देखें

नवीनतम

Lal Kitab Vrishabha Rashifal 2026: वृषभ राशि (Taurus)- शनि और गुरु मिलकर देंगे रोग-शत्रुओं से मुक्ति, पर उपाय जानना है जरूरी

Aaj Ka Rashifal: आज का दैनिक राशिफल: मेष से मीन तक 12 राशियों का राशिफल (18 नवंबर, 2025)

18 November Birthday: आपको 18 नवंबर, 2025 के लिए जन्मदिन की बधाई!

Aaj ka panchang: आज का शुभ मुहूर्त: 18 नवंबर, 2025: मंगलवार का पंचांग और शुभ समय

Margashirsha Amavasya: मार्गशीर्ष अमावस्या कब है, 19 या 20 नवंबर? जानें शुभ मुहूर्त

अगला लेख