15 मई को है शनि जयंती, पढ़ें कथा क्यों है शनिदेव के पैर में पीड़ा

पं. हेमन्त रिछारिया
आगामी 15 मई 2018 को शनि जयंती है। नवग्रहों में शनिदेव को न्यायाधिपति का पद प्राप्त है। शनि का नाम सुनते ही जनमानस में भय व्याप्त हो जाता है। शनि की साढ़ेसाती व ढैय्या के आते ही व्यक्ति के जीवन में उथल-पुथल प्रारंभ हो जाती है। यद्यपि यह सच नहीं है किन्तु फ़िर भी ऐसी मान्यता है कि शनि की साढ़ेसाती व ढैय्या प्राय: कष्टप्रद ही होती है। 

ALSO READ: अथाह दौलत का मालिक और निरोगी बनाते हैं शनि के यह 5 मंत्र
 
शनि मन्द गति से चलते हैं, क्योंकि उनके एक पैर में पीड़ा है। शनि एक राशि में ढाई वर्ष तक रहते हैं। मन्द गति से चलने के कारण ही उन्हें शनैश्चर भी कहा जाता है। शनैश्चर अर्थात् "शनै:-शनै: चलने वाला ग्रह। लेकिन क्या आप जानते हैं कि शनि के एक पैर में तकलीफ क्यों है, यदि नहीं तो आज हम वेबदुनिया के पाठकों को इस पौराणिक कथा से अवगत कराते हैं। 
 

ALSO READ: शनिदेव को कैसे मिला नवग्रहों में सर्वश्रेष्ठ स्थान, पढ़ें पौराणिक कथा...

-प्राचीन काल में एक बड़े श्रेष्ठ व तपस्वी मुनि हुए हैं जिनका नाम ’पिप्पलाद’ था। पिप्पलाद मुनि के पिता पर जब शनि की साढ़ेसाती प्रारम्भ हुई तो उन्हें बहुत कष्ट हुआ। कष्ट इतना भयंकर था कि इस कष्ट के कारण पिप्पलाद मुनि के पिता की मृत्यु हो गई। जब अपनी माता से पिप्पलाद मुनि को अपने पिता की मृत्यु का कारण पता चला तो उन्हें शनिदेव पर बहुत क्रोध आया और उन्होंने ब्रह्मदण्ड का सं धान कर शनिदेव पर प्रहार किया। 

ALSO READ: आपने नहीं पढ़ी होगी शनिदेव की यह पौराणिक कथा...
 
शनिदेव को जब पिप्पलाद मुनि और ब्रह्मदण्ड के बारे में ज्ञात हुआ तब वे तीनों लोकों में शरण के लिए गए लेकिन उन्हें कहीं भी शरण नहीं मिली। तब शनिदेव भूतभावन चन्द्रमौलीश्वर भगवान शिव के पास गए और उन्हें पूरी कथा सुनाई। भगवान शिव ने शनिदेव को एक पीपल के वृक्ष पर छिपने का परामर्श दिया और पिप्पलाद मुनि को समझाया कि शनिदेव पर उनका क्रोध व्यर्थ है क्योंकि शनिदेव न्यायाधिपति होने के कारण केवल अपने कर्त्तव्य का निर्वहन कर रहे थे। 

ALSO READ: इन 10 छोटी बातों से भी हो जाते हैं शनि प्रसन्न
 
भगवान शिव के समझाने पर पिप्पलाद मुनि ने अपना क्रोध त्याग दिया। लेकिन ब्रह्मदंड को लौटाया नहीं जा सकता था इसलिए पिप्ललाद मुनि ने ब्रह्मदंड से शनिदेव की एक टांग को क्षतिग्रस्त कर उन्हें सदैव के लिए एक पैर से असमर्थ कर दिया। कथानुसार उसी दिन से शनिदेव लंगड़ाकर धीरे-धीरे चलने लगे। शनिदेव को भगवान शिव व पीपल ने शरण प्रदान की थी इसलिए शनिदेव ने भगवान शिव को यह वचन दिया कि साढ़ेसाती व ढैय्या की अवधि में जो उनकी अर्थात् भगवान शिव व पीपल की पूजा करेगा वे उसे कभी कष्ट नहीं देंगे। 
 
-ज्योतिर्विद् पं. हेमन्त रिछारिया
प्रारब्ध ज्योतिष परामर्श केन्द्र
सम्पर्क: astropoint_hbd@yahoo.com

ALSO READ: पौराणिक कथा : क्यों चढ़ता है शनिदेव को तेल

सम्बंधित जानकारी

Show comments

Jupiter Transit 2024 : वृषभ राशि में आएंगे देवगुरु बृहस्पति, जानें 12 राशियों पर क्या होगा प्रभाव

Politicians zodiac signs: राजनीति में कौनसी राशि के लोग हो सकते हैं सफल?

Budh margi: बुध के मार्गी होने पर इन राशियों की नौकरी में होगा प्रमोशन

Parashurama jayanti 2024: भगवान परशुराम जयंती कब है, जानें पूजा का शुभ मुहूर्त

Shukra asta 2024 : शुक्र के अस्त होते ही 3 राशियों वालों को मिलेगा अचानक से धन

अब कब लगने वाले हैं चंद्र और सूर्य ग्रहण, जानिये डेट एवं टाइम

वर्ष 2025 में क्या होगा देश और दुनिया का भविष्य?

Aaj Ka Rashifal: आज इन 4 राशियों को मिलेगा कार्यक्षेत्र में लाभ, जानें 26 अप्रैल का भविेष्यफल

26 अप्रैल 2024 : आपका जन्मदिन

26 अप्रैल 2024, शुक्रवार के शुभ मुहूर्त

अगला लेख