शनि प्रदोष व्रत बदल सकता है आपकी किस्मत, जानें महत्व और 5 लाभ

शनि प्रदोष का धार्मिक महत्व और व्रत के 5 फायदे जानें

WD Feature Desk
शनिवार, 24 मई 2025 (10:08 IST)
Shani Pradosh Vrat 2025: शनि प्रदोष व्रत हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है, जो प्रत्येक माह की त्रयोदशी तिथि को किया जाता है। जब यह व्रत शनिवार को पड़ता है, तो इसे शनि प्रदोष व्रत कहा जाता है। यह व्रत भगवान शिव और शनिदेव की पूजा-अर्चना के लिए समर्पित है। वर्ष 2025 में यह व्रत दिन शनिवार, 24 मई को पड़ रहा है।ALSO READ: किस देवता के लिए समर्पित है शनि प्रदोष व्रत, जानें पूजा के मुहूर्त और विधि
 
महत्व: शनि प्रदोष व्रत का महत्व भगवान शिव और शनि देव दोनों से जुड़ा है, जिससे इस व्रत का फल कई गुना बढ़ जाता है। यह व्रत भगवान शिव को समर्पित होने के कारण उनकी विशेष कृपा दिलाता है। श्रद्धा और भक्ति के साथ शनि प्रदोष व्रत का पालन करने से व्यक्ति को भगवान शिव और शनिदेव दोनों की कृपा प्राप्त होती है, जिससे जीवन के अनेक कष्ट दूर होते हैं और सुख-समृद्धि आती है। 
 
मान्यता है कि इस दिन व्रत और पूजा करने से महादेव और माता पार्वती प्रसन्न होते हैं और भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं। इस तरह भगवान शिव की कृपा जातक को प्राप्त होती है। चूंकि यह शनिवार को पड़ता है, इसलिए यह शनिदेव को भी प्रसन्न करता है। जिन व्यक्तियों पर शनि की साढ़ेसाती, ढैय्या या महादशा का प्रभाव चल रहा हो, उनके लिए यह व्रत बहुत लाभकारी माना जाता है। यह शनि के अशुभ प्रभावों को कम करने में मदद करता है। अत: यह शनि दोष से मुक्ति में लाभकारी व्रत माना गया है।
 
शनि प्रदोष व्रत से मनुष्य को निम्न 5 लाभ प्राप्त होते हैं...
 
1. संतान प्राप्ति: संतानहीन दंपत्तियों के लिए शनि प्रदोष व्रत बहुत शुभ माना जाता है। मान्यता है कि इसे करने से संतान सुख की प्राप्ति होती है।
 
2. आरोग्य और सुख-समृद्धि: यह व्रत आरोग्य प्रदान करता है और जीवन में सुख-समृद्धि तथा शांति लाता है।
 
3. राहु-केतु और कालसर्प दोष से मुक्ति: कुछ मान्यताओं के अनुसार, यह व्रत राहु, केतु और कालसर्प दोष के अशुभ प्रभावों से भी मुक्ति दिलाता है।ALSO READ: शनि जयंती पर करें ये 7 ज्योतिषीय उपाय, दूर होंगी बाधाएं
 
4. कष्टों का निवारण: जीवन में आने वाली सभी प्रकार की बाधाएं और कष्ट दूर होते हैं।
 
5. मोक्ष प्राप्ति देने वाला व्रत: कुछ मान्यताओं के अनुसार, जो व्यक्ति इस व्रत को श्रद्धापूर्वक करता है, उसे मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है।
 
अस्वीकरण (Disclaimer) : चिकित्सा, स्वास्थ्य संबंधी नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष, इतिहास, पुराण आदि विषयों पर वेबदुनिया में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं, जो विभिन्न सोर्स से लिए जाते हैं। इनसे संबंधित सत्यता की पुष्टि वेबदुनिया नहीं करता है। सेहत या ज्योतिष संबंधी किसी भी प्रयोग से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें। इस कंटेंट को जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है जिसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है।ALSO READ: शनि जयंती पर शनिदेव को लगाएं ये भोग, जानें कौन से और कैसे चढ़ाएं नैवेद्य

सम्बंधित जानकारी

Show comments

ज़रूर पढ़ें

वट सावित्री व्रत दो बार क्यों मनाया जाता है?

राशिनुसार विशेष उपाय: शनि जयंती पर पाएं भाग्य का साथ

प्रेमानंद महाराज ने गृहस्थ जीवन से पहले जीवनसाथी से कौन से सवाल पूछने की दी सलाह

वर्ष 2026 का भविष्यफल, जानिए क्या होने वाला है?

क्यों चर्चा में है पाकिस्तान के बलूचिस्तान में हिन्दुओं का पवित्र शक्तिपीठ हिंगलाज माता मंदिर, जानिए पौराणिक महत्त्व

सभी देखें

नवीनतम

Aaj Ka Rashifal: व्यापार, नौकरी, रोमांस, करियर और सेहत की जानकारी, पढ़ें कैसा गुजरेगा 24 मई का दिन

24 मई 2025 : आपका जन्मदिन

24 मई 2025, शनिवार के शुभ मुहूर्त

राहु के कुंभ में गोचर से 4 राशियों का 18 माह तक रहेगा गोल्डन टाइम

किस देवता के लिए समर्पित है शनि प्रदोष व्रत, जानें पूजा के मुहूर्त और विधि

अगला लेख