हैरान रह जाएंगे शंख की इन खूबियों को जानकर, वास्तुदोष से भी देता है राहत...

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समुद्र मंथन से प्राप्त चौदह रत्नों में एक रत्न शंख है। माता लक्ष्मी के समान शंख भी सागर से उत्पन्न हुआ है इसलिए इस माता लक्ष्मी का भाई भी कहा जाता है। हिन्दू धर्म में शंख को बहुत ही शुभ माना गया है। इसका कारण यह है कि माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु दोनों ही अपने हाथों में शंख धारण करते हैं। जनसामान्य में ऐसी धारणा है कि जिस घर में शंख होता है उस घर में सुख-समृद्धि आती है।
 
वास्तु विज्ञान भी इस तथ्‍य को मानता है कि शंख में ऐसी खूबियां हैं, जो वास्तु संबंधी कई समस्याओं को दूर करके घर में सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करता है जिससे घर में खुशहाली आती है। शंख की ध्वनि जहां तक पहुंचती है, वहां तक वायु शुद्ध और ऊर्जावान हो जाती है।
 
वास्तु विज्ञान के अनुसार सोई हुई भूमि भी नियमित शंखनाद से जग जाती है। भूमि के जागृत होने से रोग और कष्ट में कमी आती है तथा घर में रहने वाले लोग उन्नति की ओर बढ़ते रहते हैं। भगवान की पूजा में शंख बजाने के ‍पीछे भी यह उद्देश्य होता है कि आसपास का वातावारण शुद्ध व पवित्र रहे।
 
शंख के प्रकार
 
शंख मुख्यत: 3 प्रकार के होते हैं- दक्षिणावर्ती, मध्यावर्ती और वामावर्ती। इनमें दक्षिणावर्ती शंख दाईं तरफ से खुलता है। मध्यावर्ती बीच से और वामावर्ती बाईं तरफ से खुलता है। मध्यावर्ती शंख बहुत ही कम मिलते हैं। शास्त्रों में इसे अति चमत्कारिक बताया गया है। इन तीन प्रकार के शंखों के अलावा और भी अनेक प्रकार के शंख पाए जाते हैं, जैसे लक्ष्मी शंख, गरूड़ शंख, मणिपुष्पक शंख, गोमुखी शंख, देव शंख, राक्षस शंख, विष्णु शंख, चक्र शंख, पौंड्र शंख, सुघोष शंख, शनि शंख, राहु एवं केतु शंख।
 
शंख से वास्तुदोष मुक्ति 
 
शंख किसी भी दिन घर में लाकर पूजास्थल में रखा जा सकता है, लेकिन शुभ मुहूर्त विशेष तौर पर होली, रामनवमी, जन्माष्टमी, दुर्गा पूजा, दीपावली के दिन अथवा रवि पुष्य योग में इसे पूजा स्थल में रखकर इसी धूप-दीप से पूजा की जाए तो घर में वास्तु दोष का प्रभाव कम होता है।
 
शंख में गाय का दूध रखकर इसका छिड़काव घर में किया जाए तो इससे भी सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

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