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Som Pradosh 2025: सोम प्रदोष आज, जानें व्रत का महत्व, विधि और पूजा मुहूर्त

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WD Feature Desk

, सोमवार, 17 नवंबर 2025 (10:07 IST)
Som Pradosh Vrat 2025: सोम प्रदोष हिन्दू पंचांग के अनुसार, प्रत्येक माह के शुक्ल और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखा जाता है। जब यह व्रत सोमवार के दिन त्रयोदशी तिथि हो तब पड़ता है, तो उसे सोम प्रदोष कहा जाता है। यह व्रत विशेष रूप से भगवान शिव को समर्पित होता है और यह व्यक्ति के जीवन में शांति, सुख, समृद्धि और रोगों से मुक्ति दिलाने के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण माना जाता है।ALSO READ: Som pradosh vrat: सोम प्रदोष का व्रत रखने का महत्व और कथा
 
सोम प्रदोष व्रत का महत्व: सोम प्रदोष व्रत में विशेष रूप से भगवान शिव की पूजा की जाती है। इस दिन भगवान शिव के साथ-साथ देवी पार्वती और उनके पुत्र भगवान गणेश की पूजा भी की जाती है। यह व्रत व्यक्ति के पापों को धुलकर उसे पुण्य प्रदान करता है। साथ ही, यह व्रत आत्मा की शुद्धि के लिए भी अत्यंत लाभकारी है। इस व्रत से मानसिक और शारीरिक रोगों से मुक्ति मिलती है। माना जाता है कि सोम प्रदोष व्रत से स्वास्थ्य में सुधार और जीवन में समृद्धि आती है।
 
सोम प्रदोष व्रत विधि:
 
1. सोम प्रदोष व्रत का आरंभ प्रातःकाल स्नान करके करना चाहिए। इसके बाद भगवान शिव का पूजन करने का संकल्प लें।
 
2. सोम प्रदोष व्रत का सबसे उचित समय संध्याकाल या शाम का समय होता है। त्रयोदशी तिथि के संध्याकाल में व्रत का पूजन विशेष फलदायी होता है।
 
3. पूजन के दौरान शिवलिंग का शुद्धिकरण करके उस पर दूध, दही, शहद, चीनी, घी, और जल अर्पित करें। फिर, शिवजी का ध्यान करके 'ॐ नमः शिवाय' मंत्र का जाप करें।
 
4. पूजा में दीपक जलाना महत्वपूर्ण होता है। दीपक में घी या तेल का इस्तेमाल करें और उसे शिवलिंग के पास रखें।
 
5. पूजा के दौरान भगवान को मिष्ठान, फल, और शुद्ध खाद्य पदार्थ अर्पित करें। साथ ही, गाय का दूध और ताजा जल भी अर्पित करना शुभ होता है।
 
6. व्रतधारी अगर संभव हो, तो रात्रि को शिव का ध्यान करते हुए जागरण करें और 'ॐ नमः शिवाय' मंत्र का जाप करें।
 
पूजा मुहूर्त: सोम प्रदोष व्रत की पूजा का सर्वोत्तम समय संध्याकाल होता है। यह समय सूर्यास्त के बाद और रात्रि के मध्य के समय को माना जाता है, जो त्रयोदशी तिथि के दौरान होता है। व्रत का समय हर महीने के हिसाब से अलग-अलग होता है, इसलिए शुद्ध मुहूर्त के लिए पंचांग देखना आवश्यक होता है।
 
17 नवंबर, सोमवार: सोम कृष्ण प्रदोष व्रत पर पूजन के शुभ मुहूर्त: 
 
त्रयोदशी तिथि का आरंभ: 17 नवंबर, सुबह 04:47 बजे से,
त्रयोदशी तिथि समाप्त: 18 नवंबर, सुबह 07:12 बजे पर।
 
प्रदोष काल पूजा मुहूर्त: शाम 05:27 बजे से रात 08:06 बजे तक। 
अवधि - 02 घण्टे 40 मिनट्स
 
सोम प्रदोष व्रत की विशेष बातें:
 
* इस दिन व्रती केवल शाकाहारी भोजन ग्रहण करें और तामसिक पदार्थों से बचें।
* पूजा में एकाग्रता और श्रद्धा रखना जरूरी है।
* व्रती अगर व्रत रख रहे हैं, तो उन्हें अपने विचारों और कार्यों को भी पवित्र रखना चाहिए।
 
सोम प्रदोष व्रत के माध्यम से भगवान शिव की कृपा प्राप्त कर जीवन में खुशहाली और समृद्धि लाई जा सकती है। अगर कोई व्यक्ति किसी समस्या से जूझ रहा हो, तो इस व्रत से उसे समाधान मिलता है। खासकर वह लोग जो व्यापार, नौकरी या पारिवारिक समस्याओं से परेशान होते हैं, उन्हें इस व्रत का विशेष लाभ मिलता है।ALSO READ: सोम प्रदोष व्रत करने के 5 फायदे

अस्वीकरण (Disclaimer) : चिकित्सा, स्वास्थ्य संबंधी नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष, इतिहास, पुराण आदि विषयों पर वेबदुनिया में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं, जो विभिन्न सोर्स से लिए जाते हैं। इनसे संबंधित सत्यता की पुष्टि वेबदुनिया नहीं करता है। सेहत या ज्योतिष संबंधी किसी भी प्रयोग से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें। इस कंटेंट को जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है जिसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है।
 

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