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सोमवती अमावस्या : इन उपायों से दूर होगी दरिद्रता

कु. सीता शर्मा
* सोमवती अमावस्या का विधान जानिए... 
 

सोमवती अमावस्या के दिन 108 बार तुलसी की परिक्रमा करने से, ओंकार का जप करने से,  सूर्य नारायण को अर्घ्य देेने से, या यह सब एक साथ करने से घर से दरिद्रता भाग जाएगी। अगर यह संभव नहीं तो सिर्फ तुलसी की 108 बार प्रदक्षिणा करने से  भी मनचाही आर्थिक समृद्धि मिलती है। 

जिस अमावस्या को सोमवार हो, उसी दिन इस व्रत का विधान है। प्रत्येक मास एक अमावस्या आती है,  परंतु ऐसा बहुत ही कम होता है, जब अमावस्या सोमवार के दिन हो। यह स्नान, दान के लिए शुभ और  सर्वश्रेष्ठ मानी जाती है। 
 
ग्रंथों में कहा गया है कि सोमवार को अमावस्या बड़े भाग्य से ही पड़ती है। पांडव पूरे जीवन तरसते रहे,  परंतु उनके संपूर्ण जीवन में सोमवती अमावस्या नहीं आई। इस दिन को नदियों, तीर्थों में स्नान, गोदान,  अन्नदान, ब्राह्मण भोजन, वस्त्र आदि दान के लिए विशेष माना जाता है।
 
सोमवार चन्द्रमा का दिन है। इस दिन अमावस्या को सूर्य तथा चन्द्र एक सीध में स्थित रहते हैं इसलिए  यह पर्व विशेष पुण्य देने वाला होता है। सोमवार भगवान शिव का दिन माना जाता है और सोमवती  अमावस्या तो पूर्णरूपेण शिवजी को समर्पित होती है। 
 
इस दिन यदि गंगा जी जाना संभव न हो तो प्रात: किसी नदी या सरोवर आदि में स्नान करके भगवान  शंकर, पार्वती और तुलसी की भक्तिपूर्वक पूजा करें। अमावस्या के दिन वृक्ष से पत्ता तोड़ना भी वर्जित है।

 
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