तिलकुंद चतुर्थी पर ऐसे करें श्रीगणेश का पूजन

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माघ मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को तिलकुंद/तिलकूट चतुर्थी का व्रत किया जाता है। इस बार यह व्रत 20 व 21 जनवरी को मनाया जा रहा है। इस दिन विशेष रूप से भगवान श्रीगणेश की पूजा की जाती है, साथ ही विनायकी चतुर्थी भी मनाई जाती है। पुराणों में भी इस चतुर्थी का विशेष महत्व बताया गया है, खासकर महिलाओं के लिए इस व्रत को उपयोगी माना गया है।
 
शास्त्रों में वर्णित है कि जो लोग नियमित रूप से विघ्नहर्ता भगवान श्रीगणेश की पूजा-अर्चना करते हैं, उनके जीवन के सभी कष्ट समाप्त होते जाते हैं। मंगलमूर्ति और प्रथम पूज्य भगवान श्रीगणेश को 'संकटहरण' भी कहा जाता है। तिलकुंद चतुर्थी के दिन व्रत रखकर भगवान श्रीगणेश का पूजन करने से सुख-समृद्धि, धन-वैभव तथा आत्मीय शांति की प्राप्ति होती है। इतना ही नहीं, व्यवसाय में बरकत तथा घर में हमेशा खुशहाली बनी रहती है।
 
पूजन विधि :
 
* तिलकुंद चतुर्थी के दिन सुबह स्नानादि से निवृत्त होकर साफ-स्वच्छ वस्त्र पहनें।
 
* इसके बाद आसन पर बैठकर भगवान श्रीगणेश का पूजन करें।
 
* पूजा के दौरान भगवान श्रीगणेश को धूप-दीप दिखाएं।
 
* फल, फूल, चावल, रौली, मौली चढ़ाएं, पंचामृत से स्नान कराने के बाद तिल अथवा तिल-गुड़ से बनी वस्तुओं व लड्डुओं का भोग लगाएं।
 
* श्रीगणेश की पूजा करते समय अपना मुख पूर्व या उत्तर दिशा की ओर रखें।
 
* पूजा के बाद 'ॐ श्रीगणेशाय नम:' का जाप 108 बार करें।
 
* शाम को कथा सुनने के बाद गणेशजी की आरती उतारें।
 
* इस दिन गर्म कपड़े, कंबल, कपड़े व तिल आदि का दान करें।
 
इस प्रकार विधिवत भगवान श्रीगणेश का पूजन करने से घर-परिवार में सुख-समृद्धि में निरंतर वृद्धि होती है।
 

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