Guru Pradosh Vrat 2024: गुरु प्रदोष व्रत आज, जानें कथा, महत्व, पूजा विधि और समय

WD Feature Desk
गुरुवार, 28 नवंबर 2024 (11:40 IST)
ALSO READ: Yearly rashifal Upay 2025: वर्ष 2025 में सभी 12 राशि वाले करें ये खास उपाय, पूरा वर्ष रहेगा शुभ

Highlights
  • आज प्रदोष है क्या 2024 में?
  • गुरु प्रदोष का क्या महत्व है?
  • गुरु प्रदोष व्रत की कथा।
Guru Pradosh : वर्ष 2024 में नवंबर माह में आज यानि 28 नवंबर को गुरु प्रदोष व्रत मनाया जा रहा है। त्रयोदशी तिथि पर पड़ने वाला यह गुरु प्रदोष व्रत बहुत महत्व का माना गया है। शास्त्रों की मान्यतानुसार गुरु प्रदोष व्रत अतिशुभ, मंगलकारी तथा भोलेनाथ की अपार कृपा दिलाने वाला माना गया है। हिंदू पंचांग कैलेंडर के अनुसार मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर आज यानि बृहस्पितिवार को यह व्रत पड़ा है, इस व्रत में सायंकाल के समय को प्रदोष काल कहा जाता है। अत: प्रदोष व्रत में शाम के समय में पूजन किया जाता है। 
 
इस व्रत पूजन हेतु एक जल से भरा हुआ कलश, बेल पत्र, धतूरा, भांग, कपूर, सफेद और पीले पुष्प एवं माला, आंकड़े का फूल, सफेद और पीली मिठाई, सफेद चंदन, धूप, दीप, घी, सफेद वस्त्र, आम की लकड़ी, हवन सामग्री, 1 आरती के लिए थाली सभी सामग्री को एकत्रित करके रख लें। फिर त्रयोदशी तिथि के दिन सायं के समय प्रदोष काल में भगवान शिव तथा इस तिथि पर देवगुरु बृह‍स्पति की पूजा करनी चाहिए। इस व्रत से जहां देवगुरु बृहस्पति की भी कृपा प्राप्त होती है, वहीं यह व्रत सौ गायों का दान करने के बराबर फल देने वाला कहा गया है। इस दिन 'ॐ नम: शिवाय:' तथा 'ॐ बृं बृहस्पतये नम:' मंत्र का जाप करने का बहुत महत्व का माना गया है। 
 
गुरु प्रदोष व्रत : 28 नवंबर 2024, गुरुवार : 
गुरु प्रदोष व्रत पूजन का समय शाम 05 बजकर 24 मिनट से से 08 बजकर 06 मिनट तक।
त्रयोदशी पर पूजन का शुभ समय की कुल अवधि- 02 घंटे 42 मिनट्स।
 
मार्गशीर्ष कृष्ण त्रयोदशी का प्रारंभ- 28 नवंबर को सुबह 06 बजकर 23 मिनट से। 
त्रयोदशी का समापन- 29 नवंबर को सुबह 08 बजकर 39 पर
 
गुरु प्रदोष व्रत की पौराणिक कथा : 
 
एक समय इंद्र और वृत्तासुर की सेना में डरावना युद्ध हुआ और देवताओं ने दैत्य-सेना को पराजित करके नष्ट कर दिया। इससे वृत्तासुर अत्यंत क्रोधित होकर युद्ध करने को उद्यत हुआ और आसुरी माया से विकराल रूप धारण किया। इससे सभी देवता भयभीत होकर बृहस्पति देव की शरण में पहूंच गए। 
 
तब बृहस्पति देव ने वृत्तासुर का वास्तविक परिचय देते हुए बताया कि वह बड़ा तपस्वी और कर्मनिष्ठ होने के कारण उसने गंधमादन पर्वत पर घोर तपस्या की और  शिव जी को प्रसन्न किया। वृत्तासुर पूर्व समय में चित्ररथ नामक राजा था और एक बार वह अपने विमान से कैलाश पर्वत गया और वहां शिव जी के वाम अंग में माता पार्वती को विराजमान देख उसने भोलेनाथ का उपहास उड़ाते हुए वह बोला-'हे प्रभो! मोह-माया में फंसे होने के कारण हम स्त्रियों के वशीभूत रहते हैं, किंतु देवलोक में ऐसा दृष्टिगोचर नहीं हुआ कि स्त्री आलिंगनबद्ध हो सभा में बैठे।'
 
चित्ररथ बने वृत्तासुर के मुख से यह वचन सुनकर शिव जी मुस्कुरा कर बोले-'हे राजन! मेरा व्यावहारिक दृष्टिकोण पृथक है। मैंने मृत्युदाता-कालकूट महाविष का पान किया है, फिर भी तुम एक साधारणजन की भांति मेरा उपहास उड़ा रहे हो!' तब माता पार्वती ने क्रोधित होकर राजा से कहा-'अरे दुष्ट! तूने तो सर्वव्यापी महेश्‍वर के साथ ही मेरा भी उपहास उड़ाया है अत: मैं तुझे वह शिक्षा दूंगी कि फिर तू ऐसे संतों के उपहास उड़ाने का दुस्साहस नहीं कर सकेगा। मैं तुझे शाप देती हूं- जा, अब तू दैत्य स्वरूप धारण कर विमान से नीचे गिर।' और इस तरह पार्वती जी के श्राप  से यह राक्षस योनि को प्राप्त होकर और त्वष्टा नामक ऋषि के श्रेष्ठ तप से उत्पन्न हो वृत्तासुर बना। 
 
देवगुरु ने पुन: कहा- 'बाल्यकाल से ही वृत्तासुर शिवभक्त रहा है, अत: हे देवराज इंद्र! तुम गुरु/ बृहस्पति प्रदोष व्रत कर भगवान शंकर को प्रसन्न करो।' इस तरह देवगुरु की आज्ञा का पालन कर इंद्र ने बृहस्पति प्रदोष व्रत करके इस व्रत के प्रताप से शीघ्र ही वृत्तासुर पर विजय प्राप्त की और समस्त देवलोक में शांति छा गई। ऐसी इस व्रत की महिमा होने के कारण शिव जी के हर भक्त को गुरु प्रदोष व्रत रखकर जीवन के हर पथ पर विजय प्राप्त करनी चाहिए।
 
अस्वीकरण (Disclaimer) : चिकित्सा, स्वास्थ्य संबंधी नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष, इतिहास, पुराण आदि विषयों पर वेबदुनिया में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं, जो विभिन्न सोर्स से लिए जाते हैं। इनसे संबंधित सत्यता की पुष्टि वेबदुनिया नहीं करता है। सेहत या ज्योतिष संबंधी किसी भी प्रयोग से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें। इस कंटेंट को जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है जिसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है।

ALSO READ: मार्गशीर्ष अमावस्या पर पितरों को करें तर्पण, करें स्नान और दान मिलेगी पापों से मुक्ति

सम्बंधित जानकारी

Show comments

ज़रूर पढ़ें

2025 predictions: वर्ष 2025 में आएगी सबसे बड़ी सुनामी या बड़ा भूकंप?

lunar eclipse 2025: वर्ष 2025 में कब लगेगा चंद्र ग्रहण, जानिए कहां नजर आएगा

Love Life Horoscope 2025: वर्ष 2025 में 12 राशियों की कैसी रहेगी लव लाइफ, जानें डिटेल्स में

हिंदू कैलेंडर के अनुसार मार्गशीर्ष माह की 20 खास बातें

Job and business Horoscope 2025: वर्ष 2025 में 12 राशियों के लिए करियर और पेशा का वार्षिक राशिफल

सभी देखें

नवीनतम

Aaj Ka Rashifal: आज किन राशियों को मिलेगी हर क्षेत्र में सफलता, पढ़ें 28 नवंबर का राशिफल

Yearly rashifal Upay 2025: वर्ष 2025 में सभी 12 राशि वाले करें ये खास उपाय, पूरा वर्ष रहेगा शुभ

28 नवंबर 2024 : आपका जन्मदिन

28 नवंबर 2024, गुरुवार के शुभ मुहूर्त

Saturn dhaiya 2025 वर्ष 2025 में किस राशि पर रहेगी शनि की ढय्या और कौन होगा इससे मुक्त

अगला लेख