विवाह में वेध दोष को सर्वत्र वर्जित माना गया है। यदि विवाह मुहूर्त वाले दिन वेध दोष हो तो विवाह नहीं करना चाहिए। वेध दोष का निर्धारण में पंचांग में दिए पंचशलाका व सप्तशलाका चक्र का परीक्षण कर होता है। विवाह के अतिरिक्त वेध दोष को वरण एवं वधूप्रवेश के लिए भी त्याज्य माना गया है।
शास्त्रानुसार एक रेखा में आने वाले नक्षत्रों का परस्पर वेध माना गया है। विवाह नक्षत्र का जिस भी नक्षत्र के साथ वेध हो यदि उस नक्षत्र में कोई ग्रह स्थित हो तो इसे वेध-दोष माना जाएगा। जैसे पंचांग में दिए सप्तशलाका चक्र में रेवती नक्षत्र का उत्तरा-फ़ाल्गुनी नक्षत्र के साथ वेध है। अब यदि विवाह का नक्षत्र रेवती है तो वेध दोष निवारण के लिए उत्तरा-फ़ाल्गुनी नक्षत्र में कोई ग्रह स्थित नहीं होना चाहिए, यदि उत्तरा-फ़ाल्गुनी नक्षत्र में कोई ग्रह स्थित हुआ तो यह वेधदोष माना जाएगा। विवाह में यह दोष सर्वत्र विचारणीय व त्याज्य है।
-ज्योतिर्विद पं. हेमन्त रिछारिया