Vrishabha Sankranti 2021: वृषभ संक्रांति पर करें ये 7 कार्य, मिलेगा पुण्य

अनिरुद्ध जोशी
सूर्य के एक राशि से दूसरे राशि में गोचर करने को संक्रांति कहते हैं। सूर्य प्रत्येक माह दूसरी राशि में गोचर करता है। इस तरह वर्ष में 12 संक्रातियां होती हैं। सूर्य मेष राशि से अंतिम राशि मीन तक भ्रमण करता है। सूर्य के वृषभ राशि में प्रवेश को वृषभ संक्रांति कहते हैं। इस बार 14 मई 2021 को सूर्य वृषभ में प्रवेश करेंगे। आओ जानते हैं इस संक्रांति का महत्व।
 
 
वृषभ संक्रांति : 
1. वृषभ संक्राति 14 मई 2021 शुक्रवार को है। 14 मई 2021 को रात के 11 बजकर 15 मिनट पर सूर्य देवता वृषभ राशि में गोचर करेंगे और 15 जून 2021 की सुबह 05 बजकर 49 मिनट तक उनकी यही स्थिति बनी रहने वाली है। इसके बाद वे मिथुन राशि में गोचर करेंगे।
 
2. वृषभ संक्रांति के दौरान सूर्य देव रोहिणी नक्षत्र में आते हैं और इस नक्षत्र में 15 दिनों तक रहते हैं इसमें शुरूआती नौ दिनों तक प्रचंड गर्मी पड़ती है।
 
3. वृषभ संक्रांति के दिन सूर्योदय से पूर्व उठकर घर की साफ-सफाई ककरने के पश्चात स्नान करें। इस दिन नदी स्नान, जलकुंड में स्नान का महत्व रहता है परंतु कोरोना काल के चलते घर में ही पानी में गंगा जल डालकर स्नान करें।
 
4. स्नान के बाद सर्वप्रथम भगवान सूर्य देव को जल का अर्घ्य दें। अर्घ्य देते समय निम्न मंत्र का जरूर उच्चारण करें एहि सूर्य! सहस्त्रांशो! तेजो राशे! जगत्पते! अनुकम्प्यं मां भक्त्या गृहाणार्घ्य दिवाकर! इस दिन "ॐ नमो भगवते वासुदेवाय" मंत्र का एक मनके जाप जरूर करना चाहिए।
 
5. इस दिन भगवान विष्णुजी की पूजा भी करें। विष्णुजी की पूजा फल, फूल, धूप-दीप, दूर्वा आदि से करें। इसके बाद यथा शक्ति दान दें।
 
6. इस दिन भर उपवास रखें। शाम में आरती अर्चना के बाद फलाहार कर सकते हैं। अगले दिन नित्य दिनों की तरह स्नान-ध्यान, पूजा आराधना के बाद व्रत खोलें।
 
7. शास्त्रों के अनुसार, वृषभ संक्रांति के दिन पूजा, जप, तप और दान करने से अमोघ फल की प्राप्ति होती है। इस महीने में प्यासे को पानी पिलाने अथवा घर के बाहर प्याऊ लगाने से व्यक्ति को यज्ञ कराने के समतुल्य पुण्यफल मिलता है।

वैसे 12 संक्रांतियों में से 4 संक्रांति ही महत्वपूर्ण हैं जिनमें मेष, तुला, कर्क और मकर संक्रांति हैं। परंतु अन्य संक्रांतियां का भी थोड़ा बहुत महत्व होता है। ये बारह संक्रान्तियां सात प्रकार की, सात नामों वाली हैं, जो किसी सप्ताह के दिन या किसी विशिष्ट नक्षत्र के सम्मिलन के आधार पर उल्लिखित हैं; वे ये हैं- मन्दा, मन्दाकिनी, ध्वांक्षी, घोरा, महोदरी, राक्षसी एवं मिश्रिता। घोरा रविवार, मेष या कर्क या मकर संक्रान्ति को, ध्वांक्षी सोमवार को, महोदरी मंगल को, मन्दाकिनी बुध को, मन्दा बृहस्पति को, मिश्रिता शुक्र को एवं राक्षसी शनि को होती है। कोई संक्रान्ति यथा मेष या कर्क आदि क्रम से मन्दा, मन्दाकिनी, ध्वांक्षी, घोरा, महोदरी, राक्षसी, मिश्रित कही जाती है, यदि वह क्रम से ध्रुव, मृदु, क्षिप्र, उग्र, चर, क्रूर या मिश्रित नक्षत्र से युक्त हों।
 
 
27 या 28 नक्षत्र को सात भागों में विभाजित हैं- ध्रुव (या स्थिर)- उत्तराफाल्गुनी, उत्तराषाढ़ा, उत्तराभाद्रपदा, रोहिणी, मृदु- अनुराधा, चित्रा, रेवती, मृगशीर्ष, क्षिप्र (या लघु)- हस्त, अश्विनी, पुष्य, अभिजित, उग्र- पूर्वाफाल्गुनी, पूर्वाषाढ़ा, पूर्वाभाद्रपदा, भरणी, मघा, चर- पुनर्वसु, श्रवण, धनिष्ठा, स्वाति, शतभिषक क्रूर (या तीक्ष्ण)- मूल, ज्येष्ठा, आर्द्रा, आश्लेषा, मिश्रित (या मृदुतीक्ष्ण या साधारण)- कृत्तिका, विशाखा। उक्त वार या नक्षत्रों से पता चलता है कि इस बार की संक्रांति कैसी रहेगी।

सम्बंधित जानकारी

Show comments

Akshay Tritiya 2024: अक्षय तृतीया पर क्या है खरीदारी का सबसे शुभ मुहूर्त?

अक्षय तृतीया का जैन धर्म से क्या है कनेक्शन, जानें महत्व

Akshaya tritiya 2024: अक्षय तृतीया पर घटी थी ये 10 पौराणिक घटनाएं

Akshaya tritiya 2024: अक्षय तृतीया पर सोने के अलावा भी खरीद सकते हैं ये 5 चीजें

Akshaya tritiya 2024 : 23 साल बाद अक्षय तृतीया पर इस बार क्यों नहीं होंगे विवाह?

Maa laxmi : रूठी हुई मां लक्ष्मी को कैसे मनाएं?

Aaj Ka Rashifal: आज किसे मिलेंगे धनलाभ के अवसर, जानें 07 मई का राशिफल

07 मई 2024 : आपका जन्मदिन

07 मई 2024, मंगलवार के शुभ मुहूर्त

ChaturSagar Yog : चतुरसागर योग क्या होता है, जातक बन सकता है विश्व प्रसिद्ध

अगला लेख