कभी-कभी ऐसा भी देखने में आता है कि कुंडली में उच्च शिक्षा का योग होने पर भी जातक उच्च शिक्षा प्राप्त नहीं कर पाता। ऐसा राहु के दशाकाल के कारण होता है। यदि चतुर्थ भाव का स्वामी छठे, आठवें या 12वें भाव में हो या नीच राशिस्थ, अस्त अथवा शत्रु राशिस्थ हो व कारक ग्रह चंद्र पीड़ित हो तो भी जातक का पढ़ाई में मन नहीं लगता है।
कुंडली में उच्च शिक्षा का योग हो, किंतु यदि उसी समय राहु की महादशा चल रही हो तो पढ़ाई में रूकावट आती है।
यदि चतुर्थेश पाप राशिस्थ हो अथवा भाव 6, 8 या 12 में हो या किसी पाप ग्रह के साथ अथवा उससे दृष्ट हो, तो जातक शिक्षा प्राप्त नहीं कर पाता है अथवा उसके विद्याध्ययन में बाधा आती है।
चतुर्थेश बृहस्पति अथवा बुध भाव 3, 6, 8 या 12 में हो अथवा शत्रुगृही हो, तो शिक्षा में बाधा करता उत्पन्न करता है।
अगर कुंडली में उच्च शिक्षा का योग हो, किंतु विद्याध्ययन के समय राहु महादशा चल रही हो, तो शनिवार को राहु यंत्र प्राण प्रतिष्ठा करके स्थापित करें एवं उसके सामन े '
ॐ रां राहवे नमः' मंत्र का 72000 जप करके 7200 हवन दुर्वा, घृत, मधु, मिश्री से करें।