हाथ की रेखाओं से जानें धनलाभ कब और कैसे?

Webdunia
रविवार, 21 सितम्बर 2014 (13:34 IST)
हस्तरेखा के अनुसार जिनके दाहिने हाथ पर चंद्र के उभरे तारे का चिह्न है और जिनकी अंत:करण रेखा शनि के ग्रह पर ठहरती है, ऐसे व्यक्तियों को आकस्मिक लाभ मिलता है। 



 
जिनके दाहिने हाथ की रेखा बुध से निकलने वाली रेखा चंद्र के पर्वत से जा मिलती है और जिनकी जीवनरेखा भी चंद्र पर्वत पर जाकर रुक जाती है ऐसे व्यक्तियों को अचानक भारी लाभ होता है। 
 
जिनकी भाग्य रेखा चंद्र पर्वत से निकलकर प्रभावी शनि में संपूर्ण विलीन हो जाती है, ऐसे भाग्यवान व्यक्तियों को अल्पकालीन धनलाभ होता है। 
 
जिनके दाहिने हाथ पर दोहरी अंत:करण रेखा है और गौण रेखा बुध तथा शनि के ग्रहों से जुड़ी हुई है, ऐसे व्यक्तियों को भी अचानक भारी लाभ होगा। 
 
इसके विपरीत जिनके हाथों की आयुष्य रेखा नेपच्युन ग्रह पर गई हों, चंद्र और नेपच्युन पर्वत एक-दूसरे में घुल-मिल गए हों, अंत:करण रेखा गुरु पर्वत पर ठहर गई हो, जिनके शनि के उभरे हुए भाग पर फुली पड़ गई हो, ऐसे व्यक्तियों को रेस, लॉटरी इत्यादि में धनलाभ कभी नहीं होगा। उनका पूरा जीवन कड़ा परिश्रम करने में ही गुजरता है। वे पैसे गंवाकर कंगाल बने रहते हैं।
 
 जन्म कुंडली के अनुसार जानें धन योग- 
 
जिनकी कुंडली में सप्तम स्‍थान में वृष राशि का चंद्र हो और लाभ स्थान में कन्या राशि का शनि हो, जब उनकी आयु 37 से 43 वर्ष के मध्य हो। चंद्रमा और बुध धन स्थान में हो तो बहुत लाभ होता है। 


 
दशम स्थान में कर्क राशि का चंद्र और धन स्थान में शनि हो तो अचानक धनलाभ होता है। धन स्थान में 5 या इससे अधिक ग्रह हों तो बड़ा धनलाभ होता है। 
 
इसके विपरीत व्यय स्थान में बारहवें केतु हो, जन्म कुंडली में कालसर्प योग हो। चंद्र, बुध और शनि ‍नीच स्थान में हों तो रेस, सट्टा, लॉटरी से कोई लाभ नहीं होता। व्यक्ति को तभी आकस्मिक लाभ होगा, जब कुंडली में पंचम भाव, द्वितीय भाव तथा एकादश भाव व उनके स्वामी ग्रह और इन भावों में स्थि‍र ग्रह बलवान हों।
 
जन्म कुंडली में पंचम भाव को संचित भाव भी कहते हैं। एकादश भाव से लाभ का विचार किया जाता है तथा द्वितीय भाव से धन-संपत्ति का निर्णय किया जाता है। 
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