नौतपा में सूर्य रहेंगे रोहिणी नक्षत्र में, पढ़ें इस नक्षत्र की अनसुनी 8 बातें और रोचक जानकारी

WD Feature Desk
शनिवार, 24 मई 2025 (15:53 IST)
rohini nakshatra: ज्योतिष शास्त्र के अनुसार रोहिणी नक्षत्रों के अंतर्गत वाला खास नक्षत्र माना गया है। यह नौतपा या नवतपा के साथ ही चर्चा में आता है। इस दौरान सूर्य रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करते हैं। आइए यहां जानते हैं नवतपा में रहने वाले रोहिणी नक्षत्र के बारे में कुछ रोचक जानकारी...ALSO READ: नौतपा 2025 : नवतपा के दौरान क्या करें और क्या न करें: जानें काम की बाते
 
1. नक्षत्रों का राजा: रोहिणी नक्षत्र को सभी 27 नक्षत्रों में सबसे महत्वपूर्ण और शुभ माना जाता है। इसे नक्षत्रों का राजा भी कहा जाता है। ज्योतिष में इसका स्थान बहुत ऊंचा है।
 
2. चंद्रमा की प्रिय पत्नी: पौराणिक कथाओं के अनुसार, रोहिणी चंद्रमा की 27 पत्नियों में से सबसे प्रिय और सुंदर पत्नी हैं। चंद्रमा का रोहिणी नक्षत्र में आना उसके शुभ प्रभावों को बढ़ाता है। यही कारण है कि इस नक्षत्र में जन्मे लोग अक्सर आकर्षक और कलात्मक होते हैं।
 
3. शुभता और समृद्धि का प्रतीक: रोहिणी नक्षत्र को स्थिरता, वृद्धि, समृद्धि और प्रजनन क्षमता का प्रतीक माना जाता है। इस नक्षत्र में शुरू किए गए कार्य सफल होते हैं और लंबे समय तक चलते हैं। यह कृषि, विवाह, गृह प्रवेश और अन्य शुभ कार्यों के लिए बहुत शुभ होता है।
 
4. प्रकृति और कृषि से जुड़ाव: यह नक्षत्र पृथ्वी, कृषि और उपजाऊपन से गहरा संबंध रखता है। रोहिणी में बोई गई फसलें अच्छी होती हैं और भूमि को उपजाऊ माना जाता है। यही कारण है कि इस नक्षत्र के प्रभाव में पेड़-पौधे और फसलें तेजी से बढ़ती हैं।
 
5. नवतपा का संबंध: जब सूर्य रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करता है, तो इसे नवतपा की शुरुआत माना जाता है। यह वह अवधि होती है जब पृथ्वी पर भीषण गर्मी पड़ती है। ऐसा माना जाता है कि नौतपा में जितनी अधिक गर्मी पड़ती है, उतनी ही अच्छी बारिश होती है। सूर्य और चंद्रमा के इस नक्षत्र में आने से मौसम और प्रकृति पर गहरा प्रभाव पड़ता है।ALSO READ: नौतपा क्या होता है, 2025 में कब से होगा प्रारंभ?
 
6. वृषभ राशि में स्थान: रोहिणी नक्षत्र का विस्तार वृषभ राशि (Taurus) में होता है। यही कारण है कि वृषभ राशि के जातकों पर रोहिणी नक्षत्र का प्रभाव अधिक होता है। वृषभ राशि के लोग अक्सर कला प्रेमी, धैर्यवान और भौतिक सुखों को पसंद करने वाले होते हैं, जो रोहिणी के गुणों से मेल खाते हैं।
 
7. भगवान कृष्ण का जन्म नक्षत्र: भगवान कृष्ण का जन्म भी रोहिणी नक्षत्र में हुआ था, जिसने इस नक्षत्र के महत्व को और बढ़ा दिया है। यह कृष्ण के मनमोहक और आकर्षक व्यक्तित्व से भी जुड़ा है।
 
8. शुभ-अशुभ योग: वैसे तो रोहिणी नक्षत्र शुभ है, लेकिन कुछ विशेष योगों में यह अशुभ भी हो सकता है। जैसे, यदि किसी व्यक्ति का जन्म रोहिणी नक्षत्र के विशेष चरण में हो और साथ में कुछ अन्य ग्रह स्थिति प्रतिकूल हो, तो इसे 'रोहिणी शकट भेद' जैसा अशुभ योग माना जा सकता है।
 
इस प्रकार, रोहिणी नक्षत्र केवल एक खगोलीय स्थिति नहीं, बल्कि हिंदू धर्म, ज्योतिष और संस्कृति में गहराई से समाया हुआ एक महत्वपूर्ण और रोचक तत्व है।

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