चंद्र देवता की आराधना क्यों करें, जानिए...

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हिंदू धर्म में चंद्र देवता का महत्व जानिए

चंद्र देवता हिंदू धर्म के अनेक देवतओं में से एक हैं, उन्हें जल तत्व का देव कहा जाता है। चंद्र के देवता भगवान शिव है। ‍शिवशंकर ने उन्हें अपने सिर पर धारण कर लिया था।

चंद्र का दिन सोमवार है। अत: इस  दिन चंद्रमा पूजन का विशेष मह‍त्व है। सोमवार के दिन चंद्र देवता का पूजन करने से भगवान शिव भी प्रसन्न होते हैं।   

 उनका गोत्र अत्रि तथा दिशा वायव है। चंद्रमा की महादशा दस वर्ष की होती है। चंद्रमा के अधिदेवता अप्‌ और प्रत्यधिदेवता उमा देवी हैं। श्रीमद्भागवत के अनुसार चंद्रदेव महर्षि अत्रि और अनुसूया के पुत्र हैं। इनको सर्वमय कहा गया है। यह सोलह कलाओं से युक्त हैं। इन्हें अन्नमय, मनोमय, अमृतमय पुरुषस्वरूप भगवान कहा जाता है।
 
प्रजापितामह ब्रह्मा ने चंद्र देवता को बीज, औषधि, जल तथा ब्राह्मणों का राजा बनाया। 
 
चंद्रमा का विवाह राजा दक्ष की सत्ताईस कन्याओं से हुआ। यह कन्याएं सत्ताईस नक्षत्रों के रूप में भी जानी जाती हैं, जैसे अश्विनी, भरणी, कृत्तिका, रोहिणी आदि। 
 
चंद्रदेव की पत्नी रोहिणी से उनको एक पुत्र मिला जिनका नाम बुध है। चंद्र ग्रह ही सभी देवता, पितर, यक्ष, मनुष्य, भूत, पशु-पक्षी और वृक्ष आदि के प्राणों का आप्यायन करते हैं। 



 
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