कैसे करें अशुभ ग्रहों की शांति, जानें कारण और निवारण...

श्री रामानुज
जानिए ग्रहों के दोष निवारण एवं शांति के उपाय
 

 
इसके पहले लेख में हमने आपको ग्रहों के अशुभ होने के प्रमुख कारण बताए थे। बुरे कर्मों के अलावा कई बार किसी दोष के चलते भी ग्रह-नक्षत्रों की स्थिति अशुभ हो जाती है।

जानें यदि कोई ग्रह अशुभ फल दे रहा हो तो दोष निवारण/शांति के लिए क्या किया जाना चाहिए। 
 
आगे पढ़ें ग्रहों के अनुसार उपाय... 

 

सूर्य : कुंडली में सूर्य के अशुभ होने पर पेट, आंख, हृदय का रोग हो सकता है साथ ही सरकारी कार्य में बाधा उत्पन्न होती है। इसके लक्षण यह है कि मुंह में बार-बार बलगम इकट्ठा हो जाता है, मुंह से थूक उड़ता रहता है आदि।


 

 
उपाय : ऐसे में तांबा, गेहूं एवं गुड का दान करें। प्रत्येक कार्य का प्रारंभ मीठा खाकर करें। ताबें के एक टुकड़े को काटकर उसके दो भाग करें। एक को पानी में बहा दें तथा दूसरे को जीवन भर साथ रखें।
 
 

चंद्र : कुंडली में चंद्र अशुभ होने पर दूध देने वाले पशु की मृत्यु हो जाती है। स्मरण शक्ति कमजोर हो जाती है। घर में पानी की कमी आ जाती है या नलकूप, कुएं आदि सूख जाते हैं। माता को किसी भी प्रकार का कष्ट हो सकता है। मानसिक बैचेनी और सर्दी बनी रहती है। व्यक्ति के मन में आत्महत्या करने के विचार बार-बार आते रहते हैं।


 
उपाय : दो मोती या दो चांदी का टुकड़ा लेकर एक टुकड़ा पानी में बहा दें तथा दूसरे को अपने पास रखें। कुंडली के छठवें भाव में चंद्र हो तो दूध या पानी का दान करना मना है। यदि चंद्र बारहवां हो तो धर्मात्मा या साधु को भोजन न कराएं और ना ही दूध पिलाएं।
 
 

मंगल : कुंडली में मंगल के अशुभ होने पर नेत्र रोग, वात रोग और गठिया हो जाता है। रक्त की कमी या खराबी वाला रोग हो जाता। व्यक्ति क्रोधी स्वभाव का हो जाता है। मान्यता यह भी है कि बच्चे जन्म होकर मर जाते हैं।


 
उपाय : तंदूर की मीठी रोटी दान करें। बहते पानी में रेवड़ी व बताशा बहाएं, मसूर की दाल दान में दें।
 
 

बुध : कुंडली में बुध की अशुभता पर दांत कमजोर हो जाते हैं। सूंघने की शक्ति कम हो जाती है। गुप्त रोग हो सकता है। व्यक्ति की वाक् क्षमता भी जाती रहती है। नौकरी और व्यवसाय में धोका हो सकता है।


 
उपाय : नाक छिदवाएं। ताबें के प्लेट में छेद करके बहते पानी में बहाएं। अपने भोजन में से एक हिस्सा गाय को, एक हिस्सा कुत्तों को और एक हिस्सा कौवे को दें। बालिकाओं को भोजन कराएं।
 
 

गुरु : कुंडली में गुरु के अशुभ प्रभाव में आने पर सिर के बाल झड़ने लगते हैं। सोना खो जाता या चोरी हो जाता है। शिक्षा में बाधा आती है। अपयश झेलना पड़ता है।


 
उपाय : माथे या नाभी पर केसर का तिलक लगाएं। कोई भी अच्छा कार्य करने के पूर्व अपना नाक साफ करें। दान में हल्दी, दाल, केसर आदि देवें।
 
 

शुक्र : कुंडली में शुक्र के अशुभ प्रभाव में होने पर अंगूठे का रोग हो जाता है। अंगूठे में दर्द बना रहता है। चलते समय अंगूठे को चोट पहुंच सकती है। चर्म रोग हो जाता है। स्वप्न दोष की श‍िकायत रहती है।


 
उपाय : स्वयं के भोजन में से गाय को प्रतिदिन कुछ हिस्सा अवश्य दें। ज्वार दान करें। नि:सहाय, निराश्रय के पालन-पोषण का जिम्मा ले सकते हैं।
 
 

शनि : कुंडली में शनि के अशुभ प्रभाव में होने पर मकान या मकान का हिस्सा गिर जाता या क्षतिग्रस्त हो जाता है। अंगों के बाल झड़ जाते हैं। काले धन या संपत्ति का नाश हो जाता है। अचानक आग लग सकती है या दुर्घटना हो सकती है।
 

 
उपाय : कौवे को प्रतिदिन रोटी खिलाएं। तेल में अपना मुख देखकर वह तेल दान कर दें। लोहा, काला उड़द, चमड़ा, काला सरसों आदि दान दें। यदि कुंडली में शनि लग्न में हो तो भिखारी को तांबे का सिक्का या बर्तन कभी न दें, यदि देंगे तो पुत्र को कष्ट होगा। यदि शनि आयु भाव में स्थित हो तो धर्मशाला आदि न बनवाएं।
 
 

राहु : कुंडली में राहु के अशुभ होने पर हाथ के नाखून अपने आप टूटने लगते हैं। राजक्ष्यमा रोग के लक्षण प्रगट होते हैं। दिमागी संतुलन ठीक नहीं रहता है, शत्रुओं से मुश्किलें बढ़ने की संभावना रहती है।


 
उपाय : जौ या अनाज को दूध में धोकर बहते पानी में बहाएं, कोयले को पानी में बहाएं, मूली दान में देवें, भंगी को शराब, मांस दान में दें। सिर में चोटी बांधकर रखें।
 
 

केतु : कुंडली में केतु के अशुभ प्रभाव में होने पर जोड़ों का रोग या मूत्र एवं किडनी संबंधी रोग हो जाता है। संतान को पीड़ा होती है।


 
उपाय : कान छिदवाएं। अपने खाने में से कुत्ते को हिस्सा दें। तिल व कपिला गाय दान में दें। 
 
लाल किताब अनुसार स्थायी टोटकों के अलावा इन टोटकों का प्रयोग कम से कम 40 दिन तक करना चाहिए। तब ही फल प्राप्ति संभव होती है। इन उपायों का गोचरवश प्रयोग करके कुण्डली में अशुभ प्रभाव में स्थित ग्रहों को शुभ प्रभाव में लाया जा सकता है।
 
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