सूर्य पुत्र शनिदेव : पढ़ें 10 विशेष बातें

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1. शनि देव हिन्दू धर्म में पूजे जाने वाले प्रमुख देवताओ में से एक हैं।  
2 . शनि देव मनुष्य को उसके पाप एवं बुरे कार्य का दंड प्रदान करते हैं पर आपको यह जानकर आश्चर्य होगा ऐसे परमप्रतापी पुत्र को पाकर भी सूर्य देवता ने उन्हें अपने पुत्र के रूप में नही अपनाया। 
 
3 . शनि का जन्म पुराणो में कश्यप मुनि के वंशज भगवान सूर्यनारायण की पत्नी छाया की कठोर तपस्या से ज्येष्ठ मास की शनि अमावस्या को शिंगणापुर में हुआ था। माता ने शंकर जी की कठोर तपस्या की तथा तेज गर्मी और घूप के कारण गर्भ में शनि का रंग काला हो गया।
 
4 . इनका वर्ण इन्द्रनीलमणि के समान है। 
 
5 . वाहन गिद्ध तथा रथ लोहे का बना हुआ है। 
 
6 . ये अपने हाथों में धनुष, बाण, त्रिशूल तथा वरमुद्रा धारण करते हैं। 
 
7. यह एक-एक राशि में तीस-तीस महीने रहते हैं। 
 
8. यह मकर व कुम्भ राशि के स्वामी हैं तथा इनकी महादशा 19 वर्ष की होती है। 
 
9. इनका सामान्य मंत्र है - ॐ शं शनैश्चराय नम: इसका श्रद्धानुसार रोज एक निश्चित संख्या में जाप करना चाहिए। 
 
10. सौरमंडल में शनि अपने पिता सूर्य से काफी अधिक दूरी पर हैं, जिससे इन्हें सूर्य की परिक्रमा करने में अत्यधिक समय लगता है। इसी वजह से इन्हें शनैश्चर अर्थात् धीमी गति से चलने वाला भी कहा जाता है। इनका सभी 12 राशियों में परिभ्रमण 29 वर्ष 5 माह और 5 घंटे में पूरा होता है।

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