वृषभ लग्न: कर्क राशि पर साढे़साती- 4

उतरती साढ़ेसाती देगी माता को कष्ट

पं. अशोक पँवार 'मयंक'
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वृषभ लग्न में कर्क की साढ़ेसाती मिथुन राशि पर शनि के आने से शुरू होगी। शनि इस भाव में मित्र राशि मिथुन में होकर वाणी, धन, कुटुंब, बचत, कैद भाव में भाग्येश व कर्मेश होने से आप इन ढाई वर्ष में आर्थिक बचत कर पाने में सफल होंगे। वॉंक चातुर्य से कार्य में सफलता भी पाएँगे, भाग्य बल का भरपूर साथ रहेगा। वहीं पिता, व्यापार, नौकरी, पदोन्नति आदि में सफल होंगे।

शनि की तृतीय शत्रु दृष्टि गोचरीय चतुर्थ भाव पर पड़ने से माता के स्वास्थ्य में गड़बड़ी का कारण बन सकता है। मकान, भूमि की समस्या आ सकती है, लेकिन आप अपनी क्षमताओं का उपयोग कर इनमें सफलता पाने में सफल होंगे। शनि की सप्तम दृष्टि अष्टम भाग्य भाव पर गुरु की राशि धनु पर पड़ने से ऐसे जातकों की आयु उत्तम रहेगी एवं स्वास्थ्य ठीक रहेगा। गुप्त मंत्रणाओं में सफलता मिलेगी।

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शनि की दशम दृष्टि सम एकादश भाव पर पड़ने से आय के साधनों में यथा स्थिति बनी रहेगी। शनि की दूसरी साढ़ेसाती कर्क के शनि पर आने से शुरू होगी शनि सम राशि में होने से भाग्य क्षेत्र में वृद्धि होगी। प्रत्येक कार्य में सफलता मिलेगी। पराक्रम बढ़ेगा, भाईयों का सहयोग मिलेगा, शत्रु वर्ग प्रभावहीन होंगे। इष्ट मित्रों से लाभ रहेगा।

शनि यहाँ से सप्तम दृष्टि से अपनी राशि मकर को देखने से भाग्य के क्षेत्र में सफलता रहेगी। इस समय आप आसमानी रंग के कपड़े अवश्य पहने। शनि की दशम दृष्टि द्वादश भाव पर नीच की पड़ने से बाहरी मामलों में सावधानी रखना होगी, यात्रा में संभल कर चलें। शनि की उतरती साढ़ेसाती सिंह के शनि पर आने से शुरू होगी जो माता के लिए कष्टकारी हो सकती है। इन ढाई वर्षों में मकान न बनाएँ, अन्यथा अनेक बाधाओं का सामना करना पड़ सकता है।

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नौकरी पेशा व्यक्तियों का स्थानांन्तरण भी संभव है। स्थानिय राजनीति में भी असफलता का मुँह देखना पड़ सकता है। शनि की उच्च दृष्टि षष्ट भाव पर पड़ने से शत्रु परास्त होंगे, स्वास्थ्य में सुधार होगा। जो अस्वस्थ थे, कर्ज की स्थिति में सुधार होकर कमी आएगी, मामा का सहयोग मिलेगा। शनि की सप्तम दृष्टि दशम भाव पर पड़ने से व्यापार, नौकरी आदि में मिले-जुले परिणाम रहेंगे। शनि की दशम दृष्टि लग्न पर मित्र दृष्टि होने से कुछ लाभ के क्षेत्र में सफल होंगे। मनमाफिक कार्य हेतु परिश्रम अधिक करने पर सफलता मिलेगी।

शनि उच्च, मित्र, स्वक्षेत्री होने पर अशुभ परिणामों में कमी रहती है। शनि की दशा अन्तरदशा में शुभ-अशुभ परिणाम मिलते है। अशुभ फल मिलने पर शनि दर्शन से बचें व सरसों के तेल में अपना मुँह देख का शनिवार को दान दें। इस प्रकार शनि के अशुभ प्रभाव में कमी करके कष्टों से लड़ने में मदद मिलेगी।

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