गुप्त और अपार धन प्राप्ति के 5 अचूक मंत्र

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यदि आपकी कुंडली या किस्मत में गुप्त धन, पूर्वजों का धन, गड़ा हुआ धन या अचानक से प्राप्त होने वाले धन का योग है तो हो सकता है कि इस संबंध में आपको कोई संकेत मिले, सपना आए या और कुछ हो। यदि आपको लगता है कि कुंडली में तो अपार धन की संभावना है परंतु अभी तक ऐसा कुछ हुआ नहीं है तो गुप्त धन प्राप्त का एक मंत्र भी है जिसे किसी विशेषज्ञ से सलाह लेकर उसे जपकर आप धन प्राप्त की संभावना को बढ़ा सकते हैं। आओ जानते हैं कि कौनसा है वह मंत्र।
 
 
1. रावण संहिता के अनुसार सपने, शगुन और स्वर विज्ञान के माध्यम से व्यक्ति को ये संकेत मिल जाते हैं कि उसे सोने के जेवरातों से भरा चांदी का घड़ा या खजाना मिल सकता है। कहते हैं कि कुछ लोगों को सपने में अक्सर सफेद सांप या जलता हुआ दीपक दिखाई देता है। इसका मतलब यह कि उनके लिए कोई खजाना गाड़कर गया है, जो संकेत दे रहा है।
 
2. किसी जातक की जन्म कुंडली में यदि चन्द्रमा ग्रह बृहस्पति के स्वामी भाव में युग्म में स्थित हो तो ऐसे जातक को गड़े हुए धन की प्राप्ति होती है।
 
3. यदि अष्टम भाव का मालिक उच्च का हों तथा धनेश व लाभेश के प्रभाव में हों तो व्यक्ति को निश्चित रूप में अचानक धनलाभ होता है। पूर्व समय में इस योग को गढ़े धन प्राप्‍ति के लिए अहम माना जाता था। इस योग की खासियत होती है कि ये अचानक प्राप्त होता है।
 
4. मस्तिष्क रेखा सही स्थिति में हो यानी कि टूटी या कटी हुई नहीं हो, साथ ही भाग्य रेखा की एक शाखा जीवन रेखा से निकलती हो। हथेलियां गुलाबी व मांसल हों, तो करोड़ों में संपदा होने का योग बनता है।
 
5. कहते हैं कि गुप्त धन प्राप्ति के लिए माता का एक मंत्र है- 'ॐ ह्रीं पद्मावति देवी त्रैलोक्यवार्ता कथय कथय ह्रीं स्वाहा।।' इस मंत्र को रात्रि में सोने से पूर्व 1 माला रोज जपें। मान्यता है कि कुछ दिनों बाद गुप्त धन कहां है, इसकी आपको स्वप्न में जानकारी मिल जाएगी या अचानक ही कहीं से आपको धन की प्राप्ति होगी।
 
 
कौन से मंत्र से धन की प्राप्ति होती है?
 
1. मंत्र- 'ॐ हनुमते नम:' का जाप नित्य रोज करने से, आर्थिक और वित्तीय क्षेत्र में लाभ प्राप्त होता है।
 
2. ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं त्रिभुवन महालक्ष्म्यै अस्मांक दारिद्र्य नाशय प्रचुर धन देहि देहि क्लीं ह्रीं श्रीं ॐ ।।
 
3. ॐ श्रींह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ॐ महालक्ष्मी नम:।।
 
4.  ॐ यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धन धान्याधिपतये धनधान्या समृद्धिम् देहि दापय दापय स्वाहा।
 
5. 'ॐ ह्रीं पद्मावति देवी त्रैलोक्यवार्ता कथय कथय ह्रीं स्वाहा।।'

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