चमत्कारी है अतिदुर्लभ कुबेर मंत्र, दे‍ता है अकस्मात धनलाभ

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कुबेर भगवान शिव के परमप्रिय सेवक हैं। कुबेर धन के अधिपति यानि धन के राजा हैं। धन के अधिपति होने के कारण इन्हें मंत्र साधना द्वारा प्रसन्न करने का विधान बताया गया है।
 
कुबेर को ही पृथ्वीलोक की समस्त धन संपदा का एकमात्र स्वामी बनाया गया है। कुबेर मंत्र को दक्षिण की ओर मुख करके ही सिद्ध किया जाता है।
 
अति दुर्लभ कुबेर मंत्र इस प्रकार है :
 
मंत्र- 'ॐ श्रीं, ॐ ह्रीं श्रीं, ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं वित्तेश्वराय: नम:'। 
 
विनियोग- अस्य श्री कुबेर मंत्रस्य विश्वामित्र ऋषि:वृहती छन्द: शिवमित्र धनेश्वरो देवता समाभीष्टसिद्धयर्थे जपे विनियोग:
 
कुबेर के अन्य सिद्ध विलक्षण मंत्र -
 
अष्टाक्षर मंत्र- ॐ वैश्रवणाय स्वाहा:
 
षोडशाक्षर मंत्र- ॐ श्री ॐ ह्रीं श्रीं ह्रीं क्लीं श्रीं क्लीं वित्तेश्वराय नम:।
 
पंच त्रिंशदक्षर मंत्र- ॐ यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धन धान्याधिपतये धनधान्या समृद्धि देहि दापय स्वाहा।
 
इन तीनों में से किसी भी एक मंत्र का जप दस हजार (10000) होने पर दशांश हवन करें या एक हजार मंत्र अधिक जपें। इससे यंत्र भी सिद्ध हो जाता है। 
 
वैसे सवा लाख जप करके दशांश हवन करके कुबेर यंत्र को सिद्ध करने से तो अनंत वैभव की प्राप्ति हो जाती है।
 
हवन- तिलों का दशांस हवन करने से प्रयोग सफल होता है। यह प्रयोग शिव मंदिर में करना उत्तम रहता है। यदि यह प्रयोग बिल्वपत्र वृक्ष की जड़ों के समीप बैठ कर हो सके तो अधिक उत्तम होगा। प्रयोग सूर्योदय के पूर्व संपन्न करें।
 
मनुजवाह्य विमानवरस्थितं गुरूडरत्नानिभं निधिनाकम्।
शिव संख युक्तादिवि भूषित वरगदे दध गतं भजतांदलम्।। 
 

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