आ रही है अक्षय तृतीया, मां धनलक्ष्मी की कृपा चाहिए तो जपें ये फलदायी मंत्र

Webdunia
* आर्थिक रूप से संपन्न करेंगे मां लक्ष्मी के चमत्कारी मंत्र 
 
अक्षय तृतीया का दिन मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्ति के लिए बहुत महत्व रखता है। इस दिन मां लक्ष्मीजी का पूजन करना शुभ फलदायी माना जाता है। इसके पीछे यह मान्यता है कि इससे साल भर आर्थिक स्थिति अच्छी बनी रहती है। 
 
पौराणिक शास्त्रों के अनुसार अक्षय तृतीया यानी अखातीज को सर्वसिद्घ मुहूर्त माना गया है। अत: इस दिन मां लक्ष्मीजी की उपासना शाम के समय उत्तरमुखी होकर लाल आसान पर बैठकर की जाती है।

क्यों है शास्त्रों में अक्षय तृतीया का दिन खास, जानें 11 विशेष बातें...
 
पूजन शुरू करने से पहले एक लाल कपडे़ पर लक्ष्मीजी का चित्र स्थापित करके उसके सम्मुख 10 लक्ष्मीकारक कौडियां रखें एवं शुद्ध घी का दीपक जला लें। अब लक्ष्मीजी का षोडशोपचार पूजन करके हर कौड़ी पर सिन्दूर चढाएं तथा लाल चंदन की माला से निम्न में से एक मंत्र की 5 माला का जाप करें। इस प्रकार के पूजन से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती है तथा आपके जीवन की आर्थिक समस्या समाप्त हो जाती है।
 
लक्ष्मी को प्रसन्न करने के मंत्र :
 
*   ॐ आध्य लक्ष्म्यै नम:
 
*   ॐ अमृत लक्ष्म्यै नम:
 
*   ॐ पहिनी पक्षनेत्री पक्षमना लक्ष्मी दाहिनी वाच्छा भूत-प्रेत सर्वशत्रु हारिणी दर्जन मोहिनी रिद्धि सिद्धि कुरु-कुरु-स्वाहा।

*   ॐ विद्या लक्ष्म्यै नम:
 
*   ॐ सौभाग्य लक्ष्म्यै नम:
 
इन मंत्रों से मां लक्ष्मी की कृपा आप पर हमेशा बनी रहती है। हर क्षेत्र में व्यापार में उन्नति होने के साथ-साथ एवं आर्थिक सफलता प्राप्त होती।

अक्षय तृतीया के दिन करें ये काम, मिलेगा अक्षय पुण्यफल...
 
Show comments

ज़रूर पढ़ें

इस मंदिर में है रहस्यमयी शिवलिंग, दिन में तीन बार बदलता है रंग, वैज्ञानिक भी नहीं जान पाए हैं रहस्य

महाशिवरात्रि पर शिवलिंग पर भूलकर भी ना चढ़ाएं ये चीजें, रह जाएंगे भोलेनाथ की कृपा से वंचित

सूर्य की शत्रु ग्रह शनि से युति के चलते 4 राशियों को मिलेगा फायदा

असम में मौजूद है नॉर्थ ईस्ट का सबसे ऊंचा शिव मंदिर, महाशिवरात्रि पर उमड़ता है श्रद्धालुओं का सैलाब

Mahashivaratri 2025: महाशिवरात्रि पर शिवलिंग की पूजा का शुभ मुहूर्त, पूजन विधि, आरती और कथा सभी एक साथ

सभी देखें

नवीनतम

18 फरवरी 2025 : आपका जन्मदिन

18 फरवरी 2025, मंगलवार के शुभ मुहूर्त

महाशिवरात्रि पर रात्रि के 4 प्रहर की पूजा का सही समय और पूजन विधि

Mahashivratri 2025: महाशिवरात्रि और शिवरात्रि में क्या है अंतर?

जानकी जयंती 2025: माता सीता का जन्म कब और कैसे हुआ था?

अगला लेख