भैरवनाथ का शाबर मंत्र, तुरंत होता है सिद्ध

Webdunia
शनिवार, 20 फ़रवरी 2021 (11:52 IST)
कहते हैं कि सभी देवी और देवताओं के शाबर मंत्री की रचना मत्स्येंद्रनाथ के शिष्य गुरु गोरखनाथ ने की थी। शाबर मंत्र बहुत ही सरल भाषा परंतु सटीक होते हैं। भैरवनाथ का भी साबर मंत्र है। साबर मंत्र के साथ एक बात यह जुड़ी है कि इनका जप करने में सावधानी और नियम का पालन करना जरूरी है अन्यथा उल्टा परिणाम भुगतना पड़ सकता है। आओ जानते हैं भैरव नाथ का शाबर मंत्र।
 
 
सिद्ध शाबर मंत्र:
ॐ काला भैरू, कपिला केश। काना कुंडल भगवा वेष।
तीर पतर लियो हाथ, चौसठ जोगनिया खेले पास।
आस माई, पास माई। पास माई सीस माई।
सामने गादी बैठे राजा, पीडो बैठे प्राजा मोहे।
राजा को बनाऊ कुकडा। प्रजा बनाऊ गुलाम।
शब्द सांचा, पींड काचा। राजगुरु का बचन जुग जुग साचा।
सतनाम आदेश गुरुजी को आदेश आदेश।
 
दूसरा शाबर मंत्र :
ॐ गुरुजी काला भैरुँ कपिला केश, काना मदरा, भगवाँ भेस। 
मार-मार काली-पुत्र। बारह कोस की मार, भूताँ हात कलेजी खूँहा गेडिया। 
जहाँ जाऊँ भैरुँ साथ। बारह कोस की रिद्धि ल्यावो। चौबीस कोस की सिद्धि ल्यावो। 
सूती होय, तो जगाय ल्यावो। बैठा होय, तो उठाय ल्यावो। 
अनन्त केसर की भारी ल्यावो। गौरा-पार्वती की विछिया ल्यावो। 
गेल्याँ की रस्तान मोह, कुवे की पणिहारी मोह, बैठा बाणिया मोह, 
घर बैठी बणियानी मोह, राजा की रजवाड़ मोह, महिला बैठी रानी मोह। 
डाकिनी को, शाकिनी को, भूतनी को, पलीतनी को, ओपरी को, पराई को, 
लाग कूँ, लपट कूँ, धूम कूँ, धक्का कूँ, पलीया कूँ, चौड़ कूँ, चौगट कूँ, काचा कूँ, 
कलवा कूँ, भूत कूँ, पलीत कूँ, जिन कूँ, राक्षस कूँ, बरियों से बरी कर दे। 
नजराँ जड़ दे ताला, इत्ता भैरव नहीं करे, 
तो पिता महादेव की जटा तोड़ तागड़ी करे, माता पार्वती का चीर फाड़ लँगोट करे। 
चल डाकिनी, शाकिनी, चौडूँ मैला बाकरा, देस्यूँ मद की धार, भरी सभा में द्यूँ आने में कहाँ लगाई बार? 
खप्पर में खाय, मसान में लौटे, ऐसे काला भैरुँ की कूण पूजा मेटे। 
राजा मेटे राज से जाय, प्रजा मेटे दूध-पूत से जाय, जोगी मेटे ध्यान से जाय। 
शब्द साँचा, ब्रह्म वाचा, चलो मन्त्र ईश्वरो वाचा।
 
उल्लेखनीय है कि उक्त शाबर मंत्र की जप और साधना विधि जानकर ही इसका जप करें। यहां सिर्फ जानकारी के लिए ही यह मंत्र दिया गया है। किसी योग्य जानकार से ही जानकर इस मंत्र का जप करें, क्योंकि भैरवनाथ के शाबर मं‍त्र कई है और सभी मंत्रों के कार्य अलग अलग है। आपके उद्येश्य के अनुसार ही मंत्र का चयन करना होता है।

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