भगवान सूर्य अपने सारथि 'अरुण" से इस मंत्र के विषय में क्या कहते हैं वह आप भी जानिए-
भगवान सूर्य अपने सारथि 'अरुण' से कहते हैं कि हे खगश्रेष्ठ। अब मेरे मंडल के विषय में सुनो। मेरा कल्याणमय मंडल "खखोल्क" नाम से विद्वानों के ज्ञान मंडल में और तीनों लोकों में विख्यात है। यह तीनों देवों एवं तीनों गुणों से परे एवं सर्वज्ञ है। यह सर्वशक्तिमान है। " ॐ " इस एकाक्षर मंत्र में यह मंडल अवस्थित है। जैसे घोर संसार-सागर अनादि है वैसे ही "खखोल्क" भी अनादि है और संसार-सागर का शोधक है।
जैसे व्याधियों की औषधि होती है वैसे ही यह मंत्र संसार-सागर के लिए औषधि है। मोक्ष चाहने वालों के लिए मुक्ति का साधन और सभी अर्थो का साधक है। खखोल्क नाम का यह मंत्र सदैव उच्चारण और स्मरण करने योग्य है। जिसके हृदय में "ॐ नमः खखोल्काय" मंत्र स्थित है उसी ने सब कुछ पढ़ा है सुना है और अनुष्ठित किया है, ऐसा समझना चाहिए। ।
मनीषियों ने इस खखोल्क मंत्र को "मार्तण्ड" के नाम से प्रतिष्ठापित किया है। इस मंत्र के प्रति श्रद्धानत् होने पर पुण्य प्राप्त होता है।
भविष्य पुराण, (ब्रह्म पर्व) अध्याय 187
अगस्त्य ऋषि द्वारा रचित भगवान सूर्यनारायण का ध्यान मंत्र