श्री गणेश की चमत्कारी सिद्ध यं‍त्र साधना

चमत्कारी सिद्ध गणेश यंत्र साधना

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यह गणपति यंत्र नि:संदेह चमत्कारी है। यह गणेश यंत्र मानव के समस्त कार्यों को सिद्ध करता है। इस यंत्र साधना द्वारा मानव को गणेश भगवान की कृपा शीघ्र प्राप्त होती है और मानव पूर्ण लाभान्वित होता है।

निम्न वर्णित विधि अनुसार गणेश यंत्र को शुक्ल पक्ष की चतुर्थी ति‍थि को शुभ मुहूर्त में शास्त्रोक्त विधान से ताम्रपत्र पर निर्माण करा लें। यंत्र को खुदवाना नि‍षेध है। यंत्र साथ कुम्हार के चाक की मृण्मय गणेश प्रतिमा, जो उसी दिन बनाई गई हो, स्थापित करें।

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यं‍त्र साधना को 4 भागों में बांटा गया है- (1) दारिद्रय- नाश, व्यापारोन्नति, आर्थिक लाभ, (2) संतान प्राप्ति, (3) विद्या, ज्ञान, बुद्धि की प्राप्ति, (4) सारविक, कल्याण मनोकामना पूर्त ि।

आगे पढ़ें कार्य सिद्धि मंत्र


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चारों कार्यों की सिद्धि के लिए एक ही मंत्र है-

ॐ गं गणपतये नम:, किंतु जप संख्या और विधि भिन्न है। प्रथम कार्य की सिद्धि के लिए सायंकाल, दूसरे कार्य के लिए मध्याह्न काल, तीसरे-चौथे कार्य के लिए प्रात:काल के समय कंबल के आसन पर पीत वस्त्र धारण करके पूर्व या पश्चिम दिशा की तरफ मुख करके यं‍त्र के सम्मुख बैठें।

रुद्राक्ष की माला से प्रतिदिन 31 माला का जाप यंत्र एवं प्रतिमा का पंचोपचार पीतद्रव्यों से पूजन करके 31 दिन तक करना चाहिए। बाद में दयांश हवन, तर्पण, मार्जन करके 5 बटुक ब्राह्मण भोजन कराएं। यह कार्य अनुष्ठान पद्धति से होना चाहिए। मंत्र जाप करते समय 5 घी के दीपक एवं 5 बेसन के लड्डुओं का नैवेद्य अर्पण करना अनिवार्य है।

एक यंत्र और एक प्रतिमा एक ही कार्य के निमित्त एक ही प्रयुक्त होते हैं। बाद में उन्हें किसी पवित्र नदी में विसर्जित कर देना चाहिए। यह सिद्ध यंत्र तत्काल फल प्रदान करने वाला तथा अत्यंत चमत्कारी है।

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