अटल जी की कविता : जीवन की ढलने लगी सांझ

Webdunia
जीवन की ढलने लगी सांझ
उमर घट गई
डगर कट गई
जीवन की ढलने लगी सांझ।
 
बदले हैं अर्थ
शब्द हुए व्यर्थ
शांति बिना खुशियां हैं बांझ।
 
सपनों से मीत
बिखरा संगीत
ठिठक रहे पांव और झिझक रही झांझ।
जीवन की ढलने लगी सांझ।

सम्बंधित जानकारी

Show comments

जरूर पढ़ें

क्या अमेरिका की दादागिरी को खत्म करने के लिए एक साथ होंगे भारत, रूस और चीन, पुतिन भारत आएंगे, मोदी चीन जाएंगे

भारत को मिला चीन का साथ, टैरिफ बढ़ाने पर भड़का, अमेरिकी राष्ट्रपति को बताया बदमाश

कनाडा में कपिल शर्मा के कैफे पर दूसरी बार हमला, चलाईं 25 गोलियां, क्या लॉरेंस बिश्नोई के निशाने पर हैं कॉमेडियन

पतियों की हत्‍याओं में क्रिएटिव हुईं पत्‍नियां, यूट्यूब और फिल्‍मों से सीख रहीं खौफनाक मर्डर के अनोखे तरीके

राजस्‍थान के झुंझुनू में सनकी ने कुत्‍तों पर बरसाई गोलियां, 25 कुत्‍तों की गोली मारकर हत्‍या

सभी देखें

नवीनतम

पूर्व मंत्री एकनाथ खड़से के दामाद की बढ़ीं मुश्किलें, फोन में मिलीं महिलाओं की आपत्तिजनक तस्वीरें और वीडियो

नेतन्याहू के नए प्लान का खुलासा, क्या खत्म होने वाली है जंग, गाजा पर कब्जा नहीं करेगा इजराइल

क्‍यों होते हैं युद्ध, RSS चीफ भागवत ने बताया कारण

भारत को मिला चीन का साथ, टैरिफ बढ़ाने पर भड़का, अमेरिकी राष्ट्रपति को बताया बदमाश

धराली आपदा : 274 लोगों को बचाया, 60 से ज्‍यादा लापता, रेस्‍क्‍यू ऑपरेशन अब भी जारी

अगला लेख