अमेरिकी ऑटोमोबाइल कंपनी फोर्ड द्वारा भारत से कारोबार समेटने के फैसले से भारतीय ऑटोमोबाइल सेक्टर को बड़ा झटका लगा है। वह पिछले 4 सालों में भारत से कारोबार समेटने वाली तीसरी बड़ी अमेरिकी ऑटोमोबाइल कंपनी है। एक और तीन कंपनियां देश छोड़कर जा चुकी है तो दूसरी ओर टेस्ला इलेक्ट्रिक वाहनों भारत में वाहन निर्माण करना चाहती है। हालांकि उसने विशेष रियायत की मांग की है।
फोर्ड मोटर्स ने क्यों बंद किए संयंत्र : अमेरिका की प्रमुख वाहन कंपनी फोर्ड मोटर ने आखिरकार पुनर्गठन के प्रयासों के तहत भारत में अपने 2 विनिर्माण संयंत्र बंद करने और देश में केवल आयातित वाहनों की बिक्री करने का फैसला किया है। कंपनी ने कहा कि इन संयंत्रों से उत्पादित इकोस्पोर्ट, फिगो और एस्पायर जैसे वाहनों की बिक्री बंद कर देगी। पिछले 10 वर्षों में दो अरब डॉलर से अधिक का नुकसान हो चुका है।
जनरल मोटर्स ने क्यों समेटा भारत से कारोबार : इससे पहले मई 2017 में अमेरिका की जनरल मोटर्स ने भारत में अपनी बिक्री बंद करने का फैसला किया था। साल 2020 के आखिर से कंपनी ने भारत में मैन्युफैक्चरिंग और यहां से एक्सपोर्ट भी बंद कर दिया। जनरल मोटर्स का शेवरले ब्रांड भारतीय कार बाजार में काफी लोकप्रिय था। हालांकि भारतीय कार बाजार में उसकी हिस्सेदारी 1 प्रतिशत से भी कम थी। जनरल मोटर्स ने भारत में करीब 20 मॉडल लॉन्च किए, कंपनी को इनमे से 10 वापस लेने पड़े। कंपनी 21 साल में भारत में कुल दस लाख कारें बेच पाई। जबकि मारूति ने 33 सालों में एक करोड़ 30 लाख कारें बेचीं।
हर्ले डेविडसन ने भी समेटा कारोबार : दिग्गज अमेरिकी दो पहिया वाहन निर्माता कंपनी हार्ले डेविडसन ने सितंबर 2020 में भारत में बिक्री व मैन्युफैक्चरिंग बंद करने की घोषणा की थी। 2009 में भारतीय बाजार में एंट्री करने वाली कंपनी 10 सालों के बाद भी भारतीय बाजार में अच्छी पैठ नहीं बना पाई। हार्ले की बाइक प्रीमियम सेगमेंट में बिकती है। भारत में लगातार घटती मांग के चलते कंपनी ने भारत से कारोबार समेटने का फैसला किया।
टेस्ला को आश्वासन : भारी उद्योग मंत्रालय ने अमेरिकी इलेक्ट्रिक कार विनिर्माता टेस्ला से कहा है कि वह पहले भारत में अपने इलेक्ट्रिक वाहनों का विनिर्माण शुरू करे, उसके बाद ही किसी कर रियायत पर विचार किया जा सकता है। सरकार किसी वाहन फर्म को ऐसी रियायतें नहीं दे रही है और टेस्ला को शुल्क लाभ देने से भारत में अरबों डॉलर का निवेश करने वाली दूसरी कंपनियों को अच्छा संकेत नहीं मिलेगा। टेस्ला ने भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) पर आयात शुल्क में कमी की मांग की है।