अयोध्या। अयोध्या पर 29 वर्ष बाद आए देश की सर्वोच्च अदालत सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर हर कोई खुश है। दोनों ही पक्षों ने फैसले को सहर्ष स्वीकार भी किया है। सभी का मानना है कि अब अयोध्या में तेजी से विकास होगा।
सबसे अधिक खुशी उन परिवार के लोगों को है, जिनके परिवार के लोग राम जन्मभूमि आंदोलन के दौरान गोली लगने से मौत हो गई। उन्हें खुशी है कि काफी लम्बे अरसों से लंबित यह मामला हमेशा के लिए सुलझ गया है। अयोध्या के लोगों ने कहा कि भगवान श्रीराम का असली वनवास खत्म हो गया है। अब अयोध्या नगरी खिलखिलाएगी।
वहीं 29 साल बाद मृत कारसेवकों के परिवारवालों के चेहरे पर खुशी दिखी। पीड़ित परिजनों ने कहा कि इस फैसले से मृतक कारसेवकों को सच्ची श्रद्धांजलि मिली है।
वर्ष 1990 में कारसेवा के दौरान पुलिस की गोली लगने से अयोध्या के तीन लोगों की मौत हो गई थी। इन कारसेवकों के परिजन शनिवार को सुबह से फैसले के इंतजार में टीवी के सामने आंखें गड़ाए बैठे रहे थे। जैसे ही सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की बेंच ने राम मंदिर के पक्ष में फैसला सुनाया, उदास परिजनों के चेहरों पर खुशी की लहर दिखने लगी। परिवारवालों ने कहा, आज सच्ची श्रद्धांजलि मिली है।
पुलिस की गोली ने हंसते-खेलते तीन परिवारों को उजाड़ दिया था। अयोध्या जनपद के रानी बाजार मोहल्ले में रहने वाली गायत्री देवी पांडे बताती हैं कि उस समय उनके पति रमेश कुमार पांडे की उम्र महज 35 वर्ष थी। कारसेवा के दौरान रामलला तक पंहुचने से पहले ही पुलिस ने रोककर उन्हें गोली मार दी।
इसी तरह नया अयोध्या नगरी के नया घाट क्षेत्र में कपड़े की दुकान चलाने वाले संदीप गुप्ता के सिर से बचपन में ही पिता का साया उठ गया। अयोध्या रामनगरी के ही कजियाना मोहल्ले के निवासी रवींद्र कुमार धरकार बताते हैं कि उनके भाई राजेन्द्र धरकार की मौत ने सब कुछ छीन लिया था।
अयोध्या के ही निवासी 70 वर्ष की आयु पार कर चुके नगर के मुख्य मार्ग पर बर्तन की दुकान चलाने वाले शिवगोपाल हों या रायगंज निवासी रामचंद्र मिश्रा, सभी का कहना है कि उन्होंने ढांचे को गिरते देखा और अब राम मंदिर बनते देखेंगे। शिवगोपाल कहते हैं कि हम खुशकिस्मत हैं कि श्रीराम के भव्य मंदिर बनने की खबर सुप्रीम कोर्ट से सुनी।
मिठाई की दुकान चलाने वाले विकास गुप्ता कहते हैं, अयोध्या के विकास की राह अब खुल गई है। अब यहां दोनों ही समुदाय के लोग साथ मिलकर अयोध्या को आगे बढ़ाएंगे।