14 अप्रैल 2023 शुक्रवार को बैसाखी का पर्व मनाया जाएगा। इसी दिन सूर्य के मेष राशि में प्रवेश से मेष संक्रंति होगी। यह पंजाब और हरियाणा क्षेत्र का लोगों का महापर्व है। बैसाखी का पर्व नई फसल आने की खुशी में मनाने के साथ ही यह खालसा पंथ की स्थापना के रूप में भी मनाया जाता है। बैसाखी पर्व को सिख समुदाय नए साल के रूप में मनाते हैं। इस त्योहार पर पांच कार्य जरूर करना चाहिए।
1. गुरुद्वारा जरूर जाएं : इस दिन गुरुद्वारों में अरदास के लिए भी इकट्ठे होते हैं। दूध और जल से प्रतीकात्मक स्नान करवाने के बाद गुरु ग्रंथ साहिब को तख्त पर बैठाया जाता है। इसके बाद पंच प्यारे 'पंचबानी' गाते हैं। दिनभर गुरु गोविंदसिंह और पंच प्यारों के सम्मान में शबद् और कीर्तन गाए जाते हैं।
2. भांगड़ा और गिद्दा नृत्य : बैसाखी के अवसर पर नए कपड़े पहन कर भांगड़ा और गिद्दा नृत्य करके खुशियां मनाई जाती हैं। ढोल-नगाड़ों की थाप पर युवक-युवतियां प्रकृति के इस उत्सव का स्वागत करते हुए गीत गाते हैं शाम को आग के आसपास इकट्ठे होकर लोग नई फसल की खुशियां मनाते हैं।
3. बधाईयां दें और शपथ लें : यह भाइचारे का त्योहार है। सभी लोगों को इस दिन एक दूसरे से मिलकर बैसाखी बधाई देना चाहिए। इस दिन 10वें गुरु, गुरु गोविंद सिंह ने पंथ की स्थापना करके सभी को देश और धर्म की रक्षार्थ शपथ दिलाई थी। इस पंथ के द्वारा गुरु गोविंद सिंह ने लोगों को धर्म और जाति के आधार पर भेदभाव छोड़कर इसके स्थान पर मानवीय भावनाओं को आपसी संबंधों में महत्व देने की भी दृष्टि दी।
4. कारसेवा करें : इस दिन गुरुद्वारे या मंदिरों में जाकर सेवा जरूर करें। इसे सेवा को कारसेवा कहते हैं।
5. गुरु का लंगर : दिन में अरदास के बाद गुरु को कड़ा प्रसाद का भोग लगाया जाता है। इसके बाद इस दिन प्रसाद लेने के बाद सब लोग 'गुरु के लंगर' में शामिल होते हैं।