वेश्यालय मालिकों को यौनकर्मियों की भाषा जानना जरूरी

Webdunia
गुरुवार, 8 अक्टूबर 2015 (14:37 IST)
नीदरलैंड्स के वेश्याघरों के मालिकों को एक नई तरह की समस्या का सामना करना पड़ रहा है। इस देश में वेश्यावृत्ति को कानूनी मंजूरी मिली हुई है। पर यूरोपीय संघ की सबसे बड़ी अदालत ने अपने हालिया फैसले में कहा है कि वेश्यालयों के मालिकों को वहां काम कर रही यौन कर्मियों से उनकी भाषा में बात करनी चाहिए ताकि उनका यौन शोषण रोका जा सके।
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मामले की शुरुआत इससे हुई कि वहां वेश्यालय खोलने की मंजूरी एक आदमी को इस आधार पर नहीं दी गई कि उसे हंगारियन और बुल्गारियन भाषाएं नहीं आती थीं। यूरोपीय न्यायिक अदालत ने संबंधित अधिकारी के इस फैसले को उचित ठहराया।
 
भाषा जानना जरूरी : अदालत ने फैसले में कहा, 'यह आवश्यक बना देना मुमकिन है कि वेश्यालय के मालिक को वहां काम करने वाली यौनकर्मी की भाषा में ही उससे बात करनी चाहिए।'
 
अदालत ने कहा कि ऐसा कर वेश्यालयों में यौनकर्मियों के यौन उत्पीड़न और यौन हिंसा को रोका जा सकता है। एम्सटरडम की एक यौनकर्मी फेलीशिया एना (बदला हुआ नाम) ने कहा कि मानव तस्करी रोकने में भाषा काफी कारगर हो सकती है।
 
उन्होंने कहा कि अधिकतर यौनकर्मियों, उनके ग्राहकों और कानून व्यवस्था लागू करने वालों की दूसरी भाषा डच या अंग्रेजी है।
 
उन्होंने यह भी कहा कि जिन यौनकर्मियों की दूसरी भाषा डच या अंग्रेजी न हो, उन्हें वेश्यालय की खिड़कियों पर जगह न दी जाए। यह जगह सड़क से अधिक सुरक्षित समझी जाती है। नीदरलैंड के इस मामले में हालांकि वेश्यालय खोलने की अर्जी देने वाले ने कहा था कि वे अनुवादक या भाषा से जुड़े सॉफ्टवेअर की मदद लेंगे। पर उसे अनुमति नहीं मिली।
 
कानूनी मान्यता : नीदरलैंड और जर्मनी में साल 2002 में वेश्यावृत्ति को कानूनी मान्यता मिली थी। डच कानून के मुताबिक वेश्यावृत्ति की जा सकती है, पर इसके लिए लाइसेंस लेना होता है। उससे होने वाली आय पर टैक्स चुकाना होता है और चैंबर ऑफ कॉमर्स का सदस्य बनना होता है।
 
अधिकारियों ने मानव तस्करी और संगठित अपराधों को रोकने के लिए तमाम कानूनों का कड़ाई से पालन करना शुरू कर दिया है। समझा जाता है कि इस देश के यौनकर्मियों में एक तिहाई विदेशी हैं। इनमें पूर्वी यूरोप, अफ्रीका और एशिया से आने वाली यौनकर्मियों की तादाद भी बहुत है।

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