एक स्कॉलर से रेपिस्ट बनने वाले कॉमरेड बाला

Webdunia
शनिवार, 28 जनवरी 2017 (15:16 IST)
पिछले साल अरविंदन बालाकृष्णन को यौन हमले, रेप और अवैध रूप से बंदी बनाने के मामले में 23 साल के लिए जेल में बंद कर दिया गया। शुक्रवार की रात बीबीसी ने अरविंदन की क्रूरता पर एक डॉक्यूमेंट्री जारी कर अत्याचार की तहों को खोला है।

अरविंदन अपने अनुयायियों को माओ के मत के आधार पर शिक्षित करने का दावा करते थे। आज की तारीख में अरविंदन की उम्र 76 साल हो रही है। उन्होंने अपनी बेटी को भी गुलाम बनाकर रखा था।
 
बालकृष्णन की बेटी ने इस पूरे मामले में सनसनीखेज चीजों को सामने रखा है। 33 साल की केटी ने अपने पिता और खुद के जीवन के बारे में परेशान करने वाली बातें बताई हैं। केटी को नहीं बताया गया था अरविंदन उसके पिता हैं। केटी को अपनी मां सियान के बारे में भी नहीं पता था।
 
दक्षिणी लंदन के एक फ्लैट से अक्तूबर 2013 में तीन महिलाओं को मुक्त कराया गया था। इन सभी को 30 सालों से ज्यादा वक्त तक बंदी बनाकर रखा गया था।
 
ठीक 11:15 बजे ब्रिक्स्टन के काउंसिल फ्लैट का मुख्य दरवाजा खुला था। इसके बाद दो महिलाओं ने एक शांत आवासीय सड़क पर कदम रखा। युवती रोजी की चाल काफी तकलीफदेह लग रही थी। वह किसी तरह से चल पा रही थीं। उन्होंने अपने जीवन के 30 साल कैद में गुजारे थे। अभी रोजी बीमार हैं और उन्हें इलाज की जरूरत है।
रोजी को कभी अकेले बाहर जाने की अनुमति नहीं थी। उनसे कह दिया गया था कि यदि उन्होंने भागने की कोशिश की तो वह जिंदा नहीं रहेंगी। उन्हें चिंता थी कि वो अपनी बीमारी से बच नहीं सकती हैं।
 
25 अक्टूबर, 2013 को रोजी और एक महिला जोजी को छिपकर निकलने में कामयाबी मिली। मानव तस्करी, गुलामी और प्रताड़ना के शिकार हुए लोगों को मदद करने वाले एक संगठन के सदस्य इंतजार कर रहे थे। ये पुलिस के साथ थे और इन्होंने ही इन महिलाओं को निकालने की योजना बनाई थी।
 
जल्दी ही साफ हो गया कि रोजी और 57 साल की जोजी ही केवल फ्लैट में नहीं रह रही थीं। यहां और भी महिलाएं थीं। जब पुलिस ऑफ़िसर वापस आए तो उनकी मुलाकात मलेशिया की 69 साल की एक महिला आइशा से हुई। पहले वह वहां से नहीं निकलना चाहती थीं, लेकिन बातचीत के बाद उन्होंने अपना दिमाग बदल लिया।
आने वाले हफ्तों में साफ हो गया कि उनकी जिंदगी कितनी डरावनी थी। ये तीनों महिलाएं काफी डरी हुई थीं। ये अक्सर एक शक्तिशाली ताकत जैकी की बात करती थीं। ऐसा माना जा रहा है कि यह प्रतिशोध की कहानी है। इन्हें बिजली के तार से सताया गया ऐसा लगता था कि इस यंत्र से पूरे घर को उड़ाने की तैयारी थी। अपनी जिंदगी की सारी चीजें खुलकर सामने आने के साथ रोज़ी का आत्मविश्वास बढ़ता गया।
 
पहले रोजी ने अपना नाम बदलने का फैसला किया। उन्होंने अपना नाम मशहूर गीतकार केटी पेरी से प्रेरित होकर अपना नाम केटी रख लिया। रोजी पेरी के रोर गाने से बहुत प्रभावित थीं। यह गाना महिलाओं की मुश्किल जिंदगी को लेकर है। केटी की भी अपनी कहानी है और उन्होंने तमाम मुश्किलों का साहस के साथ सामना किया था।
 
ब्रिक्स्टन का यह घर अरविंदन बालाकृष्णन की तरफ से संचालित हो रहा था। उन्हें कॉमरेड बाला या एबी के नाम से जाना जाता था। कॉमरेड बाला के साथ अपने जीवन की व्याख्या करते हुए केटी ने बताया कि वह अपने कॉमरेडों पर पूरा नियंत्रण कैसे रखते थे।
 
कॉमरेड बाला कहते थे कि वह भगवान हैं। दुनिया पर उनका राज है। वह अमर हैं। वह सभी के नेता हैं और सारे लोग आज्ञा पालन करने के लिए हैं। वह दावा करते थे कि उनके पास सभी तरह की शक्तिशाली मशीन है। उसे वह जैकी, अल्लाह, क्रिस्ट और कृष्ण कहते थे। जैकी के बारे में कहा जाता है कि वह चीनियों का बनाया एक अदृश्य सैटलाइट कंप्यूटर था।
 
कॉमरेड बाला दावा करते थे कि वह जैकी की मदद से पूरी दुनिया को उस फ्लैट के भीतर से नियंत्रण में कर सकते हैं। वह दुनिया में घटने वाली सभी घटनाओं जैसे, युद्ध और आपदाओं की जिम्मेदारी खुद लेते थे। वह कहते थे कि उन्होंने ये सब कराया है।
 
1995 में एक दिन पिज़्ज़ा पहुंचाने वाले ने गलती से उनके दरवाजे की घंटी बजा दी। केटी ने बताया कि बाला ने पिज्जा पहुंचाने वाले के बारे में कहा, 'वह ब्रिटिश फासिस्ट स्टेट था जो उन्हें बिना ऑर्डर किए पिज्जा लाकर उकसाने की कोशिश कर रहा था। उसने घंटी बजाकर एक अहम राजनीतिक काम में बाधा डाली।'
 
उसके ठीक एक दिन बाद जापान में बड़ा भूकंप आया। इसके बाद बाद उन्होंने कहा, 'उसी दिन फांसीवादी स्टेट ने भगवान के दरवाजे को खटखटाया और इसके बदले बड़ा भूकंप आया।' दुनिया में कहीं भी कुछ होता तो वह कहते थे कि यह उनके प्रभाव के कारण हुआ है।
 
आइशा ने कहा, 'कुछ भी अलगाव में घटित नहीं होता है। सभी चीज का एक सिलसिला होता है। हम सब कुछ समझते थे लेकिन मजबूरी में स्वीकार करना पड़ता था। बालाकृष्णन अपने अनुयायियों से कहते थे, 'देखो, यह अख़बार है। इसमें इस लेख को देखो। यह मेरे ऊपर लिखा गया है।' फिर वह पूछते थे कि कौन किसके लिए आ रहा है- इसके जवाब में सारे लोग कहते थे कि सब आपके लिए आ रहे हैं।
 
जब केटी बच्ची थीं तो कॉमरेड बाला ने सजा के तौर पर उन्हें बाहर कर दरवाजा बंद कर दिया था। इसके बाद केटी में डर घर कर गया। केटी को लगने लगा कि वह मरने के लिए हैं। उन्हें लगता था कि अब वह जिंदा क्यों हैं। रोज का जीवन काफ़ी मुश्किल था।
 
कॉमरेडों को जल्दी उठकर काम करना होता था। इसके बाद खाना बनाकर बालाकृष्णन को देना होता था। हर दिन सुबह कॉमरेड बाला का प्रवचन खड़े होकर अटेंशन अवस्था में सुनना होता था। कई बार ऐसा तीन घंटों तक करना होता था। यदि कोई बैठ जाता तो उसे सजा मिलती थी।
 
बालकृष्णन का मानना था कि सिस्टम मार्क्स, लेनिन और माओ के मत के हिसाब से हो। यह समूह कम्युनिस्ट क्रांति लाकर नई दुनिया बनाना चाहता था। कॉमरेड बाला दावा करते थे कि चांद पर इंसान का पहुंचना और परमाणु बम का विस्फोट उनके जन्म से 150 साल पहले हो चुका था।
 
वह कहते थे कि सब कुछ का संबंध उनसे है। वह कहते थे कि उनके हिसाब से जो जीवन जिएगा, वह उन्हीं की तरह अमर हो जाएगा। वह किसी डेंटिस्ट के पास नहीं जाना चाहते थे। उनका कहना था कि जब आप 100 साल के हो जाएंगे तो दांत खुद ही गिर जाएंगे।
 
आइशा और केटी ने बताया कि वे रोज मार खाती थीं। आइशा ने कहा कि उनके पास बाहर निकलने का कोई विकल्प नहीं था। उन्होंने कहा, 'परिवार से संपर्क ख़त्म हो गया था और कोई पैसा नहीं था।'
 
केटी का जन्म 1983 में हुआ था। उनकी मां सियान डेविस समाज सेवा में थीं। 80 के दशक में कॉमरेड बाला से उनके शारीरिक संबंध शुरू हो गए थे। सियान कॉमरेड बाला से गर्भवती हुईं और उन्होंने अपने बच्चे काम नाम प्रेम माओपिंदुजी रखा। प्रेम हिन्दी का शब्द था और माओपिंदुजी का मतलब क्रांति से था।
 
बालकृष्णन का बचपन एशिया में बीता था। उनका जन्म 1940 में भारत में हुआ था। आठ साल की उम्र में वह अपने परिवार के साथ सिंगापुर चले गए थे। 1963 में वह ब्रिटिश काउंसिल की स्कॉलरशिप पर ब्रिटेन में लंदन स्कूल ऑफ इकनॉमिक्स पहुंचे।
 
स्टूडेंट रहने के दौरान वह लेफ्ट विचारधारा में रम गए और उन्होंने अपनी पढ़ाई छोड़ दी। 1974 में इन्होंने एक संस्था बनाई। इस संस्था का नारा था चीन के चेयरमैन हमारे चेयरमैन और चीन की राह मेरी राह। 1976 में यह संगठन ब्रिक्स्टन शिफ्ट हो गया। इस ग्रुप के साथ आइशा 24 साल की उम्र में जुड़ी थीं।
 
सियान के पिता ने आत्महत्या कर ली थी। बालाकृष्णन इसके लिए सियान को ही जिम्मेदार ठहराते थे। 1996 में सियान की मानसिक स्थिति बिगड़ गई। वह बाथरूम की खिड़की से दूसरे तले से नीचे गिर गईं। इसे आत्महत्या की कोशिश के रूप में देखा गया। केटी ने कहा कि सियान खुद को शैतान बताती थीं। केटी ने बताया कि एक रात सियान खुद को चाकू मार आत्महत्या की कोशिश कर रही थीं।
 
2005 तक केटी की हालत बहुत बदतर हो गई थी। 22 साल की उम्र तक केटी घर में ही बंद रहीं. केटी ने उस फ्लैट से फरार होना का फैसला किया। केटी बैग पैक कर निकल गईं। उन्होंने रास्ते गुजरते हुए लोगों से मदद की मांग की लेकिन लोगों ने पुलिस स्टेशन जाने के लिए कहा। उन्हें बाहर निकलकर लोगों को हालात समझाने में काफ़ी दिक्कत हुई।
 
बालकृष्णन को 2015 में कानून कटघरे में खड़ा किया गया। उन पर यौन अपराध और बेटी को कैद रखने का आरोप तय हुआ। पुलिस की जांच में यह बात सामने आई कि बाला दो महिलाओं के साथ यौन प्रताड़ना को अंजाम देते थे। ऐसा सालों जारी रहा। एक महिला ने कोर्ट में कहा कि वह रेप करते थे और मारते थे।
 
इस महिला ने बताया कि मारपीट और रेप के कारण उन्होंने 13 साल बाद बाला के ग्रुप को छोड़ दिया था। दूसरी महिला मलेशिया की नर्स थीं और उनके साथ भी बाला रेप करते थे। जनवरी 2016 में बाला को रेप, यौन हमला, बाल शोषण और गलत तरीके से बेटी को कैदी बनाने के मामले में दोषी ठहराया गया। इसके बावजूद इनकी तंजानियाई पत्नी चंद्रा और जोजी बाला के साथ खड़ी रहीं। उन्होंने कहा कि बाला निर्दोष हैं और उन्हें फांसीवादी ब्रिटिश स्टेट ने फंसाया है।

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