उस्मान ज़ाहिद, बीबीसी उर्दू संवाददाता, इस्लामाबाद
पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के चेयरमैन बिलावल भुट्टो ज़रदारी ने आरोप लगाया है कि इमरान ख़ान राजनीतिक फ़ायदे के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद का इस्तेमाल कर रहे हैं। उन्होंने बीते दिनों हुई 'सुरक्षा परिषद की बैठक का ब्योरा सामने लाने' की मांग की है।
बिलावल भुट्टो ने इमरान ख़ान की समझ पर सवाल उठाते हुआ कहा कि वो जश्न मना रहे हैं लेकिन आगे पता चलेगा कि उनकी सरकार गिरा दी गई है।
हालांकि, बिलावल भुट्टो ने ये भी कहा कि वो चाहते हैं कि इमरान ख़ान की विदाई संवैधानिक तरीके से हो और फिर पाकिस्तान में निष्पक्ष चुनाव कराए जाएं।
बीबीसी से ख़ास बातचीत में बिलावल भुट्टो ने सुरक्षा परिषद की बैठक का ज़िक्र किया और कहा कि दूसरे सदस्यों के बयान भी सामने लाए जाएं। उन्होंने कहा कि इसी बैठक के आधार पर प्रधानमंत्री इमरान ख़ान कह रहे हैं कि नेशनल असेंबली के '70 फ़ीसदी सदस्य देशद्रोही' हैं।
'ग़ैर ज़रूरी दखल का ज़िक्र'
बिलावल भुट्टो ने ये भी कहा कि उन्होंने पाकिस्तान की सेना से सफ़ाई इसीलिए मांगी ताकि वो अपना पक्ष साफ़ कर सकें और बताएं कि 'क्या सुरक्षा परिषद की बैठक में 197 सांसदों को गद्दार करार दिया गया?' उन्होंने कहा कि इस मीटिंग का ब्योरा मौजूद होगा जिससे ये साफ़ हो जाएगा कि मामले की हक़ीकत क्या है?
बिलावल भुट्टो ने कहा कि सुरक्षा परिषद की बैठक को लेकर जो बयान जारी किया गया था, उसमें किसी बाहरी साजिश का ज़िक्र नहीं था।
उनके मुताबिक इस बयान में जो भाषा इस्तेमाल की गई वो कूटनीतिक भाषा नहीं थी। इसमें देश के आंतरिक मामलों में 'ग़ैर ज़रूरी दखल का ज़िक्र' था। इसीलिए ये मामला न सिर्फ़ जनता बल्कि अदालत के सामने भी साफ़ होना चाहिए।
बिलावल भुट्टो ने कहा, "इमरान ख़ान ने एक गैर राजनीतिक फोरम (राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद) का इस्तेमाल अपनी सियासी फ़ायदे के लिए करने की कोशिश की जो बड़े अफ़सोस की बात है।"
उन्होंने आरोप लगाया कि इमरान ख़ान इसी का इस्तेमाल करते हुए 'अविश्वास प्रस्ताव का सामना करने के बजाए भाग खड़े हुए।'
'संविधान के ख़िलाफ़ उठाया कदम'
ये पूछने पर कि नेशनल असेंबली में जो कुछ हुआ आपकी नज़र में उसे वापस किए बिना चुनाव कराने में क्या हर्ज़ है?
बिलावल भुट्टो ने इस पर कहा, "हम तो बहुत अर्से से प्रधानमंत्री इमरान खान की 'गैरनिर्वाचित सरकार' को हटाने के लिए संघर्ष कर रहे थे। उनकी सरकार के रहते देश में आर्थिक बदहाली पैदा हो गई और हर पाकिस्तानी बेरोज़गारी ग़रीबी और महंगाई की वजह से परेशान है।"
उन्होंने कहा, "हमने तीन साल इस सरकार का डटकर विरोध किया और इस बात पर ज़ोर दिया कि हमें इसके ख़िलाफ न सिर्फ़ असेंबली के बाहर और भीतर डटे रहना है बल्कि अविश्वास प्रस्ताव लाकर इस सरकार को हटाना है।"
बिलावल भुट्टो ने कहा, "हमने जो कदम उठाया, उससे उनकी सरकार चली गई। अगर हम एक आम विपक्ष की राजनीति कर रहे होते तो हम इस बात से खुश हो जाते लेकिन हम चाहते हैं कि उनकी सरकार को संवैधानिक तरीके से हटाया जाए और फिर हम एक साफ़ सुथरे चुनाव की ओर बढ़ें।"
उन्होंने कहा, "तीन अप्रैल को जो कदम प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने उठाया वो संविधान के ख़िलाफ़ था। वो (इमरान) चाहते हैं कि तीन चार दिन के लिए और प्रधानमंत्री बने रहें।"
'नहीं हुई हैरानी'
ये पूछने पर कि इमरान ख़ान ने अपने कदम को 'सरप्राइज़' बताया है तो क्या ये विपक्ष के लिए वाकई हैरानी की बात थी?
बिलावल भुट्टो ने कहा, "इमरान ख़ान अगर कोई असंवैधानिक या अलोकतांत्रिक कदम उठाएं तो ये कोई हैरानी बात नहीं है। हक़ीकत ये है कि सरकार जिसको 'सरप्राइज़' कह रही है, वो संविधान का उल्लंघन है और आप संविधान के उल्लंघन को सरप्राइज़ नहीं कह सकते।"
उन्होंने आगे कहा कि संविधान को तोड़ना कोई मज़ाक नहीं है। ये अपराध 'गद्दारी' है और पाकिस्तान के संविधान के अनुच्छेद छह का उल्लंघन है।
बिलावल भुट्टो ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट से अपील करते हुए कहा, "पाकिस्तान में शायद जनरल जिया (उल हक़) और जनरल (परवेज़) मुशर्रफ़ की फौजी बगावत को नहीं रोका जा सका लेकिन वो इमरान ख़ान की इस बगावत को रुकवा दें।"
उन्होंने कहा, "हम निष्पक्ष चुनाव के लिए तैयार हैं। लेकिन अगर हम संविधान तोड़कर चुनाव की तरफ बढ़ते हैं तो कोई साफ सुथरे चुनाव की बात पर यकीन नहीं करेगा। "
ये पूछने पर कि क्या इमरान ख़ान ने देश की राजनीति को 90 के दशक में वापस धकेले दिया है? बिलावल भुट्टो ने कहा, "आज का पाकिस्तान 1990 के दशक का पाकिस्तान नहीं है। इमरान ख़ान को इस बात का अंदाज़ा नहीं है कि उस दौर के नतीजे कितने संगीन हैं।"
उन्होंने कहा, "वो आज भी जश्न मना रहे हैं। जिस दिन उनकी सरकार गिरी उस दिन भी वो सदन में मेज बजाकर जश्न मना रहे थे। जिस दिन मैंने उन्हें 'सेलेक्टेड' (चयनित) करार दिया था उन्हें 'सलेक्टेड' का मतलब समझने में वक़्त लगा। आज इमरान जश्न मना रहे हैं लेकिन कल उन्हें पता लगेगा कि हमने उनकी सरकार गिरा दी है।"
बिलावल भुट्टो ने कहा, "हम संविधान में भरोसा रखते हैं इसलिए समझते हैं कि अगर इमरान ख़ान की सरकार को घर भेजना है तो ये लोकतांत्रिक तरीके से होना चाहिए।"